बढ़ते स्त्री-विरोधी अपराधों के पैदा होने की ज़मीन की शिनाख़्त करनी होगी!
कोई दिन नहीं जाता जब देश के किसी न किसी कोने में कोई न कोई बच्ची हवस का शिकार न होती हो। कहीं शिक्षक छात्राओं के उत्पीड़न में शामिल दिखते हैं, कहीं बालिका गृहों में बच्चियों पर यौन हिंसा होती है, कहीं झूठी शान के लिए लड़कियों को मार दिया जाता है, कहीं सत्ता में बैठे लोग स्त्रियों को नोचते हैं, कहीं जातीय या धार्मिक दंगों में औरतों पर ज़ुल्म होता है तो कहीं पर पुलिस और फ़ौज तक की वर्दी में छिपे भेड़िये यौन हिंसा में लिप्त पाये जाते हैं! ऐसा कोई क्षण नहीं बीतता जब बलात्कार या छेड़छाड़ की कोई घटना न होती हो! कोई भी पार्टी सत्ता में आ जाये किन्तु स्त्री विरोधी अपराध कम होने के बजाय लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं मगर फ़ासीवादी भाजपा के शासनकाल में बर्बर स्त्री-विरोधी अपराधों में भारी बढ़ोत्तरी हुई है।