फ़िलिस्तीन मुक्ति संघर्ष और मध्य-पूर्व पर गहराते साम्राज्यवादी युद्ध के बादल
नेतन्याहू गाज़ा में अपनी हार को इज़्ज़त बचाने लायक़ समझौते तक पहुँचने के लिए युद्ध में अमेरिका और अन्य पश्चिमी साम्राज्यवादी देशों को शामिल करना चाहता है। लगातार ईरान को उकसाने के पीछे यही वजह है। मध्य-पूर्व में युद्ध के तनाव को व्यापक करते हुए ईरान के ज़रिये रूस-चीन धुरी और अमेरिका समेत इज़रायल समर्थक पश्चिमी देशों को युद्ध में घसीटने की योजना इज़रायल की है। इस उद्देश्य से ही वह लगातार लेबनान, यमन और ईरान पर हमला कर रहा है। 1 अप्रैल को एक बड़े हमले में इज़रायल ने दमिश्क में ईरान के दूतावास पर हमला किया। इस हमले के बाद मध्य-पूर्व में किसी बड़े युद्ध की सम्भावन कुछ गहरी हुई है। ईरान ने भी इज़रायल को माकूल जवाब देने की घोषण की और 14 अप्रैल को इज़रायल पर 300 से अधिक मिसाइल ड्रोन हमले किये। इसके बाद इज़रायल ने भी कुछ दिखावटी हमले किये।