Category Archives: अंधराष्‍ट्रवाद

‘कैसा है यह लोकतन्त्र और यह संविधान किसकी सेवा करता है’ पुस्तक से एक अंश

राज्यसत्ता का असली स्वरूप तब सामने आता है जब जनता अपने अधिकारों के लिए संघर्ष करती है और कोई आन्दोलन संगठित होता है। ऐसे में विकास प्रशासन और कल्याणकारी प्रशासन का लबादा खूँटी पर टाँग दिया जाता है और दमन का चाबुक हाथ में लेकर राज्यसत्ता अपने असली खूनी पंजे और दाँत यानी पुलिस, अर्द्ध-सुरक्षा बल और फ़ौज सहित जनता पर टूट पड़ती है। पुलिस से तो वैसे भी जनता का सामना रोज़-मर्रे की जिन्दगी में होता रहता है। पुलिस रक्षक कम और भक्षक ज़्यादा नज़र आती है। आज़ादी के छह दशक बीतने के बाद भी आलम यह है कि ग़रीबों और अनपढ़ों की तो बात दूर, पढ़े लिखे और जागरूक लोग भी पुलिस का नाम सुनकर ही ख़ौफ़ खाते हैं। ग़रीबों के प्रति तो पुलिस का पशुवत रवैया गली-मुहल्लों और नुक्कड़-चौराहों पर हर रोज़ ही देखा जा सकता है। भारतीय पुलिस टॉर्चर, फ़र्जी मुठभेड़, हिरासत में मौत, हिरासत में बलात्कार आदि जैसे मानवाधिकारों के हनन के मामले में पूरी दुनिया में कुख़्यात है।

अमेरिका में ट्रम्प की वापसी के मज़दूर वर्ग के लिए क्या मायने हैं?

ट्रम्प के सनक भरे बयानों और उसके सिरफ़िरेपन को देखकर बहुत से लोग ताज्जुब करते हैं कि भला ऐसा शख़्स दुनिया के सबसे ताक़तवर देश का राष्ट्रपति कैसे बन सकता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि यह व्यक्ति अपने आप में एक नमूना है जिसके नमूनेपन को देखकर अमेरिकी पूँजीवाद के तमाम समर्थक व प्रशंसक भी शर्म से झेंप जाते हैं। हालाँकि हमारे देश के ‘सुप्रीम लीडर’ को देखकर उनकी झेंप की भावना अक्सर प्रतिस्पर्द्धा की भावना में भी तब्दील हो जाती है! बहरहाल, ऐसा भी नहीं है कि अमेरिकी राजनीति में ऐसे शख़्स का तूफ़ानी उभार बिल्कुल समझ से परे है। अगर हम अमेरिकी समाज की वर्तमान दशा व विश्व के पैमाने पर अमेरिकी साम्राज्यवाद की मौजूदा सेहत की रोशनी में इस परिघटना को देखें तो हमें ट्रम्प नामक परिघटना को समझना मुश्किल नहीं होगा।

एक धनपशु के बेटे की शादी का अश्लील तमाशा और देश के विकास की बुलन्द तस्वीर!

यही तो होता है देश का विकास। समूचे देश के राष्ट्रवादी व देशभक्त एकजुट होकर अभी इसी शादी में लगे हुए हैं। यह एक प्रकार से इस समय राष्ट्रवादी होने का सबसे अच्छा तरीका है। जब देश में विकास अपने चरम पर पहुँच जाता है तब छोटी-मोटी समस्याएँ दिखनी बन्द हो जाती है। भगदड़ में लोग मर जाते हैं, नौजवानों को नौकरी नहीं मिल रही, सभी समान महँगे हो रहे हैं, मॉब लिंचिंग हो रही है, धर्म के नाम पर क़त्ल हो रहे हैं, आदि-आदि। विकास के चरम पर पहुँच कर यह सब मोहमाया दिखने लगता है। अम्बानी और उनके जमात के लोग और उन सबके चहेते मोदी जी देश को इसी विकास की चरम अवस्था में ले जाना चाहते हैं। और भाई यही तो समानता होती है!

फ़ासिस्ट प्रोपेगैण्‍डा फैलाती दंगाई फ़िल्में

ये फ़ासिस्ट फ़िल्में और कुछ नहीं है बल्कि मेहनतकश जानता का ध्यान भटकाने का एक हथकण्डा मात्र है। पिछले 10 सालों से महँगाई और बेरोज़गारी का बुलडोज़र जिस तरीक़े से देश की जनता को रौंद रहा है उसके ख़िलाफ़ लोग एकजुट और संगठित ना हो जायें इसके लिए समय-समय पर कभी लव जिहाद, कभी धारा 370, कभी चीन-पाकिस्तान का हौवा उछाल दिया जाता है। और मोदी की गोदी में बैठे विवेक अग्निहोत्री और सुदिप्तो सेन जैसे “फ़िल्मकार” फ़िल्म बनाकर झूठा फासिस्‍ट प्रोपेगैण्‍डा फैलाने का काम शुरू कर देते हैं।

राम मन्दिर के ज़रिये साम्प्रदायिक लहर पर सवार हो फिर सत्ता पाने की फ़िराक़ में मोदी सरकार

यह कोई धार्मिक नहीं, बल्कि एक राजनीतिक कार्यक्रम है। महँगाई को क़ाबू करने, बेरोज़गारी पर लगाम कसने, भ्रष्टाचार पर रोक लगाने, मज़दूरों-मेहनतकशों को रोज़गार-सुरक्षा, बेहतर काम और जीवन के हालात, बेहतर मज़दूरी, व अन्य श्रम अधिकार मुहैया कराने में बुरी तरह से नाकाम मोदी सरकार वही रणनीति अपना रही है, जो जनता की धार्मिक भावनाओं का शोषण कर उसे बेवकूफ़ बनाने के लिए भारतीय जनता पार्टी और उसका आका संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हमेशा से अपनाते रहे हैं। चूँकि मोदी सरकार के पास पिछले 10 वर्षों में जनता के सामने पेश करने को कुछ भी नहीं है, इसलिए वह रामभरोसे सत्ता में पहुँचने का जुगाड़ करने में लगी हुई है। इसके लिए मोदी-शाह की जोड़ी के पास तीन प्रमुख हथियार हैं : पहला, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का देशव्यापी सांगठनिक काडर ढाँचा; दूसरा, भारत के पूँजीपति वर्ग की तरफ़ से अकूत धन-दौलत का समर्थन; और तीसरा, कोठे के दलालों जितनी नैतिकता से भी वंचित हो चुका भारत का गोदी मीडिया, जो खुलेआम साम्प्रदायिक दंगाई का काम कर रहा है और भाजपा व संघ परिवार की गोद में बैठा हुआ है।

“महँगाई-बेरोज़गारी भूल जाओ! पाकिस्तान को सबक सिखाओ!” गोदी मीडिया की गलाफाड़ू चीख-पुकार, यानी चुनाव नज़दीक आ गये हैं!

हमारा ध्यान अपनी जिन्दगी की असल समस्याओं की ओर न जाए इसलिए देश में अन्ध-राष्ट्रवाद और साम्प्रदायिकता की राजनीति हो रही है। संघ परिवार और भाजपा की इस राजनीति को बहुत लोग समझने भी लगे हैं। लेकिन भाजपा अलग-अलग स्वांग रच कर इन्हीं पत्तों को खेलेगी। नूह में दंगों के समय यह साफ़ हो गया है की 2024 के लोकसभा चुनावों के पहले भाजपा और संघ परिवार देश को दंगों की आग में झोंकने की योजना बना रही है। इन्हें हमेशा इस बात की उम्मीद रहती है कि अन्‍धराष्ट्रवाद का कार्ड हमेशा काम आता है। पाकिस्तान के खिलाफ़, चीन के खिलाफ़, सेना के नाम पर जनता को मूर्ख बनाने की कोशिश की जाती है। लेकिन इस बार जनता को सावधान रहना होगा। 

जनता के जनवादी अधिकारों पर आक्रामक होता फ़ासीवादी मोदी सरकार का हमला और इक्कीसवीं सदी में फ़ासीवाद के बारे में कुछ बातें

जब फ़ासीवादी शक्तियाँ सत्ता से बाहर भी होती हैं, तो उनका पूर्ण ध्वंस नहीं होता बल्कि बुर्जुआजी तब भी उनके अस्तित्व बनाये रखना चाहती है और उन्हें अपना समर्थन देती रहती है। वह उन पर किसी प्रकार के पूर्ण प्रतिबन्ध का आम तौर पर विरोध करती है। वह उन्हें अपनी असंस्थानिक व अनौपचारिक राजनीतिक शक्ति के रूप में समाज और राजनीति में बनाये रखती है ताकि उसका सर्वहारा वर्ग और आम मेहनतकश जनता के विरुद्ध प्रतिभार के रूप में इस्तेमाल कर सके।

भाजपा शासन में चुनाव पास आते ही सरहद पर घुसपैठ क्यों बढ़ जाती है?

ज़रा सोचिए, क्यों ऐसा होता है कि जैसे-जैसे चुनाव नज़दीक आता जाता है और विशेषकर भाजपा सरकार को हार का ख़तरा सताने लगता है, वैसे ही देश भर में दंगों का माहौल बनना क्यों शुरू हो जाता है? क्यों चुनाव के समय ही मन्दिर और मस्जिद के नाम पर लड़ाइयाँ शुरू हो जाती हैं? क्यों ख़बरों में ऐसा आना शुरू हो जाता है कि पाकिस्तान या चीन ने देश पर हमले शुरू कर दिये हैं? और आख़िर क्यों चुनाव आते ही देश की सीमाओं पर अचानक घुसपैठ तेज हो जाते हैं, सर्जिकल स्ट्राइक की ख़बरें आनी शुरू हो जाती हैं, जिनकी कभी कोई पुष्टि नहीं की जाती और सबूत माँगना ही देशद्रोह घोषित कर दिया जाता है?

हर मोर्चे पर नाकाम मोदी सरकार, चन्द्रयान पर चढ़कर कर रही चुनाव प्रचार!

वैज्ञानिकों और वैज्ञानिक श्रमिकों ने अपना काम किया, पहले की असफलता से सीखा और आगे चलकर सफलता हासिल की। यह भी ग़ौरतलब है कि जिस एचईसी (हेवी इंजीनियरिंग कारपोरेशन) के मज़दूरों ने चन्द्रयान-3 को बनाया था, उनको 17 माह से मोदी सरकार ने तनख्वाह तक नहीं दी है! लेकिन चन्द्रयान-3 की सफलता का क्रेडिट लेने के लिए मोदी जी तत्काल कैमरे के सामने प्रकट हो जाते हैं, माना चन्द्रयान-3 उन्होंने ही बनाया हो!

दंगे करने का अधिकार, माँग रहा है संघ परिवार! शामिल है मोदी सरकार!

नूंह में दंगे भड़काने की संघी फ़ासिस्टों की चाल को जनता की ओर से उस प्रकार का समर्थन नहीं मिला जिसकी वे उम्मीद कर रहे थे। नूंह और हरियाणा की हिन्दू मेहनतकश जनता की बहुसंख्या ने संघियों की दंगाई कोशिशों को बड़े पैमाने पर नकार दिया है। समाज का एक छोटा हिस्सा है जो केवल और केवल मुसलमानों से नफ़रत की वजह से मोदी-शाह सरकार और संघ परिवार की ऐसी चालों का समर्थन कर रहा है। यह कुल हिन्दू आबादी का भी एक बेहद छोटा हिस्सा है। स्वयं यह भी बढ़ती महँगाई और बेरोज़गारी से तंग है। लेकिन मुसलमानों से अतार्किक घृणा और राजनीतिक चेतना की कमी के कारण वह संघी फ़ासिस्ट प्रचार के प्रभाव में है। अभी हो रही सभी दंगाई पंचायतों में इस छोटी-सी अल्पसंख्या से आने वाले लोग ही शामिल हैं। व्यापक मेहनतकश आबादी ने ऐसी दंगाई साज़िशों को ख़ारिज किया है। इस आबादी में जो मुखर हैं और बोलते हैं, उन्होंने स्पष्ट तौर पर बोलकर हार के डर से बौखलायी मोदी-शाह सरकार की साम्प्रदायिक फ़ासिस्ट चालों को नकारा है। लेकिन जो बहुसंख्यक आबादी मुखर नहीं भी है, वह मोदी सरकार और संघ परिवार की दंगाई चालों से बुरी तरह से चिढ़ी हुई और नाराज़ है।