मारुति के मज़दूर एक बार फिर संघर्ष की राह पर!
मारुति के मज़दूरों के संघर्ष के अनुभव ने भी हमें यही सिखाया है कि जब तक इलाक़े के तमाम मज़दूर एक-दूसरे का साथ नहीं देंगे तबतक एक-एक कारख़ाने के मज़दूर अकेले-अकेले लड़कर आम तौर पर नहीं जीत सकते। सभी ठेका-कैजुअल-अप्रेण्टिस-ट्रेनी मज़दूरों की माँगों को उठाकर हमें व्यापक एकता बनानी होगी। इसी तर्ज़ पर आने वाले दिनों में ऑटो सेक्टर की इलाक़ाई व सेक्टरगत यूनियन और एकता का निर्माण करना होगा। तभी हम मौजूदा हालात को देखते हुए उपरोक्त चुनौतीपूर्ण स्थिति का मुक़ाबला कर पायेंगे। मज़दूर चाहे बर्ख़ास्त हों या प्लाण्ट में कार्यरत, सबको तत्काल एक मंच पर आना ही होगा। वरना ग़ुलामों की तरह काम करने और जानवरों की तरह मरने के लिए तैयार रहना होगा! आज मारुति के बर्ख़ास्त मज़दूर पूँजी, प्रबन्धन, पुलिस-प्रशासन और सरकार की मिली-जुली ताक़त का अकेले मुक़ाबला नहीं कर पायेंगे। हम मिलकर लड़ेंगे, तभी जीतेंगे!