काँवड़ यात्रियों के बहाने दुकानों पर नाम लिखने का योगी सरकार का हिटलरी फ़रमान

अदिति

फ़ासीवादी भाजपा देश की जनता में साम्प्रदायिक बँटवारे को तेज़ करने के लिये नये-नये हथकण्डे अपना रही है। मन्दिर-मस्जिद की राजनीति, साम्प्रदायिक भाषणों-बयानों, लव-जिहाद और जनसंख्या जिहाद जैसे नफ़रती प्रचारों के बाद उत्तर प्रदेश में भाजपा ने काँवड़ यात्रा में दुकानों पर नाम लिखने का निर्देश जारी किया था। कहने को तो देश का संविधान धर्म और जाति के नाम पर किसी भी तरह के भेदभाव पर रोक लगाता है, लेकिन विशेष तौर पर भाजपा के शासन में संविधान और सेकुलरिज़्म की बातों की असलियत यही है। काँवड़ यात्रा के दौरान शिव को जल अर्पित करने के लिये हरिद्वार से गंगा नदी से जल लाया जाता है। यह कह कर कि यात्रा के दौरान काँवड़ खण्डित ना हो और हलाल भोजन यात्रियों तक ना पहुँचे इसके लिये फ़ासीवादी योगी सरकार ने तानाशाही भरा फ़रमान जारी किया था। काँवड़ यात्रा के दौरान पूरे उत्तर प्रदेश में मार्ग पर पड़ने वाली दुकानों के मालिकों को अपने नाम और दुकान पर बिकने वाली खाद्य सामग्री की सूची लिखने का निर्देश दिया गया था। हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई करते हुए दुकानों पर नेम प्लेट लगाने सम्बन्धी आदेश पर रोक लगा दी है और इसपर सुनवाई जारी है। लेकिन इसके बावजूद वास्तव में संघी गुण्डों ने रास्ते में पड़ने वाली दुकानों के दुकानदारों को नाम की पट्टी लगाने को बाध्य किया है।

पिछले साल भी मुज़फ़्फ़रनगर ज़िले में काँवड़ यात्रा के मार्ग पर पड़ने वाले सभी मुसलमान मालिकों के होटल बन्द करा दिये गये थे। इनमें वे शाकाहारी होटल भी शामिल थे जहाँ खाने में प्याज-लहसुन भी नहीं डाला जाता था। इस बेहूदा आदेश के पीछे मुस्लिम दुकानदारों के ख़िलाफ़ अभियान चला रहे स्वामी यशवीर नाम के एक ढोंगी बाबा का हाथ है। इस घोर साम्प्रदायिक व्यक्ति ने आरोप लगया है कि “मुसलमान लोग खाने में थूक रहे हैं और मूत्र भी कर रहे हैं।” ऐसे अपराधी की जगह सीधे जेल में होनी चाहिए थी, लेकिन फ़ासिस्ट भाजपा उसे सर-आँखों पर बैठाकर उसके वाहियात आरोपों के आधार पर लोगों का कारोबार बन्द करा रही है। इसके ज़रिये काँवड़ के नाम पर रास्ते में गुण्डागर्दी करने व साम्प्रदायिक उन्माद पैदा करने वालो के लिए राह आसान बना रही है कि वे मुस्लिम नामों की पहचान करके उन दुकानों को निशाना बनायें। संघ परिवार व उसके अनुषंगी संगठनों द्वारा वैसे भी मुस्लिम दुकानदारों से हिन्दुओं द्वारा सामान न खरीदने का अभियान लम्बे समय से चलाया जाता रहा है।

बताते चलें कि पिछले साल के मुकाबले इस साल काँवड़ यात्रियों की संख्या में 20 प्रतिशत का इज़ाफ़ा हुआ है। इस यात्रा में आम तौर पर बेरोज़गार युवा शामिल ही शामिल होते हैं और उनकी एक अच्छा-ख़ासा हिस्सा लम्पटीकृत मज़दूरों और लम्पटीकृत टुटपुँजिया वर्ग से आने वाले लोगों का है। यात्रा के दौरान काँवड़ियों द्वारा हिंसा के भी तमाम मामले सामने आये, जो यह दर्शाता है कि धार्मिक यात्रा के नाम पर साम्प्रदायिक उन्माद पैदा करने की छूट योगी सरकार द्वारा दी गयी है। ज्ञात हो पिछले साल इन काँवड़ियों पर पुष्प वर्षा भी की गयी थी। इस बार काँवड़ यात्रा के दौरान कुछ हिंसा के उदाहरण पेश है :

  • हरियाणा के रतिया शहर में स्कूली बस से काँवड़ छूने मात्र से काँवडियों ने बच्चों से भरी बस पर हमला कर दिया। मामला में लीपा-पोती करने के लिये पुलिस द्वारा 40 अज्ञात लोगों पर एफ़ आई आर दर्ज़ की गयी। इस घटना में संजू और विक्की जो बजरंग दल से जुड़े है उन्हें शामिल पाया गया।
  • 1 अगस्त को हापुड़ के सिकन्दर गेट स्थित मदरसे पर काँवड़ियों ने धावा बोल दिया और आरोप लगाया कि मदरसे से किसी ने थूका है।
  • 27 जुलाई को मुरादनगर में रावली रोड़ के पास कार चालक द्वारा काँवड़ियों को टक्कर लगने पर और एक काँवड़ खण्डित होने पर काँवड़ियों ने रोड जाम कर दिया। साथ ही कार चालक को बुरी तरह पीटा साथ ही कार में भी तोड़-फोड़ की गयी और कार पलट दी।
  • 19  जुलाई को मुजफ्फरनगर में काँवड़ियों ने खाने में प्याज़ के इस्तेमाल करने पर रेहड़ी वाले को पीटा।
  • 23 जुलाई को हरिद्वार में छोटी सी कहासुनी में काँवड़ियों ने ट्रक चालक पर हमला कर दिया।
  • 23 जुलाई को मुजफ्फरनगर में काँवड़ियों द्वारा ई-रिक्शा चालक पर हमला किया। हमले के 5 दिन बाद चालक मोहित की मौत हो गयी, परिवार ने बताया कि मारपीट के कारण मोहित की मौत हुई। जबकि मामले को रफ़ा दफ़ा करने के लिये पुलिस ने बोला मोहित बीमार था।

ये महज़ चन्द उदाहरण है, जिनमें सरकार व प्रशासन द्वारा काँवड़ियों को अराजकता मचाने की छूट दी गयी। यह दर्शाता है कि काँवड़ यात्रा की आड़ में अनियन्त्रित भीड़ को पनाह देने का काम भाजपा सरकार कर रही है। साथ ही, आज के युवा नौकरी, शिक्षा और बुनियादी मुद्दों पर एकजुट ना हो जाये इसलिए सरकार ऐसी यात्राओं को हवा पानी दे रही है। ऐसी युवा आबादी का व्यवस्थित रूप से लम्पटीकरण करने में संघी फ़ासीवादी कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रहे। आने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनज़र अभी से साम्प्रदायिक माहौल बनाया जा रहा है।

आज महँगाई-बेरोज़गारी-भ्रष्टाचार उत्तर प्रदेश से लेकर पूरे देश में अपने चरम पर हैं। इन समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए ऐसे साम्प्रदायिक हथकण्डे अपनाये जा रहे हैं। भाजपा उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पूरे देश को साम्प्रदायिक प्रयोगशाला में तब्दील करना चाहती है। संघ परिवार लम्बे समय से अपने फ़ासीवादी एजेण्डे को भाजपा समेत अपने तमाम अनुषंगी संगठनों के माध्यम से आगे बढ़ाता रहा है। यह काम तमाम प्रशासनिक संस्थाओं पर आन्तरिक क़ब्ज़े के ज़रिये और प्रशासन में अपने लोगों की पैठ बनाने के ज़रिये हुआ है। उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार आने के बाद से यह गति और बढ़ी है। इसलिए जिन लोगों को लग रहा था कि लोकसभा चुनाव में सीटें कम होने के बाद भाजपा और आरएसएस “सुधर” जायेंगे या ठण्डे पड़ जायेंगे, उन्हें अब अपने भ्रम दूर कर लेने चाहिए। अततः हमें इनका मुकाबला सड़कों पर करने के लिए तैयार होने होगा। आने वाले दिनों में यह सच्चाई और भी साफ़ होती जायेगी।

मज़दूर बिगुल, अगस्‍त 2024


 

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