दिव्य महाकुम्भ में भव्य भ्रष्टाचार
‘हिन्दू राष्ट्र’ के कुम्भ के धार्मिक आयोजन में मज़दूरों और मेहनतकशों की यही जगह है क्योंकि स्वयं इनके ‘हिन्दू राष्ट्र’ में मज़दूरों की यही जगह है, चाहे उनका धर्म या जाति कुछ भी हो। धन्नासेठ, अमीरज़ादे, ऐय्याश धनपशु अपना पापनाश कर सकें, उसके लिए मज़दूरों को अपनी हड्डियाँ-हाड़ गलाना ही होगा, चाहे उनका ही नाश क्यों न हो जाये! मोदी-योगी के चमचे बाबा धीरेन्द्र शास्त्री के अनुसार, अमीरज़ादों के पापनाश की नौटंकी में अगर मज़दूर और आम जनता मरते हैं, तो उन्हें मोक्ष प्राप्त हो जाता है! जो मज़दूर संघ परिवार, मोदी और योगी के ‘हिन्दू राष्ट्र’ में दास और सेवक जैसी हालत में अपना शोषण, उत्पीड़न और दमन करवाने को मोक्ष समझते हैं, उनसे हम क्या ही कह सकते हैं। लेकिन जिन मज़दूरों के भीतर आत्मसम्मान, गरिमा और अपने अधिकारों का बोध है, वे जानते हैं कि इस ‘हिन्दू राष्ट्र’ की सच्चाई केवल मालिकों, धनपशुओं, ठेकेदारों, व्यापारियों की लूट के तहत देश के मेहनतकश अवाम को निचोड़ने की व्यवस्था है। इसपर ही धर्म की चादर चढ़ाई जाती है, ताकि हम इस लूट और शोषण को इहलोक में अपना कर्म मानकर चुपचाप इसे सहते रहें, इस आशा में कि परलोक में मोक्ष प्राप्त होगा! आपको समझ लेना चाहिए कि ये बातें केवल आपको बेवकूफ़ बनाने का तरीक़ा हैं।