Category Archives: गतिविधि रिपोर्ट

28 फ़रवरी की हड़ताल: एक और ”देशव्यापी” तमाशा

सवाल उठता है कि लाखों-लाख सदस्य होने का दावा करने वाली ये बड़ी-बड़ी यूनियनें करोड़ों मज़दूरों की ज़िन्दगी से जुड़े बुनियादी सवालों पर भी कोई जुझारू आन्दोलन क्यों नहीं कर पातीं? अगर इनके नेताओं से पूछा जाये तो ये बड़ी बेशर्मी से इसका दोष भी मज़दूरों पर ही मढ़ देते हैं। दरअसल, ट्रेड यूनियनों के इन मौक़ापरस्त, दलाल, धन्धेबाज़ नेताओं का चरित्र इतना नंगा हो चुका है कि मज़दूरों को अब ये ठग और बरगला नहीं पा रहे हैं। एक जुझारू, ताक़तवर संघर्ष के लिए व्यापक मज़दूर आबादी को संगठित करने के लिए ज़रूरी है कि उनके बीच इन नक़ली मज़दूर नेताओं का, लाल झण्डे के इन सौदागरों का पूरी तरह पर्दाफ़ाश किया जाये। मगर ख़ुद को ‘इंक़लाबी’ कहने वाले कुछ संगठन ऐसा करने के बजाय हड़ताल वाले दिन भी कहीं-कहीं इन दलालों के पीछे-पीछे घूमते नज़र आये।

तृतीय अरविन्द स्मृति संगोष्ठी की रिपोर्ट

पिछली 22 से 24 जुलाई तक लखनऊ में भारत में जनवादी अधिकार आन्दोलन: दिशा, समस्याएँ और चुनौतियाँ विषय पर तीसरी अरविन्द स्मृति संगोष्ठी का आयोजन किया गया। उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के हॉल में अरविन्द स्मृति न्यास द्वारा आयोजित संगोष्ठी में तीन दिनों तक हुई गहन चर्चा के दौरान देशभर से आये प्रमुख जनवादी अधिकार संगठनों के प्रतिनिधियों, कार्यकर्ताओं, न्यायविदों, सामाजिक कार्यकर्ताओं और बुद्धिजीवियों के बीच इस बात पर आम सहमति बनी कि सत्ता के बढ़ते दमन-उत्पीड़न और जनता के मूलभूत अधिकारों के हनन की बढ़ती घटनाओं के विरुद्ध एक व्यापक तथा एकजुट जनवादी अधिकार आन्दोलन खड़ा करना आज समय की माँग है। आज देश में उदारीकरण-निजीकरण की नीतियों के तहत हो रहे विकास का रथ आम जनता के मूलभूत अधिकारों को रौंदता हुआ बढ़ रहा है। आतंक के विरुद्ध युद्ध के नाम पर देश के कई क्षेत्रों में जनता के विरुद्ध सरकार का आतंकवादी युद्ध जारी है। सामाजिक-राजनीतिक जीवन में जनवाद का स्पेस कम होता जा रहा है। दूसरी ओर, जनवादी अधिकार संगठनों की संख्या बढ़ने के बावजूद इन हमलों का प्रभावी प्रतिरोध नहीं हो पा रहा है। ऐसे में, एक व्यापक आधार वाले तथा एकजुट जनवादी अधिकार आन्दोलन के लिए मिलकर प्रयास करने की ज़रूरत है।

करावल नगर के मज़दूरों ने बनायी इलाक़ाई यूनियन

7 जुलाई को करावल नगर मज़दूर यूनियन के गठन के लिए अगुआ टीम की बैठक हुई जिसमें मज़दूर साथियों की समन्यवय समिति बनायी गयी जिसने इलाक़े में यूनियन के प्रचार और इसके महत्व को बताते हुए सभी पेशों के मज़दूरों को सदस्य बनाने की योजना बनायी। सदस्यता का प्रमुख पैमाना सक्रियता को रखा गया। साथ ही यूनियन के संयोजक नवीन ने बताया कि जब यूनियन की सदस्यता 100 हो जायेगी तो इसके सभी सदस्यों को बुलाकर इसके पदाधिकारी, कार्यकारणी व अन्य पदों के लिए चुनाव कराया जाएगा।

गोरखपुर मज़दूर आन्दोलन के पक्ष में अभियान का समर्थन देने वाले कुछ प्रमुख व्यक्तियों के सन्देश।

यह वाक़ई बहुत बड़ी जीत है। आज तक आन्तरिक जाँच को मालिक का सर्वाधिकार माना जाता रहा है। मज़दूरों ने लड़कर यह हक़ हासिल किया है कि जाँच में स्टाफ़ और मज़दूरों के प्रतिनिधि होंगे। यह मज़दूर संघर्षों के इतिहास में नया मील का पत्थर है। इसका प्रचार किया जाना चाहिए और इसे सिद्धान्त के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए कि हर आन्तरिक जाँच में इसी तरह के जाँचकर्ता हों।

1 मई की तैयारी के लिए दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में जमकर चला मज़दूर माँगपत्रक प्रचार अभियान

मार्च और अप्रैल के महीनों में दिल्ली के अनेक औद्योगिक क्षेत्रों और उनसे लगी विभिन्न मज़दूर बस्तियों में मज़दूर माँगपत्रक आन्दोलन की प्रचार टोली ने मज़दूरों की व्यापक आबादी को इस आन्दोलन के बारे में बताने और इससे जोड़ने के लिए सघन अभियान चलाया। इस दौरान छोटी-छोटी नुक्कड़ सभाओं, प्रभात फेरियों तथा घर-घर सम्पर्क के अलावा कई मज़दूर बस्तियों में बड़ी जनसभाएँ और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किये गये। अप्रैल के महीने में हुए विभिन्न कार्यक्रमों में मज़दूरों के साथ होने वाली दुर्घटनाओं पर आधारित एक डॉक्यूमेण्‍ट्री फिल्म भी दिखायी गयी।

मज़दूर माँगपत्रक आन्दोलन-2011 के तहत करावल नगर में ‘मज़दूर पंचायत’ का आयोजन

शहीदेआज़म भगतसिंह, राजगुरू, सुखदेव के 80वें शहादत दिवस पर करावल नगर के न्यू सभापुर इलाक़े में ‘मज़दूर पंचायत’ का आयोजन किया गया। यह आयोजन मज़दूर माँगपत्रक आन्दोलन-2011 की तरफ़ से किया गया था। इसमें करावल नगर के तमाम दिहाड़ी, ठेका व पीस रेट पर काम करने वाले मज़दूरों ने भागीदारी की और अपनी समस्याओं को साझा किया।

पटना में दो दिवसीय क्रान्तिकारी नवजागरण अभियान

देश के विभिन्न इलाक़ों में क्रान्तिकारी राजनीति का प्रचार-प्रसार करने और लोगों को संगठित करने की मुहिम में एक और डग भरते हुए, ‘दिशा छात्र संगठन’ और ‘नौजवान भारत सभा’ के कार्यकर्ताओं ने बिहार के पटना ज़िले में 15 और 16 मार्च को शहीदेआज़म भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव के 80वें शहादत दिवस के मौक़े पर दो दिवसीय क्रान्तिकारी नवजागरण अभियान चलाया।

काकोरी के शहीदों की याद में ‘अवामी एकता मार्च’

नौजवान भारत सभा, दिशा छात्र संगठन और बिगुल मजदूर दस्ता की ओर से काकोरी के शहीदों की याद में करावल नगर में ‘अवामी एकता मार्च’ निकाला गया। सैकड़ों मजदूरों और नौजवानों ने शहीदों की स्मृति में जुटान किया। मार्च की शुरुआत सुबह नौ बजे शहीद भगतसिंह पुस्तकालय, मुकुन्द विहार से की गयी। मार्च में नौजवान के हाथ में काकोरी के शहीदों की तस्वीरें और नारें लिखी तख्तियां थी। छात्रें, नौजवानों और मजदूरों ने ‘अशफाकउल्ला बिस्मिल का पैगाम-जारी रखना है संग्राम’, ‘अशफाकउल्ला बिस्मिल की दोस्ती अमर रहे अमर रहे’, ‘शहीदों का सपना आज भी अधूरा – छात्र और नौजवान उसे करेंगे पूरा’ आदि नारे लगा रहे थे। इस मार्च में उपरोक्त संगठनों द्वारा पर्चा निकाला गया जिसका शीर्षक था ‘जाति-धर्म के झगड़े छोड़ो – सही लड़ाई से नाता जोड़ो’।

झिलमिल और बादली औद्योगिक क्षेत्र में माँगपत्रक आन्दोलन का सघन प्रचार अभियान

7 दिसम्बर की शाम को झिलमिल के कारख़ानों से बस्ती की ओर जाने वाले रास्ते पर जोरदार नारों की आवाज ने काम से लौटते मजदूरों को रुक जाने पर विवश कर दिया। देखते ही देखते माँगपत्रक आन्दोलन की अभियान टोली के चारों ओर मजदूरों का घेरा बन गया और फिर ढपली की थाप के साथ एक जोशीले क्रान्तिकारी गीत के बाद एक कार्यकर्ता ने मजदूरों के हालात और माँगपत्रक आन्दोलन के बारे में बताना शुरू कर दिया। मजदूरों ने उत्साह के साथ प्रचार टोली की बातों को सुना, आन्दोलन के पर्चे लिये, कई मजदूरों ने माँगपत्रक पुस्तिका खरीदीं और इसके बारे में और जानने तथा इससे जुड़ने के लिए अपने नाम-पते- फोन नम्बर नोट कराये। तीन दिनों तक झिलमिल औद्योगिक इलाके में दर्जनों जगहों पर यह दृश्य दिखा।

तीन-दिवसीय द्वितीय अरविन्द स्मृति संगोष्ठी गोरखपुर में सम्पन्न

साथी अरविन्द की स्मृति में पिछले वर्ष प्रथम अरविन्द स्मृति संगोष्ठी का आयोजन दिल्ली में हुआ था, जिसमें देश-विदेश से क्रान्तिकारी संगठनों के प्रतिनिधियों, कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों और शोधकर्ताओं ने शिरकत की थी। इस वर्ष द्वितीय अरविन्द स्मृति संगोष्ठी को एक दिन की बजाय तीन दिन का रखा गया और इसे गोरखपुर में आयोजित किया गया। पिछली बार के विषय को ही विस्तार देते हुए इस बार ’21वीं सदी में भारत का मज़दूर आन्दोलन : निरन्तरता और परिवर्तन, दिशा और सम्भावनाएँ, समस्याएँ और चुनौतियाँ’ विषय पर विस्तृत चर्चा हुई।