अयोध्या फ़ैसला : क़ानून नहीं, आस्था के नाम पर बहुसंख्यकवाद की जीत
जब सुप्रीम कोर्ट ने अचानक अयोध्या मामले की रोज़ाना सुनवाई करना शुरू किया था तभी से यह लगने लगा था कि फ़ैसला किस तरह का होने वाला है। न्यायपालिका पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से मोदी सरकार की चाकर की तरह के रूप में काम कर रही है, उसे देखते हुए भी समझदार लोगों को किसी निष्पक्ष फ़ैसले की उम्मीद नहीं थी।