Category Archives: गतिविधि रिपोर्ट

मई दिवस पर देशभर में उठी आवाज – मई दिवस का नारा है! सारा संसार हमारा है!

बिगुल मज़दूर दस्ता के सनी ने कहा कि मई दिवस केवल शिकागों के मज़दूरों की कुर्बानी की याददिहानी करने का एक दिन नहीं है बल्कि यह वह ऊर्जा स्त्रोत है जिससे आज के समय में हम अपने संघर्षों के लिए शक्ति सोंख सकते है। शिकागों के मज़दूर सिर्फ अपने आर्थिक हक़ों या राजनितिक हक़ों की लड़ाई नहीं लड़ रहे थे बल्कि वह समूचे मज़दूर वर्ग के लिए इंसानों के लायक ज़िन्दगी जीने के अधिकार के लिए लड़ रहे थे।

राहुल सांकृत्यायन के जन्म दिवस (9 अप्रैल) से स्मृति दिवस (14 अप्रैल) तक ‘भागो नहीं दुनिया को बदलो’ जन अभियान

धार्मिक कट्टरता, जातिभेद की संस्कृति और हर तरह की दिमाग़ी ग़ुलामी के ख़ि‍लाफ़ राहुल के आह्वान पर अमल हमारे समाज की आज की सबसे बड़ी ज़रूरत है। पूँजी की जो चौतरफ़ा जकड़बन्दी आज हमारा दम घोंट रही है, उसे तोड़ने के लिए ज़रूरी है कि तमाम परेशान-बदहाल मेहनतकश आम लोग एकजुट हों और यह तभी हो सकता है जब वे धार्मिक रूढ़ियों और जात-पाँत के भेदभाव से अपने को मुक्त कर लें।

23 मार्च के मौके पर देशभर में विभिन्न कार्यक्रम

शहीद-ए-आज़म भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव के शहादत की 85वीं बरसी पर बिगुल मज़दूर दस्ता, नौजवान भारत सभा, दिशा छात्र संगठन, पंजाब स्टूडेण्ट यूनियन (ललकार), स्त्री मुक्ति लीग, जागरूक नागरिक मंच और विभिन्न यूनियनों द्वारा देश भर में प्रचार अभियानों व सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से अमर शहीदों के विचारों का जनता के बीच प्रचार-प्रसार किया गया।
करोड़ों लोगों के दिलों की धड़कन हमारे ये शहीद लोगों के दिलों में बेशक आज भी ज़िन्दा हैं किन्तु इनके क्रान्तिकारी विचारों से व्यापक मेहनतकश जनता आम तौर पर अनभिज्ञ दिखाई देती है। वैसे तो देश की संसद तक में भी भगतसिंह की मूर्ति रखी हुई है किन्तु शहीदों के विचार लोगों तक चले जायें इस बात से शासक वर्ग आज भी भयाक्रान्त रहता है। एक इंसान द्वारा दूसरे इंसान के और एक राष्ट्र द्वारा दूसरे राष्ट्र के किसी भी प्रकार के शोषण के ख़िलाफ़ कुर्बान होने वाले एच.एस.आर.ए. (हिन्दुस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन) के हमारे इन जाबांज़ नायकों के विचार मेहनतकश जनता के संघर्षों के लिए जहाँ दिशा सूचक के समान हैं वहीं शासक वर्ग की रीढ़ में इनसे वर्तमान में भी कँपकँपी पैदा हो जाती है। भगवा गिरोह जो आज राष्ट्रवाद और देशप्रेम का ठेकेदार बना हुआ है भगतसिंह का नाम ही इसके लिए दु:स्वप्न के समान है। संघियों को यदि देश से इनकी गद्दारी का इतिहास याद दिला दिया जाये तो इन्हें साँप सूँघ जाता है।

छात्रों-युवाओं के दमन और विरोधी विचारों को कुचलने की हरकतों का कड़ा विरोध

हैदराबाद विश्वविद्यालय में छात्रों के दमन और मुम्बई में आर.एस.एस. विरोधी पर्चे बाँटने पर नौजवान भारत सभा कार्यालय पर आतंकवाद निरोधक दस्ते के छापे की देश भर के जनवादी व नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं और विभिन्न जनसंगठनों की तरफ़ से की कड़ी निन्दा की गयी।

‘बीडीएस इंडिया कन्वेंशन’ में इज़रायल के पूर्ण बहिष्कार का आह्वान

फ़ि‍लिस्‍तीन के विरुद्ध इज़रायल की नस्लभेदी नीतियों और लगातार जारी जनसंहारी मुहिम के विरोध में नई दिल्ली के गांधी शान्ति प्रतिष्‍ठान में आयोजित ‘बीडीएस इंडिया कन्वेंशन’ में इज़रायल के पूर्ण बहिष्कार का आह्वान किया गया। ‘फ़ि‍लिस्‍तीन के साथ एकजुट भारतीय जन’ की ओर से आयोजित बीडीएस यानी बहिष्कार, विनिवेश, प्रतिबंध कन्वेंशन में देश के विभिन्न भागों से आये बुद्धिजीवियों और कार्यकर्ताओं ने सर्वसम्मति से तीन प्रस्ताव पारित किये जिनमें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रस्तावित इज़रायल यात्रा रद्द करने और इज़रायल के साथ सभी समझौते-सहकार निरस्त करने, इज़रायली कंपनियों और उत्पादों का बहिष्कार करने तथा इज़रायल का अकादमिक एवं सांस्कृतिक बहिष्कार करने की अपील की गयी। इस सवाल को लेकर आम जनता में व्यापक अभियान चलाने का भी निर्णय लिया गया। कन्वेंशन के दौरान यह आम राय उभरी कि ज़ायनवाद के विरुद्ध प्रचार उनके वैचारिक ‘पार्टनर’ हिन्दुत्ववादी फासिस्टों का भी पर्दाफ़ाश किये बिना प्रभावी ढंग से नहीं चलाया जा सकता। आम लोगों के बीच जाकर उन्हें यह समझाना होगा कि गाज़ा के हत्यारों और गुजरात के हत्यारों की बढ़ती नज़दीकी का राज़ यही है कि दोनों मानवता के दुश्मन हैं।

चन्‍द्रशेखर आजाद के 85वें शहादत के अवसर पर नौजवान भारत सभा ने शि‍क्षा-रोज़गार अधि‍कार अभि‍यान की शुरुआत की

हरियाणा में भाजपा सरकार मोदी लहर के जरिए सत्ता में आयी थी लेकिन लहर हर बार नहीं होती इसलिए भाजपा हरियाणा में ‘बांटो और राज करो’ की चाल चलकर एक वोटबैंक तैयार करना चाहती थी । इसलिए उन्होंने जाट और गैर–जाट को आपस में लड़वा दिया हालांकि हम पहले भी कहे चुके है इसमें सभी चुनावी पार्टियां शामिल थी । लेकिन भाजपा सरकार जनता का ध्यान मँहगाई, बेरोजगारी और अन्य समस्याओं से भटकाने के लिए जातिय ध्रुवीकरण की राजनीति करने में कामयाब रही ।

रोहित वेमुला की सांस्थानिक हत्या के विरोध में देशभर में विरोध प्रदर्शन

असल में विश्वविद्यालय प्रशासन और मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी, श्रम मंत्री बण्डारू दत्तात्रेय ही रोहित की मौत के लिए ज़िम्मेदार हैं। इन्हीं की प्रताड़ना का शिकार होकर एक नौजवान ने फाँसी लगा ली। उसका दोष क्या था? यही कि उसने धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों के खिलाफ़ आवाज उठायी थी। रोहित की मौत की ज़िम्मेदार वे ताकतें हैं जो लोगों के आवाज़ उठाने और सवाल उठाने पर रोक लगाना चाहती हैं और आज़ाद ख़याल रखने वाले लोगों को गुलाम बनाना चाहती हैं।

फ़ि‍लिस्तीन के समर्थन में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में कार्यक्रम

अपने वक्तव्य में प्रो. हबीब ने समूचे इज़रायल-फ़ि‍लिस्तीन विवाद की ऐतिहासिक रूपरेखा प्रस्तुत की एवं बताया कि किस प्रकार जायनवादियों ने पश्चिमी साम्राज्यवादियों की मदद से फ़ि‍लिस्तीन की ज़मीन हड़पी। उन्होंने स्पष्ट किया कि हालाँकि यह बात सच है कि आज जिसे फ़ि‍लिस्तीन कहा जाता है वहाँ प्राचीन काल में यहूदी आबादी रहती थी और उस आबादी को संभवत: दमन की वजह से फ़ि‍लिस्तीन छोड़ना पड़ा, परन्तु प्राचीन काल में यहूदियों का दमन रोम साम्राज्य के दौर में हुआ था और उस समय इस्लाम का उदय भी नहीं हुआ था। इस प्रकार यहूदियों के फ़ि‍लिस्तीन छोड़ने के लिए अरबों की कोई भूमिका नहीं थी। अरबों ने जब फ़ि‍लिस्तीन पर फ़तह की तो वहाँ की अधिकांश आबादी यहूदी नहीं बल्कि ईसाई थी। अरबों के शासन के दौरान यहूदियों के दमन का कोई प्रमाण नहीं मिलता है। इसलिए यह कहना पूरी तरह से ग़लत है कि यहूदी एवं मुस्लिम सदियों से लड़ते आये हैं। इज़रायल और फ़ि‍लिस्तीन के मौजूदा विवाद के इतिहास की चर्चा करते हुए प्रो. हबीब ने बताया कि उन्नीसवीं सदी के अन्त में ज़ायनवाद की विचारधारा के उदय के बाद से साम्राज्यवादियों की मदद से यहूदियों को फ़ि‍लिस्तीन में बसाने की शुरुआत होती है। उन्‍होंने 1917 के प्रसिद्ध बैलफोर घोषणा का हवाला दिया जिसमें पहली बार फ़ि‍लिस्तीन में यहूदियों के देश बनाने की बात कही गई।

साम्प्रदायिक विरोधी संयुक्त मोर्चे द्वारा फासीवाद के खिलाफ़ ज़ोरदार रोष प्रदर्शन

वक्ताओं ने कहा कि हिन्दु धर्म को खतरा, गाय को खतरा, तथाकथित लव-जेहाद से हिन्दु लडकियों को खतरा, आदि खतरों के हौवे इसलिए खडे किये जा रहे हैं क्योंकि हुक्मरानों को जनाक्रोश से खतरा है। मुट्ठीभर धनाढ्य वर्गों को महँगाई, बेरोजगारी, गरीबी, बदहाली से त्रस्त देश की 85 प्रतिशत आबादी से खतरा है। हुक्मरानों को लोगों की हक, सच, इंसाफ की आवाज उठाने, संगठित होने, संघर्ष करने, लिखने, बोलने, विचार व्यक्त करने के जनवादी अधिकारों से खतरा है। हुक्मरानों को देशी-विदेशी पूँजीपतियों के पक्ष में लागू की जा रही निजीकरण-उदारीकरण की नीतियों के खिलाफ़, सरकारों द्वारा श्रमिक अधिकारों के हनन, जबरन जमीनें हथियाने आदि के खिलाफ़ लोगों के आगे बढ़ रहे संघर्षों से खतरा है।

शहीद करतार सिंह सराभा के शहादत दिवस पर समाज बदलने के लिए आगे आने का आह्वान

शहीद करतार सिंह सराभा के 100वीं शहादत वर्षगाँठ (16 नवम्बर) के अवसर पर लुधियाना में टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन व कारखाना मज़दूर यूनियन ने नुक्कड़ सभाएँ की और पर्चा बाँटा। वक्ताओं ने कहा कि महान गदरी सूरबीर शहीद करतार सिंह सराभा महज साढे उन्नीस वर्ष की उम्र में अंग्रेज हकूमत द्वारा फाँसी पर चढ़ाकर शहीद कर दिए गए थे। वे एक ऐसे समाज के निर्माण के लिए लड़ रहे थे जहाँ इंसान के हाथों इंसान को दबाया न जाए, जहाँ धर्म के नाम पर कत्लेआम ने हो, जहाँ जाति व्यवस्था का कोई नामो-निशां न हो।