आर.एस.एस. के ‘हिन्दू राष्ट्र’ और इस समागम में जुटे साधु-सन्तों के ‘हिन्दू राष्ट्र’ की अवधारणाएँ बिल्कुल एक हैं। 23 दिसम्बर की आम सभा में एक वक्ता ने अत्याधिक जोश में आकर ‘हिन्दू राष्ट्र’ की सच्चाई इन शब्दों में प्रकट की कि अगर योगी आदित्यनाथ को भारत का प्रधानमंत्री बना दिया जाये तो मुसलमानों और अन्य सभी अल्पसंख्यकों को मताधिकार से वंचित कर दिया जायेगा। आर.एस.एस. के विचारक गुरु गोलवलकर की पुस्तक ‘वी एण्ड अवर नेशनहुड डिफ़ाइण्ड’ में भी हिन्दू राष्ट्र की अवधारणा इन्हीं शब्दों में व्यक्त की गयी है। गोलवलकर ने लिखा है : “…जाति और संस्कृति की प्रशंसा के अलावा मन में कोई और विचार न लाना होगा, अर्थात हिन्दू राष्ट्रीय बन जाना होगा और हिन्दू जाति में मिलकर अपने स्वतन्त्र अस्तित्व को गँवा देना होगा, या इस देश में पूरी तरह से ‘हिन्दू राष्ट्र’ की गु़लामी करते हुए, बिना कोई माँग किये, बिना किसी प्रकार का विशेषाधिकार माँगे, विशेष व्यवहार की कामना करने की तो उम्मीद ही न करे : यहाँ तक कि बिना नागरिकता के अधिकार के रहना होगा। उनके लिए इसके अलावा और कोई रास्ता नहीं छोड़ना चाहिए। हम एक प्राचीन राष्ट्र हैं। हमें उन विदेशी जातियों से जो हमारे देश में रह रही हैं उसी प्रकार निपटना चाहिए जैसे कि प्राचीन राष्ट्र विदेशी नस्लों से निपटा करते हैं।