Category Archives: फ़ासीवाद / साम्‍प्रदायिकता

इस झूठी सरकार और इसके परम झूठे प्रधानमंत्री पर लोग कैसे यक़ीन करें?

अभी तक अमित शाह कह रहे थे कि सीएए से भारतीय मुसलमानों पर कोई असर नहीं पड़ेगा। अब मोदी ने झूठों का पहाड़ खड़ा करते हुए कह दिया कि एनआरसी पर उनकी सरकार में कभी बात ही नहीं हुई है! डिटेंशन सेण्टर कहीं हैं ही नहीं!

जनता के मिज़ाज को भाँपने में फ़ासिस्ट सत्ता बुरी तरह नाकाम!

कहते हैं, जहाँ दमन है, वहाँ प्रतिरोध भी होगा! पिछले साढ़े पाँच वर्षों के दौरान मोदी सरकार और भगवा गिरोह ने देश की जनता के विरुद्ध जो चौतरफ़ा युद्ध छेड़ रखा था, उसके विरुद्ध इस देश के मेहनतकशों और नौजवानों ने लड़ना तो कभी बन्द नहीं किया था, लेकिन इस बार पूरे देश के लोगों के सब्र का प्याला छलक चुका है।

एनआरसी और नागरिकता संशोधन क़ानून : भारत को हिटलरी युग में धकेलने का फ़ासिस्ट क़दम

दिसम्बर महीने की 9 तारीख़ को लोकसभा और 11 तारीख़ को राज्यसभा से पारित होने के बाद भारतीय नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) क़ानून बनकर अस्तित्व में आ चुका है। यह लेख लिखे जाने तक इस नये क़ानून के ख़िलाफ़ देशभर के कई हिस्सों में विरोध प्रदर्शन जारी है, ख़ासकर त्रिपुरा और असम में यह विरोध उग्र रूप ले चुका है।

Important

मेहनतकश साथियो! देश को आग और ख़ून के दलदल में धकेलने की फ़ासिस्ट साज़िश को नाकाम करने के लिए एकजुट होकर आगे बढ़ो!

नरेन्द्र मोदी के दूसरी बार सत्ता में आने के बाद कहा गया था कि पिछली बार जो काम शुरू किये गये थे इस बार उन्‍हें पूरा किया जायेगा। पिछले छह महीने इस बात के गवाह हैं कि भाजपा और संघ परिवार ने इस एजेण्डा को आगे बढ़ाते हुए देश को तबाही की राह पर कितनी तेज़ रफ़्तार से बढ़ा दिया है।

अयोध्‍या फ़ैसला : क़ानून नहीं, आस्‍था के नाम पर बहुसंख्‍यकवाद की जीत

जब सुप्रीम कोर्ट ने अचानक अयोध्‍या मामले की रोज़ाना सुनवाई करना शुरू किया था तभी से यह लगने लगा था कि फ़ैसला किस तरह का होने वाला है। न्‍यायपालिका पिछले कुछ वर्षों में जिस तरह से मोदी सरकार की चाकर की तरह के रूप में काम कर रही है, उसे देखते हुए भी समझदार लोगों को किसी निष्‍पक्ष फ़ैसले की उम्‍मीद नहीं थी।

देशी-विदेशी बड़ी पूँजी का बेरोकटोक राज! इसी संघी एजेण्डा को पूरा करने में जुटी मोदी सरकार!!

देश के आर्थिक हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं। जीडीपी की वृद्धि दर धीमी पड़ रही है, औद्योगिक उत्पादन में गिरावट जारी है, खेती का संकट गम्भीर होता जा रहा है, संकट और घोटालों से वित्तीय संस्थाएँ चरमरा रही हैं, बेरोज़गारी विकराल रूप में आ चुकी है, देश की एक बड़ी आबादी खाने-पीने की बुनियादी ज़रूरतें भी पूरी नहीं कर पा रही है।

तानाशाह : तीन कविताएँ

कविता की कुछ पंक्तियां
..सम्मोहित-सी वह भीड़
हमेशा तानाशाह के पीछे चलती थी
और तानाशाह के इशारे का इंतज़ार करती थी।
तानाशाह इतना आश्वस्त था कि
यह सोच भी नहीं पाता था कि
किसी भी सम्मोहन का जादू
कुछ समय बाद टूटने लगता है।

एक दिन अपने लाव-लश्कर के साथ
तानाशाह जब सड़क पर निकला
तो उसने देखा कि भीड़
जो उसके पीछे चला करती थी,
वह उसका पीछा कर रही है!

देश की अर्थव्यवस्था ढहने के कगार पर है! – मेहनतकश साथियो, सरकार और संघ परिवार के झूठों और झूठे मुद्दों से सावधान रहो!

किसी भ्रम में मत रहिए! नरेन्द्र मोदी अमेरिका जाकर ‘सब चंगा है’ का नारा लगा आये हैं, वित्त मंत्री कह रही हैं कि बैंकिंग प्रणाली को लेकर चिन्ता की कोई बात नहीं है, एक वरिष्ठ केन्द्रीय मंत्री कह रहा है कि सिनेमा हाउसफ़ुल जा रहे हैं इसका मतलब है कि कोई आर्थिक मन्दी नहीं है! मगर सच्चाई है कि बार-बार इनके झूठों की चादर फाड़कर बाहर निकल आ रही है।

सच को पहचानने और बोलने का विवेक और साहस बनाये रखिये क्योंकि हुक़्मरान हमें यक़ीन दिलाना चाहते हैं…

जिस देश में करोड़ों बच्चे रोज़ रात को भूखे या आधा पेट  खाकर सोते हैं, करोड़ों इन्सानों के सिर पर आज भी छत नहीं है, वहाँ हज़ारों करोड़ सिर्फ़ इन्हीं झूठों को सच में बदलने के लिए फूँके जा रहे हैं। पर इससे भी ख़तरनाक बात यह है कि समाज के अच्छे-ख़ासे तबके की चेतना इन भोंपुओं से दिनो-रात होने वाली झूठ की तेज़ाबी बारिश के असर से भ्रष्ट होती जा रही है जिसकी वजह से देश के फ़ासिस्ट शासक मनचाहे ढंग से साम्प्रदायिकता और अन्धराष्ट्रवाद की आँधी चला पा रहे हैं। भारत के मध्यवर्ग का बड़ा हिस्सा ‘मोदी-मोदी!’ और ‘जय श्रीराम!’ के उन्मादी शोर के नशे में डूबकर और अपनी गाड़ी के पीछे ‘एंग्री हनुमान’ का स्टिकर लगाकर देश को ख़ून के दलदल में डुबो देने की साज़िशों का जश्न मना रहा है।  

‘यूएपीए’ संशोधन बिल : काले कारनामों को अंजाम देने के लिए लाया गया काला क़ानून

हर बार ऐसे काले क़ानूनों को बनाने का मक़सद क़ानून-व्यवस्था और अमन-चैन क़ायम रखना बताया जाता है, लेकिन असलियत यह है कि शासक वर्गों को ऐसे काले क़ानूनों की ज़रूरत अपने शोषणकारी, और दमनकारी शासन के ख़ि‍लाफ़ उठने वाली आवाज़ों को बर्बरता से कुचलने के लिए पड़ती है। अब चूँकि केन्द्र में एक फ़ासीवादी सत्ता काबिज़ है, काले क़ानूनों को बेशर्मी से लागू करने के मामले में पुराने सारे कीर्तिमान ध्वस्त किये जा रहे हैं। मोदी सरकार अब कुख्यात ‘यूएपीए’ क़ानून में संशोधन करके अपनी फ़ासीवादी नीतियों का विरोध करने वालों को आतंकी घोषित करने की पूरी तैयारी कर चुकी है। इसीलिए इस संशोधन के बाद ‘यूएपीए’ को आज़ाद भारत के इतिहास का सबसे ख़तरनाक क़ानून कहा जा रहा है।