हिमांशी नरवाल और शैला नेगी ने जिस बहादुरी के साथ इन संघियों के साम्प्रदायिक एजेण्डा को ध्वस्त किया है आज हमें इससे सीखने की ज़रूरत है। गुण्डों का ये गिरोह सड़कों पर जो आतंक मचाये फिर रहा है उसको उसी की भाषा में सड़कों पर मुँहतोड़ जवाब देना होगा। इन गुबरैलों को सबसे ज़्यादा डर लोगों की एकजुटता से लगता है। लोग एकजुट होकर इनके दोगलेपन पर सवाल न करने लगें इसीलिए जब भी कोई व्यक्ति इनसे सवाल करता है तो ये बिलबिला जाते हैं और फिर उसे जान से मारने, रेप आदि की धमकी देते हैं जैसा की इन मामलों में हुआ है। पहलगाम हमले के बाद संघ की पूरी मशीनरी ने देश में दंगा भड़काने की पूरी कोशिश की लेकिन जनता की एकजुटता ने उसके मंसूबों पर पानी फ़ेर दिया। आज हम मेहनतकश लोगों को ये बात समझ लेना होगा कि साम्प्रदायिकता, दंगा और युद्ध से हमें कुछ हासिल नहीं होगा। हमें अपनी वर्गीय एकजुटता कायम करके संघ और भाजपा के सभी प्रोपैगेण्डा को ध्वस्त करना होगा और उनके गुण्डा गिरोहों को मुँहतोड़ जवाब देना होगा। हमारे दुश्मन देश के बाहर नहीं हैं और न ही हमारे दुश्मन देश के अन्दर किसी धर्म या समुदाय के अल्पसंख्यक लोग हैं। हमारे दुश्मन हमारे ही देश के धन्नासेठ, धनी व्यापारी, धनी कुलक व पूँजीवादी भूस्वामी और इस समूचे पूँजीपति वर्ग की मैनेजिंग कमेटी का काम करने वाली पूँजीवादी सरकार है, जो आज फ़ासीवादी संघ परिवार के हाथों में है। सवाल धर्म का नहीं है, सवाल वर्ग का है। यही सवाल समझने की ज़रूरत है।