भारतीय राज्यसत्ता द्वारा उत्तर-पूर्व में आफ़्स्पा वाले क्षेत्रों को कम करने के मायने
गुरुवार, 31 मार्च को, जैसे ही केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ट्विटर पर चमक-दमक और इवेण्ट बनाने की शैली में घोषणा की कि मोदी सरकार ने पूर्वोत्तर में आफ़्स्पा (AFSPA) के तहत क्षेत्रों को कम करने का फ़ैसला किया है वैसे ही मीडिया द्वारा जनता में इसे सनसनीख़ेज़ ख़बर की तरह पेश करते हुए कहा गया कि “आज आधी रात से, असम के पूरे 23 ज़िलों, और आंशिक रूप से असम के एक ज़िले व नागालैण्ड में छह और मणिपुर में छह ज़िलों से आफ़्स्पा को अधिकार क्षेत्र से बाहर रखा जायेगा” मगर यह भाजपा सरकार का कोई दयालु या हमदर्दी-भरा चेहरा नहीं है, बल्कि इन इलाक़ों से हाल में घटी घटनाओं के बाद लगातार आ रहे जनदबाव की वजह से लिया गया फ़ैसला है जो भाजपा के गले में अटकी हुई हड्डी बन गया था। मगर इस फ़ैसले से भी वहाँ की ज़मीनी स्थिति में कोई बुनियादी बदलाव नहीं आने वाला है।