लुधियाना के एक मजदूर का पत्र
मज़दूरों को पहले ही श्रम कानूनों के तहत अधिकार नहीं मिल रहे। ऊपर से श्रम कानूनों को सरल बनाने के नाम पर कानूनी तौर पर भी श्रम अधिकार खत्म करने की कोशिश हो रही है। सबसे पहले राजस्थान की भाजपा सरकार ने श्रम अधिकारों पर बड़ा हमला किया। पहले कानून था कि 100 से अधिक श्रमिकों को रोजगार देने वाली कम्पनी को बन्द करने से पहले श्रम विभाग से मंजूरी लेनी होती थी। राजस्थान सरकार ने इसे बढ़ाकर 300 कर दिया। यह तो बस शुरुआत थी। इसके बाद कई राज्यों की सरकारों ने मज़दूरों के अधिकारों पर ऐसे हमले तेज कर दिये और केन्द्र सरकार ने मज़दूर हितों पर पूरी बमबारी की तैयारी कर ली है। पूँजीवादी लेखकों से इसके पक्ष में लेख लिखवा कर श्रम अधिकारों को कानूनी तौर पर खत्म करने का माहौल बनाया जा रहा है।