केन्द्रीय बजट 2025 : मनरेगा मज़दूरों के साथ एक बार फ़िर से छल करती मोदी सरकार
दिये गए आँकड़ों से यह साफ़ दिखता है कि सरकार का मनरेगा के तहत अपने कानूनी दायित्वों को पूरा करने का कोई इरादा नहीं है। इस अपर्याप्त बजट का अनिवार्य रूप से तीन परिणाम होंगे। पहला, मज़दूरी भुगतान में भारी देरी, जिससे लाखों ग्रामीण मज़दूरों की आर्थिक स्थिति बिगड़ेगी। दूसरा, काम की माँग का दमन होगा, या उसे दबाया जायेगा, इस तरह से लोगों को रोज़गार के उनके अधिकार से वंचित किया जायेगा। तीसरा, मनरेगा के तहत होने वाले ढाँचों के निर्माण की गुणवत्ता में गिरावट, जिससे ग्रामीण बुनियादी ढाँचा ही कमज़ोर होगा।