
केन्द्रीय बजट 2025-26 – मज़दूरों, ग़रीब किसानों और निम्न-मध्यवर्ग की क़ीमत पर अमीरों को राहत
मन्दी के दौरों में दुनिया के हर देश में पूँजीपति वर्ग अपनी सरकारों पर दबाव बनाता है कि वह बची-खुची सामाजिक कल्याण की नीतियों को भी समाप्त कर दे। विशेष तौर पर आर्थिक संकट के दौर में तो पूँजीपति वर्ग मज़दूरों की औसत मज़दूरी को कम-से-कम रखने और उनके काम के घण्टों व श्रम की सघनता को अधिक से अधिक बढ़ाने का प्रयास करता है। ऐसे में, वह ऐसी किसी भी पूँजीवादी पार्टी को अपनी पूँजी की शक्ति का समर्थन नहीं देगा, जो सरकार में आने पर किसी किस्म का कल्याणवाद करना चाहती हो। यहाँ तक कि वह कल्याणवाद का दिखावा करने वाली किसी पार्टी को भी चन्दे नहीं देता है। यही वजह है कि 2010-11 में भारतीय अर्थव्यवस्था में मन्दी के गहराने के बाद से पूँजीपति वर्ग का समर्थन एकमुश्त फ़ासीवादी भाजपा और मोदी-शाह की ओर स्थानान्तरित हुआ है।
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