अक्टूबर क्रान्ति के नेता वी.आई. लेनिन के तीन विचारणीय उद्धरण
लोग राजनीति में हमेशा से धोखाधड़ी और ख़ुद को धोखे में रखने के नादान शिकार हुए हैं और तब तक होते रहेंगे जब तक वे तमाम नैतिक, धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक कथनों, घोषणाओं और वायदों के पीछे किसी न किसी वर्ग के हितों का पता लगाना नहीं सीखेंगे।