याकूब मेमन की फांसी का अन्धराष्ट्रवादी शोर – जनता का मूल मुद्दों से ध्यान भटकाने का षड्यंत्र
सरकार ने अपने जिन हितों के लिए याकूब को फांसी पर लटकाया वे हित पूरा होते दिख रहे हैं। लोग महंगाई, बेरोजगारी, जनता के लिए बजट में कटौती आदि को भूलकर याकूब को फांसी देने पर सरकार और न्याय व्यवस्था की पीठ ठोंकने में लग गये हैं। इस मुद्दे से जो साम्प्रदायिकता की लहर फैली उसको देखते हुए भी कहा जा सकता है सरकार एक बार फिर ‘बांटो और राज करो’ की नीति को कुशलता से लागू करने में कामयाब रही। इस मुद्दे को साम्प्रदायिक रंग देने में सरकार ने कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। यह जरूरी है कि इस फांसी के पीछे के सामाजिक-राजनीतिक कारणों और इसपर हुई विभिन्न प्रतिक्रियाओं के कारणों को समझ लिया जाय।