पूँजीवादी नंगी लूट के विरोध को बाँटने-तोड़ने के लिए साम्प्रदायिक खेल शुरू!
गुजरात में आयोजित इन दोनों सम्मेलनों में पूँजीपतियों को लुभाने के लिए मोदी ने उनके सामने ललचाने वाले व्यंजनों से भरा पूरा थाल बिछा दिया – आओ जी, खाओ जी! श्रम क़ानूनों में मालिकों के मनमाफिक बदलाव, पूँजीपतियों के तमाम प्रोजेक्टों के लिए किसानों-आदिवासियों से ज़मीन हड़पने का पूरा इन्तज़ाम, कारख़ाने लगाने के लिए पर्यावरण मंज़ूरी फटाफट और बेरोकटोक करने की सुविधा, तमाम तरह की सरकारी बन्दिशों और जाँच-पड़ताल से पूरी छूट, सस्ते से सस्ता बैंक ऋण और टैक्सों में छूट। यानी ‘ईज़ ऑफ़ बिज़नेस’ (बिज़नेस करने की आसानी)!