मारुति-सुजुकी के बेगुनाह मज़दूरों को उम्रक़ैद व अन्य सज़ाओं के खि़लाफ़ लुधियाना में ज़ोरदार प्रदर्शन
संघर्षशील मज़दूरों की नाजायज़ सज़ाएँ तुरन्त रद्द करने की माँग

बिगुल संवाददाता

4 और 5 अप्रैल को मारुति-सुजुकी के 13 नेताओं को उम्रक़ैद की सज़ा देने के खि़लाफ़ और सभी मज़दूरों को बिना शर्त रिहा करवाने, सभी मज़दूरों को काम पर वापिस लेने, जेलों में नाजायज़ बन्द रखने के लिए मुआवज़ा, ठेकेदारी व्यवस्था बन्द करवाने आदि माँगों के तहत देशव्यापी प्रदर्शनों का आह्वान किया गया था। इसके तहत लुधियाना में 5 अप्रैल को मज़दूर, मुलाजिम, नौजवान, छात्र, जनवादी संगठनों द्वारा सैकड़ों की संख्या में एकजुट होकर रोष प्रदर्शन किया। डीसी कार्यालय पर भारत के राष्ट्रपति के नाम माँगपत्र सौंपा गया।
विभिन्न संगठनों की सभा को सम्बोधित करते हुए विभिन्न वक्ताओं ने कहा कि एक बहुत बड़ी साजि़श के तहत़ क़त्ल, इरादा क़त्ल जैसे पूरी तरह झूठे केसों में फँसाकर पहले तो 148 मज़दूरों को चार वर्ष से अधिक समय तक, बिना ज़मानत दिये, जेल में बन्द रखा गया और अब गुड़गाँव की अदालत ने नाजायज़ ढंग से 13 मज़दूरों को उम्रक़ैद और चार को 5-5 वर्ष की क़ैद की कठोर सज़ा सुनाई है। 14 अन्य मज़दूरों को चार-चार साल की सज़ा सुनाई गयी है लेकिन चूँकि वे पहले ही लगभग साढे़ चार वर्ष जेल में रह चुके हैं इसलिए उन्हें रिहा कर दिया गया है। 117 मज़दूरों को, जिन्हें बाक़ी मज़दूरों के साथ इतने सालों तक जेलों में ठूँसकर रखा गया, उन्हें बरी करना पड़ा है। सबूत तो बाक़ी मज़दूरों के खि़लाफ़ भी नहीं है लेकिन फिर भी उन्हें जेल में बन्द रखने का बर्बर हुक्म सुनाया गया है।

वक्ताओं ने कहा कि यह फै़सला पूरी तरफ़ बेइंसाफ़ी भरा है। बहुत सारे तथ्य स्पष्ट तौर पर मज़दूरों का बेगुनाह होना साबित कर रहे थे, लेकिन इन्हें अदालत ने नज़रअन्दाज कर मज़दूरों को ही दोषी क़रार दे दिया क्योंकि पूँजी निवेश को बढ़ावा जो देना है! वास्तव में मारुति-सुजुकी घटनाक्रम के ज़रिये लुटेरे हुक्मरानों ने ऐलान किया है जो भी आवाज़़ लूट-शोषण के खि़लाफ़ उठेगी वो कुचल दी जायेगी।

वक्ताओं ने कहा कि आज देसी-विदेशी कम्पनियों के हितों में श्रम क़ानूनों में संशोधनों, काले क़ानून बनाने, संघर्षशील लोगों की आवाज़़ कुचलने, जनवादी अधिकार छीनने जैसी नीतियों को भारतीय हुक्मरान धड़ाधड़ अंजाम दे रहे हैं। जनपक्षधर बुद्धिजीवियों, पत्रकारों, कलाकारों तक का दमन हो रहा है, उन्हें जेलों में ठूँसा जा रहा है। जनएकजुटता को तोड़ने के लिए धर्म, जाति, क्षेत्र के नाम पर बाँटने की साजि़शें पहले किसी भी समय से कहीं अधिक तेज़ हो चुकी हैं। जहाँ जनता को बाँटा न जा सके, जहाँ लोगों का ध्यान असल मुद्दों से भटकाया न जा सके, वहाँ जेल, लाठी, गोली से कुचला जा रहा है। यही मारुति-सुजुकी मज़दूरों के साथ हुआ है। लेकिन जुल्मो-सितम से न कभी जनआवाज़़ दबाई जा सकी है, न कभी दबाई जा सकेगी।

प्रदर्शन को टेक्सटाईल-हौज़री कामगार यूनियन के नेता राजविन्दर, नौजवान भारत सभा के नेता ऋषि, मोल्डर एण्ड स्टील वर्क़र्ज़ यूनियनों के नेता हरजिन्दर सिंह और विजय नारायण, मज़दूर संघर्ष अभियान के कंवलजीत खन्ना, जनवादी अधिकार सभा के नेता हरप्रीत सिंह जीरख, पंजाब स्टूडेंट्स यूनियन के नेता कर्मजीत, ठेका मुलाजिम संघर्ष मोर्चा के नेता कुलदीप सिंह बुच्चोवाल सहित सीटू, ऐटक, कामागाटामारू यादगारी कमेटी के नेताओं ने सम्बोधित किया। स्त्री मज़दूर संगठन की नेता बलजीत, कारख़ाना मज़दूर यूनियन के नेता गुरजीत (समर), पेंडू मज़दूर यूनियन (मशाल) के नेता सुखदेव भूँदड़ी, जनसंघर्ष मंच (हरियाणा) की नेता कविता आदि ने साथियों सहित प्रदर्शन में शामिल होकर मारुति-सुजुकी मज़दूरों के अधिकारपूर्ण संघर्ष का समर्थन किया।

मज़दूर बिगुल, अप्रैल 2017


 

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