मोदी-शाह के फ़ासीवादी राज में स्त्रियों के बद से बदतर होते हालात !
शुचिता और संस्कार का ढोंग करने वाली फ़ासीवादी भाजपा के राज ने इस पतनशील और प्रतिक्रियावादी मानसिकता और मज़बूत किया है। बलात्कारियों और हत्यारों को संरक्षण देने वाली पार्टी की सत्ता हमें स्त्री विरोधी अपराध के आँकड़ों के अम्बार के अलावा और दे भी क्या सकती है?! भाजपा के गुरू गोलवलकर का मानना था कि औरतें बच्चा पैदा करने का यन्त्र होती हैं; इनके माफ़ीवीर सावरकर का मानना था कि बलात्कार का राजनीतिक हिंसा के उपकरण के तौर पर इस्तेमाल किया जाना चाहिए। एक ऐसी पार्टी से देश की औरतें क्या उम्मीद कर सकती हैं? एक ऐसी पार्टी चिन्मयानन्द, कुलदीप सेंगर, ब्रजभूषण, साक्षी महाराज जैसे बलात्कारी पैदा करती है, आसाराम और डेरा सच्चा सौदा के राम रहीम जैसे बलात्कारियों को बचाती है, बिल्किस बानो के परिवार के हत्यारों और उसके बलात्कारियों को जेल से रिहा करती है, तो न तो यह इत्तेफ़ाक का मसला है और न ही ताज्जुब का। भाजपा जैसी स्त्री-विरोधी पार्टी यह नहीं करेगी तो और क्या करेगी?