देश के मज़दूरों से अलग नहीं है पानीपत के मज़दूरों के हालात!
फ़ैक्टरी रिहाइश से करीब 15 किलोमीटर दूर है, आने-जाने की व्यवस्था ख़ुद ही करनी पड़ती है थोड़ा सा लेट होने पर आधे दिन की तनख़्वाह काट ली जाती है। पिछले दिनों ही अलग-अलग करके करीब सौ मज़दूरों की छुट्टी कर दी गयी थी। बच्चों से भी फ़ैक्टरी में काम करवाया जाता है। जब कभी इंस्पेक्शन होती है प्लाण्ट बन्द दिखाकर बच्चों को हटा दिया जाता है और काम फिर से चालू हो जाता है। यह हाल केवल हमारी फ़ैक्टरी का ही नहीं है बल्कि पानीपत भर के पूरे औद्योगिक इलाक़े के ऐसे ही हालात हैं। कुछ धन्धेबाज़ यूनियनें काम करती हैं लेकिन मज़दूरों की कोई व्यापक एकजुटता नहीं है। मुझे आधी से ज़्यादा उम्र काम करते हो गयी, अभी तक सिर पर अपनी छत नहीं है। किराये के मकान में किसी तरह रहना पड़ता है। मैंने देश के कई हिस्सों में देखा है कि मज़दूर कहीं भी अच्छे हालात में नहीं हैं।


















