हिमाचल प्रदेश स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मण्डी में हुए गोलीकाण्ड पर एक रिपोर्ट
मज़दूरों ने जो कुछ भी किया वह अपनी आत्मरक्षा में किया, परन्तु पुलिस ने फिर भी मज़दूरों पर दफ़ा 302 के तहत हत्या का मामला दर्ज कर दिया। इसके विपरीत, पुलिस ने न सिर्फ़ इस घटना के मुख्य आरोपी ठेकेदार को वहाँ से भाग जाने का पूरा मौक़ा दिया, बल्कि इलाज के बहाने इस घटना में घायल हुए गुण्डों को सरकारी सुरक्षा में चण्डीगढ़ स्थित पीजीआई अस्पताल में दाखि़ल करवाया गया। जहाँ से अगले रोज़ ये तमाम अपराधी पुलिस की मौजदूगी के बावजूद फ़रार हो गये। ग़ौरतलब बात यह है कि इन तमाम गुण्डों पर पंजाब में हत्या, लूटमार जैसे कई संगीन मुकदमे दर्ज हैं, परन्तु फिर भी हिमाचल पुलिस ने उनकी निगरानी के लिए सिर्फ़ कुछ कांस्टेबल तैनात किये हुए थे। इस पूरे प्रकरण में जो सबसे महत्वपूर्ण बात निकलकर सामने आयी है, वह यह है कि कमान्द कैम्पस के अन्दर स्थित जिस गेस्ट हाउस में ठेकेदार ने इन गुण्डों को ठहराया हुआ था, वहाँ से पुलिस चौकी की दूरी मात्र 50 मीटर है। पहले तो पुलिस और ज़िला प्रशासन वहाँ हथियारबन्द गुण्डों की उपस्थिति से ही पूरी तरह से इंकार करते रहे, परन्तु बाद में उसी स्थान में तलाशी के दौरान उन्हें भारी संख्या में हथियार बरामद हुए। इससे साफ़ ज़ाहिर होता है कि सरकार, पुलिस, और स्थानीय प्रशासन को वहाँ रह रहे इन हथियारबन्द गुण्डों की पूरी जानकारी थी, परन्तु फिर भी उन्होंने सब कुछ जानते हुए भी इन लोगों के खि़लाफ़ कोई भी कारवाई नहीं की।