शहीद भगतसिंह के जन्मदिवस पर मराठी में क्रान्तिकारी साहित्य के प्रकाशन की शुरुआत
इस मौके पर बोलते हुए नौजवान भारत सभा के नारायण ने कहा कि भगतसिंह की शहादत के इतने वर्षों बाद भी उनके लेख प्रासंगिक हैं। इसका कारण ये है कि भगतसिंह केवल अंग्रेजों के विरुद्ध भारतीय जनता की लड़ाई के ही नहीं बल्कि शोषण के विरुद्ध मज़दूरों की लड़ाई के भी प्रतीक हैं। समानता पर आधारित व शोषणमुक्त समाज का सपना आंखों में लिए भगतसिंह व उनके साथियों ने अपना सब कुछ बलिदान कर दिया पर आज भी वैसा समाज नहीं बन पाया। उसी शोषणमुक्त समाज के निर्माण के लिए दुनियाभर के मज़दूरों की तरह ही भारत के मज़दूर भी लड़ रहे हैं। इस संघर्ष को परिणति तक ले जाने के लिए भगतसिंह का लेखन आज भी मार्गदर्शक है। सड़े-गले विचारों, रूढ़ियों व बौद्धिक गुलामी की जकड़ से आज़ाद होने की प्रेरणा देने की विलक्षण क्षमता उनके लिखे शब्दों में है। उनके लेखन से प्रेरित होकर खुद को शोषण के विरुद्ध लड़ाई में झोंक देना, यही भगतसिंह को सच्ची श्रद्धांजलि होगी।