“हिन्दू जोड़ो यात्रा” के अगुवा बागेश्वर धाम के धीरेन्द्र शास्त्री के नाम एक सरोकारी हिन्दू का खुला पत्र
एक हिन्दू जो पैसे वाला है, कारख़ाना-मालिक है, पूँजीपति है, धनी व्यापारी है और दूसरा हिन्दू जो मज़दूर, मेहनतकश है, ग़रीब है, उनके बीच बहुत भारी अन्तर है। पहले वाला हिन्दू दूसरे वाले को न्यूनतम मज़दूरी नहीं देता, 8 घण्टेे के काम के दिन का अधिकार नहीं देता, उनके बोनस व अन्य लाभ चोरी कर-करके अपनी तिजोरी भर रहा है, जबकि दूसरा ग़रीब मेहनतकश मज़दूर हिन्दू उसके शोषण के जुए के नीचे पिस रहा है, जबकि अमीर मालिक-सेठ-व्यापारी हिन्दुओं की समस्त समृद्धि की बुनियाद में तो इस ग़रीब मेहनतकश हिन्दू की मेहनत और ख़ून-पसीना है! इन दोनों हिन्दुओं में एकता एक ही तरह से स्थापित हो सकती है: सारे हिन्दुओं को मेहनत-मशक़्क़त और शारीरिक श्रम करना चाहिए जिससे कि समाज की समूची सम्पदा पैदा होती है। अगर कुछ हिन्दू मालिक बने रहें और कुछ उनके मज़दूर, तो “हिन्दू एकता” कैसे स्थापित होगी?