हैदराबाद में कांग्रेस सरकार द्वारा मूसी नदी और झीलों को बचाने के नाम पर ग़रीबों व मेहनतकशों के आशियानों और आजीवका पर ताबड़तोड़ हमला
जैसे ही बुलडोज़र को खुली छूट दी गयी, उसका आबादी के ग़रीब तबक़े की ओर बढ़ना तय था। रेवंत रेड्डी सरकार अब हैदराबाद में ग़रीब मेहनतकश लोगों के सपनों, आकांक्षाओं और आजीविका को मिट्टी में कुचलने का काम कर रही है। लोगों के घरों पर बुलडोज़र चलाने और उनकी आजीविका को नष्ट करने का भयावह दृश्य हैदराबाद में रोज़मर्रे की बात हो चुकी है। कई सामाजिक कार्यकर्ता और पर्यावरणवादी रेवंत रेड्डी सरकार की इस कार्रवाई का यह कह कर समर्थन कर रहे हैं कि वह झीलों को बचाने और बाढ़ रोकने का प्रयास ईमानदारी से कर रही है। हालाँकि, मुख्यमन्त्री की पर्यावरण हितैषी छवि के इस दावे पर एक बड़ा सवालिया निशान तब खड़ा हो जाता है जब हम देखते हैं कि यह वही सरकार है जो प्रदेश के विकाराबाद ज़िले के दामागुंडम जंगलों में नौसेना का रडार स्टेशन बनाने के लिए लगभग 12 लाख पेड़ों की योजनाबद्ध कटाई की योजना पर एक शातिराना चुप्पी बनाये रखती है। इस रडार स्टेशन को बनाने के लिए लगभग 3000 एकड़ वन भूमि नौसेना को सौंपने की योजना है। इसी तरह, यह साबित करने के भी पर्याप्त उदाहरण हैं कि जब बात कांग्रेस पार्टी के सदस्यों के स्वामित्व वाली संरचनाओं को ध्वस्त करने की आती है तो हाइड्रा के कर्मचारी उतना उत्साह नहीं दिखा रहे हैं।