पेट्रोल में इथेनॉल की मिलावट के नाम पर भाजपा ने दिया एक और “राष्ट्रवादी” लूट को अंजाम!
भारत
हाल के दिनों में 20 प्रतिशत इथेनॉल ब्लेण्डेड पेट्रोल (E20) देशव्यापी स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है। यानी अब से जो पेट्रोल आप गाड़ियों के लिए इस्तेमाल करेंगे, उसमें 20 प्रतिशत इथेनॉल मिला होगा। बता दें कि 2014 में पेट्रोल में केवल 1.5% इथेनॉल मिलाया जाता था। इथेनॉल एक तरह का बायोफ्यूल है, जो मुख्य रूप से गन्ने की प्रोसेसिंग के दौरान बनता है। इसे पेट्रोल में मिलाकर इस्तेमाल किया जा सकता है, जिससे न सिर्फ़ फॉसिल फ्यूल पर निर्भरता घटती है, बल्कि प्रदूषण भी कम होता है। पर इसका एक साइड-इफ़ेक्ट भी है। 10% से 20% तक की ब्लेण्डिंग पर पुराने इंजन जल्दी घिसने लगते हैं। इथेनॉल में पानी खींचने की प्रवृत्ति ज़्यादा होती है, जिससे ईंधन टैंक और पाइपलाइन में ज़ंग बढ़ सकती है। देश भर से ख़बरें आ रही हैं कि इथेनॉल के इस्तेमाल से गाड़ियों के इंजन ख़राब होने लगे हैं और गाड़ियों की माइलेज भी कम हो गयी है। नीति आयोग के आँकड़ों के मुताबिक भी इथेनॉल के इस्तेमाल से गाड़ियों की माइलेज में 6 प्रतिशत की गिरावट हुई है।
केन्द्र सरकार की बॉयोफ्यूल नीति का नितिन गडकरी ज़ोर-शोर से प्रचार कर रहे हैं। वैसे गडकरी तो सड़क परिवहन और राजमार्ग मन्त्री हैं, पेट्रोलियम विभाग से गडकरी का सीधा कोई सम्बन्ध नहीं है, पर इथेनॉल से उनका गहरा सम्बन्ध है, जिसके बारे में आगे बात करेंगे। इथेनॉल को लेकर गडकरी का कहना है कि पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने से आयात बिल घटेगा और गन्ने की अतिरिक्त खपत से किसानों की आय बढ़ेगी। इसी साल जून में गडकरी ने सरकार के आगे प्रस्ताव रखा कि कच्चे इथेनॉल पर जी.एस.टी 18 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत कर दिया जाये। 2018 में भी नितिन गडकरी ने दावा किया था कि इथेनॉल ब्लेण्डिंग से पेट्रोल की क़ीमत 55 रुपये प्रति लीटर और डीज़ल की क़ीमत 50 रुपये प्रति लीटर तक कम हो सकती है। इथेनॉल का इस्तेमाल कर लाखो-करोडों रुपये बचाने के बाद भी, आज-कल पेट्रोल की क़ीमत क्या है, ये तो आप जानते ही होंगे! आप सोचेंगे इसमें क्या अलग बात है, गडकरी सरकार के मन्त्री हैं, तो उसकी योजनाओं का प्रचार करेंगे ही। पर असल में पर्दे के पीछे दूसरा खेल जारी है। इथेनॉल का इस्तेमाल बढ़ाने पर गडकरी का ज़ोर इसलिए है, ताकि उनके बेटों की कम्पनियों को फ़ायदा पहुँच सके। सदाचार का चोला ओढ़कर घूमने वाले नीतिन गडकरी ने इथेनॉल के ज़रिये अपने बेटों को फ़ायदा पहुँचाने के लिए एक “राष्ट्रवादी” लूट को अंजाम दिया है। मोदी सरकार की इथेनॉल ब्लेण्डिंग नीति से सबसे ज़्यादा फ़ायदा गडकरी के बेटो की कम्पनियों को ही हुआ है। इससे भाजपाईयों का दोमुहाँपन फ़िर से उजागर हो गया है। कैसे? आइए जानते हैं!
सन 2016-17 में नितिन गडकरी ने अपनी कम्पनी ‘पूर्ति समूह’ से दो अलग-अलग कम्पनियाँ बनायी – ‘मानस एग्रो’ और ‘सी.आई.ए.एन एग्रो इण्डस्ट्रीज़’। गडकरी ने इन कम्पनियों को ‘पूर्ति समूह’ से अलग करके इन दोनों की कमान अपने बेटों सारंग और निखिल गडकरी को सौंप दीं। इन कम्पनियों का प्रमुख उत्पाद इथेनॉल है। ‘मानस एग्रो इण्डस्ट्रीज़’ कप्तान और होल स्टोन नाम से रम और व्हिस्की का उत्पादन कर रही है। इस कम्पनी का एक शेयर डेढ़ साल पहले मात्र 40 रुपये था, पर अब यह शेयर बढ़कर 668 रुपये का हो गया है। वहीं निखिल गडकरी की कम्पनी ‘सी.आई.ए.एन एग्रो’ ने 2024 में इथेनॉल सेक्टर में क़दम रखा। इससे पहले यह मसाला और खाने के तेल बेचने वाली कम्पनी थी। 2024 में कम्पनी का टर्नओवर 171 करोड़ था, जोकि 2025 में बढ़कर 1029 करोड़ हो गया। इस कम्पनी के शेयर की क़ीमत जनवरी, 2025 में 41 रुपये थी, जो कि अब बढ़कर 850 रुपये से अधिक हो गयी है यानी इनकी क़ीमतों में 552 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। सिर्फ़ एक साल में यह कम्पनी इथेनॉल उत्पादन में देश की सबसे बड़ी कम्पनी बन चुकी है। यही है भाजपा के नेता-मन्त्रियों की “राष्ट्रवादी” लूट!
ये सिर्फ़ गडकरी के बेटो की “सफ़लता” की कहानी नहीं है, बल्कि भाजपा के पूरे कुनबे का यही हाल है। अमित शाह के बेटे जय शाह के बारे में तो सब जानते ही हैं कि कैसे वह बी.सी.सी.आई के अध्यक्ष पद से होते हुए आज आई.सी.सी का चैयरमैन बना बैठा है। परिवादवाद का विरोध करने वाली भाजपा, सत्ता में आने के बाद से अपने सगे-सम्बन्धियों को तो फ़ायदा पहुँचाती ही रही है और ख़ासतौर पर अपने बेटे-बेटियों के लिए इन्होनें “अच्छे दिनों” का पूरा इन्तज़ाम कर दिया है।
आइए जानते हैं, भाजपा के कुछ नेताओं के बच्चों के बारे में:
~ शिवराज सिंह चौहान के बेटे कार्तिकेय ने अमेरिका की पेनसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी से एल.एल.एम की डिग्री ली है।
~ राजनाथ सिंह के बेटे नीरज सिंह ने ब्रिटेन की लीड्स यूनिवर्सिटी से एम.बी.ए किया है।
~ पीयूष गोयल के बेटे-बेटी हार्वर्ड से पढ़कर इन्वेस्टमेंट बैंकर बन गये हैं।
~ रविशंकर प्रसाद का बेटा आदित्य शंकर न्यूयॉर्क की कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई करके वक़ालत कर रहा है।
~ निर्मला सीतारमण की बेटी वांग्मयी ने अमेरिका की नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी से एम.ए किया है।
~ प्रकाश जावडेकर के बेटे ने बोस्टन यूनिवर्सिटी से पी.एच.डी की है।
~ एस जयशंकर के बेटे ध्रुव ने अमेरिका की जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी से एम.ए किया है और अब वहीं बस गया है। बेटी मेधा ने डेनिसन यूनिवर्सिटी से बी.ए किया है।
~ ज्योतिरादित्य सिंधिया के बेटे महाआर्यमन ने येल यूनिवर्सिटी से डिग्री ली है और अब मध्य प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन का अध्यक्ष है।
~ हर्षवर्धन के बेटे सचिन ने मेलबर्न की यूनिवर्सिटी से फाइनेंस एण्ड अकाउन्टेंसी का कोर्स किया है।
~ जितेन्द्र सिंह के बेटे अरुणोदय ने ऑक्सफोर्ड से डिग्री ली है।
~ हरदीप पुरी की बेटी तिलोत्तमा ने ब्रिटेन की वॉरिक यूनिवर्सिटी से बी.ए करके लन्दन यूनिवर्सिटी कॉलेज से एल.एल.एम किया है और यू.एस में बस गयी है।
~ गजेन्द्र सिंह शेखावत की बेटी सुहासिनी ने ऑक्सफोर्ड से डिप्लोमा किया है।
ये चन्द भाजपा नेताओं और उनके बच्चों के नाम हैं। वैसे ये सूची बहुत लम्बी है। आपने अक्सर भाजपा-संघ के नेताओं को कहते सुना होगा कि हिन्दू ख़तरे में है, इसलिए धर्म की रक्षा के लिए हर हिन्दू को आगे आना चाहिए। सभी त्यौहारों में साम्प्रदायिक उन्माद फैलाने के लिए भाजपा-संघ के लोग नौजवानों को हाथों में तलवार पकड़ाते हैं और इसे धर्म की रक्षा करना बताते हैं। जब कहीं दंगे कराने होते हैं, आम घरों के नौजवानों को आगे कर दिया जाता है। पर क्या आपने कभी सोचा है कि भाजपा-संघ के लोग अपने बच्चों को इन उन्मादी रैलियों में शामिल क्यों नहीं करते, उनके हाथों में तलवार क्यों नहीं थमाते? धर्म की रक्षा के लिए अपने बच्चों को आगे खड़ा क्यों नहीं करते? वैसे तो भाजपा-संघ के नेता स्वदेशी की बात करते हैं लेकिन अपने बच्चों को विदेशों में पढ़ाते हैं! एक तरफ़ देश के युवा बेरोज़गारी की मार झेल रहे हैं, आये-दिन पेपर लीक की घटनाएँ हो रही हैं, पर दूसरी तरफ़ भाजपाईयों के बेटे-बेटियाँ विदेशों में ऐशो-आराम की ज़िन्दगी जी रहे हैं। अब से कहीं भी आपकों भाजपा-संघ के लोग मिलें, तो इनको ऊपर दी गयी सूची दिखाइये और पूछिये कि अपने बेटे-बेटियों को भी धर्म की रक्षा के लिए लेकर क्यों नहीं आते हैं? इससे इन संघी फ़ासिस्टों का “सादगी-सदाचार-सभ्यता” का नक़ाब उतर जाता है और इनका चाल-चरित्र-चेहरा सामने आ जाता है, जिससे इनकी नीचता-नंगई खुलकर दिख जाती है।
बहरहाल अब तक आप समझ चुके होंगे कि किस प्रकार भाजपा इथेनॉल के ज़रिये एक नयी “राष्ट्रवादी” लूट को अंजाम दे रही है। दरअसल “अच्छे दिन” और “देश के विकास” के जो हवाई गोले भाजपा ने 2014 में छोड़े थे वे इनके अपनों के लिए ही थे, जिसमें भाजपा नेता, उनके परिवार और पूँजीपतियों की जमात शामिल हैं।
मज़दूर बिगुल, अक्टूबर 2025













