स्तालिन – सभी को काम, सभी को आज़ादी, सभी को बराबरी!
हर वर्ग के अपने उत्सव होते हैं। कुलीन सामन्त ज़मींदार वर्ग ने अपने उत्सव चलाये और इन उत्सवों पर उन्होंने ऐलान किया कि किसानों को लूटना उनका ”अधिकार” है। पॅूंजीपति वर्ग के अपने उत्सव होते हैं और इन पर वे मज़दूरों का शोषण करने के अपने ”अधिकार” को जायज़ ठहराते हैं। पुरोहित-पादरियों के भी अपने उत्सव हैं और उन पर वे मौजूदा व्यवस्था का गुणगान करते हैं जिसके तहत मेहनतकश लोग ग़रीबी में पिसते हैं और निठल्ले लोग ऐशो-आराम में रहकर गुलछर्रे उड़ाते हैं। मज़दूरों के भी अपने उत्सव होने चाहिए जिस दिन वे ऐलान करें: सभी को काम, सभी के लिए आज़ादी, सभी लोगों के लिए सर्वजनीन बराबरी। यह उत्सव है मई दिवस का उत्सव।