Tag Archives: बेर्टोल्ट ब्रेष्ट

कुछ उद्धरण व राजेन्द्र धोड़पकर के दो प्रासंगिक कार्टून

जब तक लोग अपनी स्वतंत्रता का इस्तेमाल करने की ज़हमत नहीं उठायेंगे, तब तक तानाशाहों का राज चलता रहेगा; क्योंकि तानाशाह सक्रिय और जोशीले होते हैं, और वे नींद में डूबे हुए लोगों को ज़ंजीरों में जकड़ने के लिए, ईश्वर, धर्म या किसी भी दूसरी चीज़ का सहारा लेने में नहीं हिचकेंगे।

बेर्टोल्ट ब्रेष्ट की तीन कविताएँ

बेर्टोल्ट ब्रेष्ट की तीन कविताएँ कसीदा इन्क़लाबी के लिए अक्सर वे बहुत अधिक हुआ करते हैं वे ग़ायब हो जाते, बेहतर होता। लेकिन वह ग़ायब हो जाये, तो उसकी कमी…

डॉक्टर के नाम एक मज़दूर का ख़त

महान जर्मन कवि बेर्टोल्ट ब्रेष्ट की कविता

नाज़ी जर्मनी के चार चित्र (बेर्टोल्ट ब्रेष्ट का लघु नाटक)

हिटलर काल के जर्मनी पर बेर्टोल्ट ब्रेष्ट के लघु नाटकों की श्रृंखला ‘ख़ौफ़ की परछाइयाँ’ से। अनुवाद : अमृत राय

कविताएं – लड़ाई का कारोबार / बेर्टोल्ट ब्रेष्ट Poems – The business of war / Bertolt Brecht

युद्ध जो आ रहा है पहला युद्ध नहीं हैI
इससे पहले भी युद्ध हुए थेI
पिछला युद्ध जब ख़त्म हुआ
तब कुछ विजेता बने और कुछ विजित।
विजितों के बीच आम आदमी भूखों मरा
विजेताओं के बीच भी मरा वह भूखा ही।

कहानी – ला सियोतात का सिपाही / बर्टोल्ट ब्रेष्ट Story – The Soldier of La Ciotat / Bertolt Brecht

पहले विश्व युद्ध के बाद, दक्षिणी फ्रांस के छोटे-से बन्दरगाह वाले शहर ला सियोतात में एक जहाज़ को पानी में उतारे जाने के जश्न के दौरान, हमने चौक में एक फ्रांसीसी सिपाही की काँसे की प्रतिमा देखी जिसके इर्दगिर्द भीड़ जमा थी। हम नज़दीक गये तो देखा कि वह एक जीवित व्यक्ति था। वह धूसर रंग का ग्रेटकोट पहने था, सिर पर टिन का टोप था, और जून की गर्म धूप में वह संगीन ताने चबूतरे पर बिल्कुल स्थिर खड़ा था। उसकी एक भी पेशी हिलडुल नहीं रही थी, पलकें तक नहीं फड़क रही थीं।

कविता : लेनिन की मृत्यु पर कैंटाटा / बेर्टोल्ट ब्रेष्ट Poem : Cantata on the day of Lenin’s death / Bertolt Brecht

जिस दिन लेनिन नहीं रहे
कहते हैं, शव की निगरानी में तैनात एक सैनिक ने
अपने साथियों को बताया: मैं
यक़ीन नहीं करना चाहता था इस पर।
मैं भीतर गया और उनके कान में चिल्लाया: ‘इलिच
शोषक आ रहे हैं।’ वह हिले भी नहीं।
तब मैं जान गया कि वो जा चुके हैं।

बेर्टोल्ट ब्रेष्ट की तीन कविताएँ – कसीदा श्रृंखला Three poems of Bertolt Brecht – Praise series

बेर्टोल्ट ब्रेष्ट की तीन कविताएँ 1. कसीदा इंक़लाबी के लिए 2. कसीदा द्वंद्ववाद के लिए 3. कसीदा कम्युनिज़्म के लिए

कविता – जब फ़ासिस्ट मज़बूत हो रहे थे – बेर्टोल्ट ब्रेष्ट Poem : When the Fascists kept getting stronger / Bertolt Brecht

जर्मनी में
जब फासिस्ट मजबूत हो रहे थे
और यहां तक कि
मजदूर भी
बड़ी तादाद में
उनके साथ जा रहे थे
हमने सोचा
हमारे संघर्ष का तरीका गलत था
और हमारी पूरी बर्लिन में
लाल बर्लिन में
नाजी इतराते फिरते थे
चार-पांच की टुकड़ी में
हमारे साथियों की हत्या करते हुए
पर मृतकों में उनके लोग भी थे
और हमारे भी
इसलिए हमने कहा
पार्टी में साथियों से कहा
वे हमारे लोगों की जब हत्या कर रहे हैं
क्या हम इंतजार करते रहेंगे
हमारे साथ मिल कर संघर्ष करो

कविता – शासन करने की कठिनाई / बेर्टोल्ट ब्रेष्ट

या फिर ऐसा भी तो हो सकता है
कि शासन करना इतना कठिन है ही इसीलिए
कि ठगी और शोषण के लिए ज़रूरी है
कुछ सीखना-समझना।