दिल्ली में सीवर लाइन बनाने वाले मज़दूरों के हालात
सीवर लाइन बिछाने वाली कम्पनी और कॉण्ट्रेक्टर दोनों गुजरात के हैं और सभी मज़दूरों को भी ठेके पर गुजरात से ही लाया गया है। इन्हें 1 मीटर लम्बाई और 1 मीटर गहराई का गड्ढा खोदने के 120 रुपये मिलते हैं। एक मज़दूर अधिकतम दिनभर में 5-6 मीटर ही गड्ढा खोद पाता है जिसके लिए उन्हें सुबह 6 बजे से लगातार रात 8 बजे तक खुदाई करनी पड़ती है। यानी औसतन 5 मीटर गड्ढे खोदने पर उनकी 600 रुपये की दिहाड़ी बनती है जिसके लिए उन्हें 14 घण्टे काम करना पड़ता है। इन मज़दूरों लिए छुट्टी का कोई मतलब नहीं है, कई बार पूरी रात भी ओवरटाइम लगाना पड़ता है। बरसात होने या किसी भी अन्य स्थिति में काम न होने पर इन्हें कुछ नहीं मिलता है क्योंकि इनका ठेका तो 120 रुपये प्रति मीटर की खुदाई का है। इस 45-50 डिग्री सेल्सियस की गर्मी में कम्पनी, काण्ट्रेक्टर या ठेकेदार की तरफ़ से लोगों के लिए पीने के पानी तक का इन्तज़ाम भी नहीं किया जाता है। ये मज़दूर साधारण प्याऊ या जनता के बीच से ही पीने के पानी का इन्तज़ाम करते हैं।