मई दिवस और मौजूदा दौर में मज़दूर वर्ग के समक्ष चुनौतियाँ
एक ऐसे वक़्त में हम मई दिवस मना रहे हैं जब मज़दूरों से उन अधिकारों को ही छिना जा रहा है जिन्हें मई दिवस के शहीदों की शहादत और मजदूर वर्ग के बेमिसाल संघर्षों के बाद हासिल किया गया था। दुनिया भर में फ़ासीवादी और धुर-दक्षिणपंथी सरकारें सत्ता में पहुँच रही हैं जो मज़दूर अधिकारों पर पाटा चला रही हैं। यह दौर नवउदारवादी हमले का दौर है। ठेकाकरण, अनौपचारिकीकरण, यूनियनों को ख़त्म किया जाना और श्रम क़ानूनों को ख़त्म किया जाना मज़दूर वर्ग के समक्ष चुनौती है। तुर्की के मज़दूर वर्ग के कवि नाज़िम हिकमत ने एक कविता में कहा था कि यह जानने के लिए कि हमें कहाँ जाना है यह जानना ज़रूरी होता है कि हम कहाँ से आये हैं। मई दिवस के आज के दौर की चुनौतियों की थाह लेने से पहले हम एक बार अपने अतीत पर निगाह डालें तो इस चुनौती का सामना करने का रास्ता भी मिल जायेगा।