Category Archives: फ़ासीवाद / साम्‍प्रदायिकता

भारत-अमेरिका रक्षा समझौता देश की सम्प्रभुता और सामरिक आत्मनिर्णय से समझौता है!

निशाना लगाते समय हमें अमेरिकी उपग्रह और उसके सैन्य संचालकों का सहारा लेना होगा और उन्हीं के माध्यम से भारत को एन्क्रिप्टेड डेटा प्राप्त होगा। यानी अगर भारत को किसी पर निशाना लगाना है तो उसके लिए भी अमेरिका की सहमति आवश्यक होगी। कुल मिलाकर भारतीय सैन्य तंत्र का ढाँचा और युद्ध सामग्री अमेरिका की निगरानी में चली जायेगी। और ये बिल्कुल सम्भव है कि अमेरिका भारत के किसी सैन्य निर्णय को आसानी से प्रभावित कर सके। यह किसी भी सूरत में एक सम्प्रभु राष्ट्र के लिए और उसके सामरिक आत्मनिर्णय के लिए ख़तरनाक साबित हो सकता है।

मज़दूर वर्गीय काडर-आधारित आन्दोलन के नेतृत्व में फ़ासीवाद का जनप्रतिरोध खड़ा करना होगा

ये समझना ज़रूरी है कि “फ़ासीवाद” महज़ दक्षिणपन्थी ताक़तों या अपने अन्य विरोधियों के लिए विशेषण या गाली के रूप में इस्तेमाल होने वाली भड़ास वाली चलताऊ शब्दावली नहीं है, बल्कि राजनीतिक अर्थशास्त्र में इस्तेमाल होने वाली एक क्लासिकीय शब्दावली है। “फ़ासीवाद” का अर्थ है वित्तीय पूँजी की निरंकुश तानाशाही, उसका काडर आधारित सामाजिक आन्दोलन, व जिसका आधार मुख्यतः टटपुँजिया वर्ग और मध्यवर्ग के बीच होता है, व इसके अलावा मज़दूर वर्ग के एक छोटे से हिस्से के बीच भी मौजूद होता है।

जनता की भुखमरी और बेरोज़गारी के बीच प्रधानमंत्री की अय्याशियाँ

आज देश की अर्थव्यवस्था में लगातार गिरावट जारी है, वैश्विक भुखमरी सूचकांक में भारत नेपाल, म्यामार और श्रीलंका जैसे देशों से भी पीछे जा चुका है, देश में बेरोज़गारी की हालत पिछले 46 सालों में सबसे बुरी है, लोगों के रहे-सहे रोज़गार भी छिन गये हैं, महँगाई आसमान छू रही है, मेहनत-मज़दूरी करने वाले लोग मुश्किल से गुज़ारा कर रहे हैं। मगर ख़ुद को प्रधानसेवक कहने वाले हमारे प्रधानमंत्री महोदय बड़ी ही बेशर्मी के साथ आये दिन ऐय्याशियों के नये-नये कीर्तिमान रच रहे हैं।

प्रधानमंत्री आवास योजना की असलियत : जुमले ले लो, थोक के भाव जुमले…

प्रधानमंत्री आवास योजना के पाँच साल पूरे हो चुके हैं। इस योजना की शुरुआत साल 2015 में की गयी थी और इसके तहत 2022 तक देश में दो करोड़ मकान बनाने का लक्ष्य रखा गया था। कुछ समय पहले केन्द्रीय वित्त मंत्री ने दावा किया कि इस योजना के तहत 12 लाख नये घर बनेंगे और 18,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आवंटन होगा ताकि हाउसिंग और रियल एस्टेट सेक्टर में तेज़ी आये और लाखों बेरोज़गारों को रोज़गार मिल जाये।

अब गुजरात मॉडल से भी बर्बर यूपी मॉडल खड़ा कर रहे योगी आदित्यनाथ

नरेन्द्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए अरबों रुपये ख़र्च करके जो मुहिम चलायी गयी थी, उसके केन्द्र में था “गुजरात मॉडल” का अन्धाधुन्ध प्रचार। अलग-अलग लोगों के लिए इसके अलग-अलग मायने थे। मीडिया तंत्र के मालिकों के पुरज़ोर समर्थन और आरएसएस व भाजपा के अपने प्रचार तंत्र के सहारे मोदी के शासन में गुजरात के चौतरफ़ा “विकास” का एक मिथक खड़ा किया। अब सभी जान चुके हैं कि यह विकास वैसा ही था जैसा विकास पूरा देश पिछले 6 साल से भुगत रहा है।

बिहार: चुनावी रणनीति तक सीमित रहकर फ़ासीवाद को हराया नहीं जा सकता!

बिहार विधानसभा चुनावों में भाजपा-नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबन्धन जीत गया है। महागठबन्धन बहुमत से क़रीब 12 सीटें दूर रह गया।…कांग्रेस को पिछली बार की तुलना में 8 सीटों का नुक़सान उठाना पड़ा। वहीं संशोधनवादी पार्टियों विशेषकर माकपा, भाकपा और भाकपा (माले) लिबरेशन को इन चुनावों में काफ़ी फ़ायदा पहुँचा है।…इनमें भी ख़ास तौर पर भाकपा (माले) लिबरेशन को सबसे अधिक फ़ायदा पहुँचा है। ज़ाहिर है, इसके कारण चुनावों में महागठबन्धन की हार के बावजूद, भाकपा (माले) लिबरेशन के कार्यकर्ताओं में काफ़ी ख़ुशी का माहौल है, मानो फ़ासीवाद को फ़तह कर लिया गया हो! इन नतीजों का बिहार के मेहनतकश व मज़दूर वर्ग के लिए क्या महत्व है? यह समझना आवश्यक है क्योंकि उसके बिना भविष्य की भी कोई योजना व रणनीति नहीं बनायी जा सकती है।

उत्‍तर प्रदेश में आतंक के राज्‍य को क़ानूनी जामा पहनाने के लिए आया काला क़ानून

एक ऐसी संस्था की कल्पना करें जो जब चाहे शक के आधार पर किसी को भी गिरफ़्तार कर सकती है; जिसको गिरफ़्तारी के लिए किसी वारण्ट या मजिस्ट्रेट की अनुमति की ज़रूरत नहीं है; जिसका हर सदस्य हर समय ड्यूटी पर माना जाएगा; जिसका ‘कोई भी सदस्य’ किसी भी समय किसी को भी गिरफ़्तार कर सकता है; जिसके ख़िलाफ़ सरकार की इजाज़त के बिना अदालत भी किसी मामले को संज्ञान में नहीं ले सकती है; जिसकी सेवाएँ कोई निजी संस्था भी ले सकती है। ये बातें सुनकर आपको कुख़्यात फ़ासिस्ट संस्था गेस्टापो की याद आ सकती है, लेकिन हम गेस्टापो की बात नहीं कर रहे हैं। हम बात कर रहे हैं ‘उत्तर प्रदेश विशेष सुरक्षा बल (यूपीएसएसएफ़)’ की, जिसका गठन उत्तर प्रदेश की योगी सरकार करने जा रही है।

बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले पर फ़ैसला, सभी दंगेबाज़ साम्प्रदायिक फ़ासीवादी हुए बरी

लखनऊ की सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने अपने फै़सले में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में नामज़द सभी जीवित 32 आरोपियों को दोषमुक्त करके मुक़दमे से बरी कर दिया है। कोर्ट के फ़ैसले के बाद न्यायपसन्द लोगों के ज़ेहन में नये सवाल ये उभर रहे हैं कि यदि यह कुकर्म पूर्वनिर्धारित-पूर्वनियोजित नहीं था तो फिर आडवाणी के नेतृत्व में संघी गिरोह की रथयात्राएँ किस चीज़ के लिए निकाली जा रही थी?

ज़हरखुरानी गिरोह का प्रचार

अगर आप कंगना-शिवसेना की ‘तू कुत्ता-तू कुत्ता’ से निकल गये हैं, तो ज़रा पढ़िए। ‘ज़हरखुरानी गिरोह’ के बारे में जिसका ही उत्पाद कंगना जैसे लोग हैं। देखिए कि किस तरह ये ज़हरखुरानी गिरोह समाज को पागल ज़ोंबियों में तब्दील करने पर आमादा हैं। ये हमारे चारों ओर दिनोरात अपने ज़हरीले काम में लगे हुए हैं।

कोरोना महामारी और लॉकडाउन: ज़िम्मेदार कौन है? क़ीमत कौन चुका रहा है?

दुनिया कोरोना महामारी से जूझ रही है। ये शब्द लिखे जाने तक 9 लाख 20 हज़ार से ज़्यादा मौतें हो चुकी हैं, जिनमें से क़रीब 80 हज़ार मौतें भारत में हुई हैं। दुनिया में अब तक लगभग 3 करोड़ लोग कोरोना वायरस से संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें से 2 करोड़ 10 लाख ठीक हो गये हैं। भारत में कुल संक्रमित लोगों की संख्या अब तक 48 लाख पार कर चुकी है, जिनमें से क़रीब 38 लाख लोग ठीक हुए हैं। हालाँकि जो लोग ठीक हो रहे हैं उनमें से भी बहुतों को कई तरह की गम्भीर परेशानियाँ हो जा रही हैं।