Category Archives: महान शिक्षकों की क़लम से

अमेरिकी साम्राज्यवाद काग़ज़ी बाघ है / माओ त्से-तुङ U.S. Imperialism is a paper tiger / Mao Zedong

जब साम्राज्यवाद को नेस्तनाबूद कर दिया जायेगा, केवल तभी शान्ति क़ायम हो सकती है। वह दिन ज़रूर आयेगा जब काग़ज़ी बाघों का सफ़ाया कर दिया जायेगा। लेकिन वे अपने आप ख़त्म नहीं हो जायेंगे, उन पर आँधी-वर्षा के थपेड़े पड़ना ज़रूरी है।

मज़दूर वर्ग के महान शिक्षक कार्ल मार्क्स के दो उद्धरण

“अपने साहस, दृढ़निश्चय और आत्म-बलिदान के दम पर मज़दूर ही जीत हासिल करने के लिए मुख्य तौर पर ज़िम्मेदार  होंगे। निम्न पूँजीपति वर्ग (मध्य वर्ग – अनु.) जब तक सम्भव हो तब तक हिचकिचाएगा और भयभीत, ढुलमुल और निष्क्रिय बना रहेगा; लेकिन जब जीत सुनिश्चि‍त हो जायेगी तो यह उस पर अपना दावा करेगा और मज़दूरों से क़ायदे से पेश आने के लिए कहेगा, और सर्वहारा वर्ग को यह जीत के फलों से वंचित कर देगा। …बुर्जुआ जनवादियों के शासन में, शुरू से ही, इसके विनाश के बीज छिपे होंगे, और अन्ततोगत्वा सर्वहारा द्वारा इसे प्रतिस्थापित कर दिया जाना आसान बना दिया जायेगा।”    (‘फ्रांस में वर्ग संघर्ष’)

लेनिन – समाजवादी क्रान्ति और राष्ट्रों के आत्मनिर्णय का अधिकार (लेख के अंश)

समाजवादी क्रान्ति कोई एकल कार्य नहीं है, एक मोर्चे पर एक एकल लड़ाई नहीं है; बल्कि तीखे वर्ग संघर्षों का एक पूरा युग है, सभी मोर्चों पर लड़ाइयों की, यानी, अर्थशास्त्र और राजनीति की सभी समस्याओं के इर्द-गिर्द लड़ाइयों एक लम्बी श्रृंखला है, जो तभी ख़त्म हो सकती है जब पूँजीपति वर्ग का स्वत्वहरण कर दिया जायेगा। यह मानना ​​एक बुनियादी ग़लती होगी कि जनवाद के लिए संघर्ष सर्वहारा वर्ग को समाजवादी क्रान्ति से भटका सकता है, या उस लक्ष्य को धुँधला या ढँक सकता है, आदि। इसके विपरीत, जिस तरह समाजवाद तब तक विजयी नहीं हो सकता जब तक कि वह पूर्ण जनवाद लागू न करे, उसी तरह सर्वहारा वर्ग पूँजीपति वर्ग पर विजय के लिए तब तक तैयार नहीं हो पायेगा जब तक कि वह जनवाद के लिए बहुआयामी, सुसंगत और क्रान्तिकारी संघर्ष नहीं छेड़ता है।

विश्व सर्वहारा के महान क्रान्तिकारी शिक्षक एंगेल्स के जन्मदिवस (28 नवम्बर) पर

मार्क्स से मुलाकात से पहले ही मार्क्स और एंगेल्स के विचारों में इतनी समानता थी कि पूँजीवादी समाज के बारे में दोनों ही लगभग समान निष्कर्ष तक पहुँच चुके थे। इसी का परिणाम था कि अपनी पहली मुलाकात के वर्ष में ही दोनों के साझे प्रयास से “पवित्र परिवार” नामक पुस्तक प्रकाशित हुई। जिसका उद्देश्य मुख्यतः जनता के लिए परिकल्पनात्मक दर्शन की भ्रान्तियों का खण्डन करना था। ‘पवित्र परिवार’ के प्रकाशित होने से पहले ही एंगेल्स ने मार्क्स और रूगे की जर्मन फ़्रांसीसी पत्रिका में अपनी रचना “राजनीतिक अर्थशास्त्र पर आलोचनात्मक निबन्ध” प्रकाशित किया था जिसमें उन्होंने समाजवादी दृष्टिकोण से समकालीन, आर्थिक व्यवस्था की परिघटनाओं को जाँचा-परखा और पाया कि ये निजी स्वामित्व के प्रभुत्व के अनिवार्य परिणाम हैं। 1845 में एंगेल्स ने अपना व्यावसायिक जीवन और परिवार त्याग दिया और बार्मेन छोड़कर ब्रसेल्स चले गये। ब्रसेल्स में ही एंगेल्स ने मार्क्स के साथ मिलकर अपने दार्शनिक और आर्थिक सिद्धान्तों को प्रतिपादित करने का काम शुरू किया।

अक्टूबर क्रान्ति के नेता वी.आई. लेनिन के तीन विचारणीय उद्धरण

लोग राजनीति में हमेशा से धोखाधड़ी और ख़ुद को धोखे में रखने के नादान शिकार हुए हैं और तब तक होते रहेंगे जब तक वे तमाम नैतिक, धार्मिक, राजनीतिक और सामाजिक कथनों, घोषणाओं और वायदों के पीछे किसी न किसी वर्ग के हितों का पता लगाना नहीं सीखेंगे।

लेनिन – आर्थिक संघर्ष के पीछे राजनीतिक प्रचार कार्य को भुलाओ मत!

…सभी देशों के मज़दूर आन्दोलन के इतिहास से यह पता चलता है कि मज़दूरों के सबसे अग्रणी संस्तर ही समाजवाद के विचारों को सबसे पहले और सबसे अच्छी तरह ग्रहण करते हैं। इन संस्तरों से ही वे हरावल मज़दूर आते हैं जिन्हें हर मज़दूर आन्दोलन आगे बढ़ाता है, वे मज़दूर जो मज़दूर समूहों का पूरा विश्वास पा सकते हैं, जो सर्वहारा की शिक्षा और संगठन के कार्य में अपना सर्वस्व अर्पित करते हैं, जो पूरी तरह सचेतन रूप से समाजवाद को स्वीकार करते हैं और जिन्होंने स्वतंत्र रूप से समाजवादी सिद्धान्त निरूपित तक कर लिये हैं।

अन्तरराष्ट्रीय सर्वहारा के महान नेता स्तालिन के स्मृति दिवस (5 मार्च 1953) के अवसर पर दो उद्धरण

“स्वतःस्फूर्तता की पूजा करने का सिद्धान्त फैसलाकुन तौर पर मज़दूर वर्ग के आन्दोलन के क्रान्तिकारी चरित्र का विरोधी है; यह मज़दूर वर्ग के आन्दोलन द्वारा पूँजीवाद की बुनियादों के ख़िलाफ़ संघर्ष करने की लाइन अपनाने का विरोधी है; यह इस पक्ष में होता है कि आन्दोलन सिर्फ़ उन्हीं माँगों की लाइन पर आगे बढ़े जिन्हें “हासिल कर पाना मुमकिन” हो, यानी जो पूँजीवाद के लिए “स्वीकार्य” हों; यह पूरी तरह से “न्यूनतम प्रतिरोध की लाइन” के पक्ष में होता है। स्वतःस्फूर्तता का सिद्धान्त ट्रेडयूनियनवाद की विचारधारा होता है।

सारी दुनिया के मज़दूरों के नेता और शिक्षक कार्ल मार्क्स के जन्मदिवस (5 मई) पर

मज़दूरी की दर अपेक्षाकृत ऊँची होने के बावजूद श्रम की उत्पादन-शक्ति के बढ़ने से पूँजी का संचय तेज़ हो जाता है। इससे एडम स्मिथ की तरह, जिसके ज़माने में आधुनिक उद्योग अपने बाल्य-काल में ही था, कोई यह नतीजा निकाल सकता है कि पूँजी का संचय तेज़ होने से मज़दूर का पलड़ा भारी हो जायेगा, क्योंकि उसके श्रम की माँग बढ़ेगी। इसी दृष्टिकोण से सोचते हुए बहुत-से तत्कालीन लेखकों ने इस बात पर आश्चर्य प्रकट किया है कि यद्यपि पिछले बीस वर्षों में अंग्रेज़ पूँजी इंग्लैण्ड की आबादी के मुक़ाबले में बहुत तेज़ी से बढ़ी है, पर मज़दूरी बहुत नहीं बढ़ी।

चीनी क्रान्ति के नेता और मज़दूर वर्ग के महान शिक्षक माओ त्से-तुङ के जन्मदिवस (26 दिसम्बर) के अवसर पर

पिछले बीस साल से ज़्यादा अरसे से हमारी पार्टी रोज़ाना जन-कार्य कर रही है, तथा पिछले दस-बारह वर्षों से वह रोज़ाना जनदिशा की चर्चा कर रही है। हमारा हमेशा यह मत रहा है कि क्रान्ति को विशाल जन-समुदाय पर निर्भर रहना चाहिए और सभी लोगों के प्रयत्नों पर निर्भर रहना चाहिए, तथा महज़ चन्द आदमियों द्वारा आदेश जारी किये जाने का हमने हमेशा विरोध किया है। लेकिन अब भी कुछ साथी अपने काम में जनदिशा को पूरी तरह कार्यान्वित नहीं करते।

फ़ासिस्टों को धूल चटाने वाले मज़दूर वर्ग के महान क्रान्तिकारी नेता और शिक्षक जोसेेफ़ स्तालिन के जन्मदिवस (21 दिसम्बर) के अवसर पर

फ़ासिस्टों को धूल चटाने वाले मज़दूर वर्ग के महान क्रान्तिकारी नेता और शिक्षक जोसेेफ़ स्तालिन के जन्मदिवस (21 दिसम्बर) के अवसर पर