जी हां, प्रधानमन्त्री महोदय! हम समृद्धि पैदा करने वाले लोगों का सम्मान करते हैं! लेकिन ये आपके पूंजीपति मित्र नहीं हैं!
अपने इस भाषण में प्रधानमन्त्री महोदय देश में अमीरों के प्रति बढ़ते गुस्से से काफ़ी चिन्तित दिखे! उन्हें लग रहा था कि मन्दी के कारण रोज़गार से खदेड़े जा रहे मज़दूर और नौजवान कहीं इसका कारण अमीर पूंजीपतियों को न समझ बैठें! ये बेचारे पूंजीपति तो खुद ही गिरते मुनाफ़े से बिलबिला रहे हैं और उन चूंटों-माटों की तरह भगदड़ मचाये हुए हैं, जिन पर गर्म तेल गिर गया हो! ऊपर से हम निकम्मे-नाकारे और बेग़ैरत ग़रीब लोग! इन्हीं ”मेहनती” अमीर पूंजीपतियों पर, इन ”समृद्धि पैदा करने वालों” पर त्यौरियां चढ़ा रहे हैं? बड़े निर्लज्ज किस्म के कृतघ्न लोग हैं हम लोग!