एक धनपशु के बेटे की शादी का अश्लील तमाशा और देश के विकास की बुलन्द तस्वीर!

अन्वेषक

हमारा देश आज विकास की बुलन्दियों पर पहुँच चुका है। आज पूरी दुनिया हमारे देश की ओर ही देख रही है क्योंकि पूरी दुनिया के तमाम बड़े-बड़े आसामी हमारे देश में पधार रहे हैं। वे सब यहाँ अम्बानी के बेटे की शादी में शामिल होने आये हैं। हर जगह यही छाया हुआ है कि अम्बानी के बेटे की शादी हो रही है। पर ये शादी ऐसे ही शुरू नहीं हुई। इससे पहले शुरु हुई प्री वेडिंग यानी शादी के पहले की शादी और यह भी एक नहीं बल्कि तीन-तीन प्री वेडिंग हुई। बताया जा रहा की इस शादी का पूरा खर्च 5000 करोड़ रुपये है। यह अम्बानी के लिए बहुत ज़्यादा नहीं है बल्कि यह उनके लिए मामूली खर्च है। यह खर्च उनकी कुल संपत्ति का 0.5 प्रतिशत ही है। गूगल के सीईओ से लेकर इंग्लैंड के पूर्व प्रधानमन्त्री तक इस शादी में पहुँच रहे हैं। हॉलीवुड के तमाम “सितारे” भी इसमें शामिल हैं। हमारे देश की मीडिया में तो इसको लेकर गज़ब का उत्साह है। शादी में कौन आया! किसने क्या किया! अम्बानी कैसे नाचा! खाने में क्या क्या है! फूफा जी किस बात पर नाराज़ हुए! सब बात पर नज़र हमारी मीडिया बनाये हुए है। वॉर फुट पर इसकी रिर्पोटिंग चालू है, ताकि देश के लोग शादी को अच्छे से टीवी पर देख सकें। देश के सेवा करने वाले इन तमाम चैनलों में अम्बानी जी के भी कई चैनल शामिल हैं। आज देश के लिए भला इससे बड़ा ज्वलन्त मुद्दा क्या हो सकता है?

“देशभक्त” लोग तो इस विकास को देखकर हर्षातिरेक के शिकार हो रहे हैं। उनसे कोई पूछता है कि ‘भइया सब तो ठीक है, लेकिन ये महँगाई बढ़ गयी, काम-धन्धा मिलना भी मुश्किल हो रहा है, सड़क-पुल सब टूट रहे हैं, शादी के कारण यातायात प्रभावित हो रहा है। तो आप ही बताइए न, क्या करें?’ देशभक्त महोदय कहते हैं-“अम्बानी के बेटे की शादी देखो, दुनिया के सब बड़का-बड़का लोग आ रहे हैं, पूरा मुम्बई को शादी में आने का न्यौता मिला है, जाओ तुम भी चले जाओ, वहीं खाना खा लेना। वहाँ कोई महँगाई-वहँगाई नहीं करता, सब अच्छे से जीते हैं। शादी में बुलाया है, तो जाकर आराम से खाना खाओ, सड़क पर निकलने की ज़रूरत ही क्या है! खाना शादी का खा लो, घर पर रहो आराम करो और अनन्त को आशीर्वाद दो! पर धिक्कार है तुम जैसे लोगो पर! देश के विकास से तुम्हे कोई लेना देना नहीं, देश का नाम हो रहा है और तुम्हे इन छोटी-मोटी बातों की पड़ी है! हे राम! क्या होगा देश का!”

अम्बानी जी अम्बानी जी बने कैसे! इसके पीछे उनकी वर्षों की कड़ी मेहनत है। लोगों को लूटकर, उनके ख़ून में से सिक्के निकालना भी बड़ी मेहनत का काम है! तभी तो अम्बानी और उनकी ज़मात यहाँ तक पहुँची है! ये सारा पैसा जो शादी में खर्च हो रहा है अम्बानी जी ने बड़ी मेहनत से कमाया है। पब्लिक सेक्टर की कम्पनियाँ, जिसे खड़ा करने में कई सालों का समय लगा, जिसमें देश के आम लोगों के टैक्स का पैसा लगा था, उन कम्पनियों को बहुत मेहनत करके अम्बानी ने उसे अपनी निजी सम्पत्ति बनाया। लोगों को निचोड़कर, उनका शोषण करना भी बहुत मेहनत का काम है! इतनी मेहनत के बाद वह विकास की ऊँचाईयों पर पहुँचते गये ताकि देश सेवा कर सकें। क्या हुआ अगर उनकी सम्पत्ति के साम्राज्य के नीचे हज़ारों मेहनतकश दबे कुचले पड़े हैं! “राष्ट्र” के विकास के लिए तो जान देनी ही पड़ती है। तभी तो अम्बानी के ज़मात के लोग कहते हैं की उनकी तरह हमें भी 20-20 घण्टे काम करना चाहिए!

बाक़ी सुनने में तो आ रहा है कि अपने प्रधानमन्त्री भी इस शादी में पहुँचेंगे। मोदीजी अम्बानी का ख़्याल रखते हैं, अम्बानी जी देश का ख़्याल रखते हैं। देखा! यही तो है ट्रिकल डाउन सिद्धान्त! स्वयंसेवा ही देश सेवा है! तभी तो अम्बानी जी इतने अच्छे से देशसेवा कर पा रहे हैं। अब सोचिए मोदी जी को जिताने में कितने पैसे लगे! आख़िर मेहनत की न उन्होंने! और जीते मोदी जी! लोगो की आँखों पर पट्टी बाँधने में भी तो मेहनत लगती है। अब मोदी जी ऐसे देशप्रेमी को उपहार के तौर पर सरकारी मोबाइल टॉवर दे दिये ताकि वह देश सेवा कर सके! इसलिए तो देश के विकास के लिए सबको तीन महीने तक फ्री नेट दिया, मोबाइल सबके हाथ में पहुँचा दिया (मोदीजी के साथ मिलकर)! उन्होंने देश को तीन महीने तक फ्री नेट दिया पर जब बस 25-30 प्रतिशत की बढ़ोतरी उन्होंने मोबाइल रिचार्ज की कीमत में की तो देश के लोगों को दिक्कत होने लगी। एक सच्चे देशभक्त की तरह हमें जियो से ही रिचार्ज करना चाहिए, भले ही आप बेरोज़गार हो, घर में हरी सब्जी भी ना आ रही हो, बच्चा स्कूल न जा रहा हो। देखिए भाई देश के विकास के लिए इतनी कुर्बानी तो देनी होगी।

कई लोग कह रहे हैं अम्बानी के पुत्र की प्री-वेडिंग के जलसों में हो रहा 5000 करोड़ का ख़र्च फिज़ूलखर्च है। नहीं भाई! यह फिज़ूलखर्च नहीं यह दान-धर्म का काम है। दान-धर्म का काम है तभी तो इतने विदेशी सितारों को बुलाया ताकि हमारी देश की जनता का मनोरंजन हो। बिचारे बॉलीवुड वाले भी सोच रहे हैं कि उनमें क्या कमी रह गयी कि अम्बानियों-अडानियों की दावतों में इतने कूल्हे मटकाने के बावजूद अन्य देश से कलाकारों को बुलाया! खैर, यह सब दान-धर्म का काम है, सब लोग नहीं कर सकते।

आपने भी देखा ही होगा अम्बानी का लड़का जानवरों से कितना प्यार करता है। हाथी को अपने हाथ से खाना बनाकर खिलाता है, कुत्ते-बिल्लियों की तरह अपने कर्मचारियों को भी प्यार करता है! पता है शादी के तोहफ़े के तौर पर अपने कर्मचारियों को अम्बानी ने नमकीन मिठाई के पैकेट दिये। देखा कितने दरियादिल है! इन्सान और जानवर में कोई भेद नहीं करते। ऐसे लोग जब कोई काम करते है तो वह दान-धर्म का काम कहलाता है, फिज़ूलखर्च नहीं!

यही तो होता है देश का विकास। समूचे देश के राष्ट्रवादी व देशभक्त एकजुट होकर अभी इसी शादी में लगे हुए हैं। यह एक प्रकार से इस समय राष्ट्रवादी होने का सबसे अच्छा तरीका है। जब देश में विकास अपने चरम पर पहुँच जाता है तब छोटी-मोटी समस्याएँ दिखनी बन्द हो जाती है। भगदड़ में लोग मर जाते हैं, नौजवानों को नौकरी नहीं मिल रही, सभी समान महँगे हो रहे हैं, मॉब लिंचिंग हो रही है, धर्म के नाम पर क़त्ल हो रहे हैं, आदि-आदि। विकास के चरम पर पहुँच कर यह सब मोहमाया दिखने लगता है। अम्बानी और उनके जमात के लोग और उन सबके चहेते मोदी जी देश को इसी विकास की चरम अवस्था में ले जाना चाहते हैं। और भाई यही तो समानता होती है! भारत का संविधान भी तो कहता है सब बराबर हैं! तो आज अम्बानी जी के बराबर मैं खड़ा हूँ, आप खड़े हो! आख़िर अम्बानी जी मुझे और आपको लूट कर ही तो इतनी सम्पत्ति बना पाये, यानी इस शादी में हमारा भी हिस्सा बनता है। हुआ न फिर देश का विकास क्योंकि अम्बानी ही तो देश हैं। अम्बानी आगे बढ़ेंगे तभी तो देश आगे बढ़ेगा!

 

मज़दूर बिगुल, जुलाई 2024


 

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