Category Archives: गतिविधि रिपोर्ट

1 मई की तैयारी के लिए दिल्ली के विभिन्न क्षेत्रों में जमकर चला मज़दूर माँगपत्रक प्रचार अभियान

मार्च और अप्रैल के महीनों में दिल्ली के अनेक औद्योगिक क्षेत्रों और उनसे लगी विभिन्न मज़दूर बस्तियों में मज़दूर माँगपत्रक आन्दोलन की प्रचार टोली ने मज़दूरों की व्यापक आबादी को इस आन्दोलन के बारे में बताने और इससे जोड़ने के लिए सघन अभियान चलाया। इस दौरान छोटी-छोटी नुक्कड़ सभाओं, प्रभात फेरियों तथा घर-घर सम्पर्क के अलावा कई मज़दूर बस्तियों में बड़ी जनसभाएँ और सांस्कृतिक कार्यक्रम भी किये गये। अप्रैल के महीने में हुए विभिन्न कार्यक्रमों में मज़दूरों के साथ होने वाली दुर्घटनाओं पर आधारित एक डॉक्यूमेण्‍ट्री फिल्म भी दिखायी गयी।

मज़दूर माँगपत्रक आन्दोलन-2011 के तहत करावल नगर में ‘मज़दूर पंचायत’ का आयोजन

शहीदेआज़म भगतसिंह, राजगुरू, सुखदेव के 80वें शहादत दिवस पर करावल नगर के न्यू सभापुर इलाक़े में ‘मज़दूर पंचायत’ का आयोजन किया गया। यह आयोजन मज़दूर माँगपत्रक आन्दोलन-2011 की तरफ़ से किया गया था। इसमें करावल नगर के तमाम दिहाड़ी, ठेका व पीस रेट पर काम करने वाले मज़दूरों ने भागीदारी की और अपनी समस्याओं को साझा किया।

पटना में दो दिवसीय क्रान्तिकारी नवजागरण अभियान

देश के विभिन्न इलाक़ों में क्रान्तिकारी राजनीति का प्रचार-प्रसार करने और लोगों को संगठित करने की मुहिम में एक और डग भरते हुए, ‘दिशा छात्र संगठन’ और ‘नौजवान भारत सभा’ के कार्यकर्ताओं ने बिहार के पटना ज़िले में 15 और 16 मार्च को शहीदेआज़म भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव के 80वें शहादत दिवस के मौक़े पर दो दिवसीय क्रान्तिकारी नवजागरण अभियान चलाया।

काकोरी के शहीदों की याद में ‘अवामी एकता मार्च’

नौजवान भारत सभा, दिशा छात्र संगठन और बिगुल मजदूर दस्ता की ओर से काकोरी के शहीदों की याद में करावल नगर में ‘अवामी एकता मार्च’ निकाला गया। सैकड़ों मजदूरों और नौजवानों ने शहीदों की स्मृति में जुटान किया। मार्च की शुरुआत सुबह नौ बजे शहीद भगतसिंह पुस्तकालय, मुकुन्द विहार से की गयी। मार्च में नौजवान के हाथ में काकोरी के शहीदों की तस्वीरें और नारें लिखी तख्तियां थी। छात्रें, नौजवानों और मजदूरों ने ‘अशफाकउल्ला बिस्मिल का पैगाम-जारी रखना है संग्राम’, ‘अशफाकउल्ला बिस्मिल की दोस्ती अमर रहे अमर रहे’, ‘शहीदों का सपना आज भी अधूरा – छात्र और नौजवान उसे करेंगे पूरा’ आदि नारे लगा रहे थे। इस मार्च में उपरोक्त संगठनों द्वारा पर्चा निकाला गया जिसका शीर्षक था ‘जाति-धर्म के झगड़े छोड़ो – सही लड़ाई से नाता जोड़ो’।

झिलमिल और बादली औद्योगिक क्षेत्र में माँगपत्रक आन्दोलन का सघन प्रचार अभियान

7 दिसम्बर की शाम को झिलमिल के कारख़ानों से बस्ती की ओर जाने वाले रास्ते पर जोरदार नारों की आवाज ने काम से लौटते मजदूरों को रुक जाने पर विवश कर दिया। देखते ही देखते माँगपत्रक आन्दोलन की अभियान टोली के चारों ओर मजदूरों का घेरा बन गया और फिर ढपली की थाप के साथ एक जोशीले क्रान्तिकारी गीत के बाद एक कार्यकर्ता ने मजदूरों के हालात और माँगपत्रक आन्दोलन के बारे में बताना शुरू कर दिया। मजदूरों ने उत्साह के साथ प्रचार टोली की बातों को सुना, आन्दोलन के पर्चे लिये, कई मजदूरों ने माँगपत्रक पुस्तिका खरीदीं और इसके बारे में और जानने तथा इससे जुड़ने के लिए अपने नाम-पते- फोन नम्बर नोट कराये। तीन दिनों तक झिलमिल औद्योगिक इलाके में दर्जनों जगहों पर यह दृश्य दिखा।

तीन-दिवसीय द्वितीय अरविन्द स्मृति संगोष्ठी गोरखपुर में सम्पन्न

साथी अरविन्द की स्मृति में पिछले वर्ष प्रथम अरविन्द स्मृति संगोष्ठी का आयोजन दिल्ली में हुआ था, जिसमें देश-विदेश से क्रान्तिकारी संगठनों के प्रतिनिधियों, कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों और शोधकर्ताओं ने शिरकत की थी। इस वर्ष द्वितीय अरविन्द स्मृति संगोष्ठी को एक दिन की बजाय तीन दिन का रखा गया और इसे गोरखपुर में आयोजित किया गया। पिछली बार के विषय को ही विस्तार देते हुए इस बार ’21वीं सदी में भारत का मज़दूर आन्दोलन : निरन्तरता और परिवर्तन, दिशा और सम्भावनाएँ, समस्याएँ और चुनौतियाँ’ विषय पर विस्तृत चर्चा हुई।

देश के विभिन्न हिस्सों में माँगपत्रक आन्दोलन-2011 की शुरुआत

यह एक महत्तवपूर्ण आन्दोलन है जिसमें भारत के मज़दूर वर्ग का एक व्यापक माँगपत्रक तैयार करते हुए भारत की सरकार से यह माँग की गयी है कि उसने मज़दूर वर्ग से जो-जो वायदे किये हैं उन्हें पूरा करे, श्रम कानूनों को लागू करे, नये श्रम कानून बनाये और पुराने पड़ चुके श्रम कानूनों को रद्द करे। इस माँगपत्रक में करीब 26 श्रेणी की माँगें हैं जो आज के भारत के मज़दूर वर्ग की लगभग सभी प्रमुख आवश्यकताओं का प्रतिनिधित्व करती हैं और साथ ही उसकी राजनीतिक माँगों को भी अभिव्यक्त करती हैं। इन सभी माँगों के लिए मज़दूर वर्ग में व्यापक जनसमर्थन जुटाने के लिए आन्दोलन चलाने के वास्ते एक संयोजन समिति का निर्माण किया गया है जो आन्दोलन की आम दिशा और कार्यक्रम को तय करेगी।

8 मार्च के मौके पर ‘स्त्री मजदूर संगठन’ की शुरुआत

सभा में बड़ी संख्या में जुटी मेहनतकश औरतों को सम्बोधित करते हुए कविता ने कहा कि 8 मार्च को मनाया जाने वाला ‘अन्तरराष्ट्रीय स्त्री दिवस’ हर साल हमें हक, इंसाफ और बराबरी की लड़ाई में फौलादी इरादे के साथ शामिल होने की याद दिलाता है। पिछली सदी में दुनिया की औरतों ने संगठित होकर कई अहम हक हासिल किये। लेकिन गुजरे बीस-पच्चीस वर्षों से जमाने की हवा थोड़ी उल्टी चल रही है। लूट-खसोट का बोलबाला है। मजदूर औरत-मर्द बारह-चौदह घण्टे हाड़ गलाकर भी दो जून की रोटी, तन ढाँकने को कपड़े, सिर पर छत, दवा-इलाज और बच्चे की पढ़ाई का जुगाड़ नहीं कर पाते। मेहनतकश औरतों की हालत तो नर्क से भी बदतर है। हमारी दिहाड़ी पुरुष मजदूरों से भी कम होती है जबकि सबसे कठिन और महीन काम हमसे कराये जाते हैं। कई फैक्ट्रियों में हमारे लिए अलग शौचालय तक नहीं होते, पालनाघर तो दूर की बात है। दमघोंटू माहौल में दस-दस, बारह-बारह घण्टे खटने के बाद, हर समय काम से हटा दिये जाने का डर। मैनेजरों, सुपरवाइजरों, फोरमैनों की गन्दी बातों, गन्दी निगाहों और छेड़छाड़ का भी सामना करना पड़ता है। गरीबी से घर में जो नर्क का माहौल बना होता है, उसे भी हम औरतें ही सबसे ज्यादा भुगतती हैं।

पंजाब में क्रान्तिकारियों की याद में कार्यक्रम

नौजवान भारत सभा ने महान शहीदों – भगतसिंह, राजगुरु और सुखदेव के 79वें शहादत दिवस के अवसर पर पंजाब के विभिन्न क्षेत्रों – लुधियाना, मण्डी गोबिन्दगढ़, माछीवाड़ा, पख्खोवाल, रायकोट, जगराओं, नवाँ शहर, जोनेवाल, खन्ना, अलोड़ गाँव, जोनेवाल गाँव में जोरदार प्रचार अभियान चलाकर हजारों लोगों तक शहीदों के विचार पहुँचाये। इस अवसर पर बड़े पैमाने पर पंजाबी और हिन्दी में पर्चा भी बाँटा गया। शहीद भगतसिंह की तस्वीर वाला एक आकर्षक पोस्टर पंजाब के अनेक शहरों और गाँवों में दीवारों पर चिपकाया गया। लुधियाना, मण्डी गोबिन्दगढ़ और माछीवाड़ा में क्रान्तिकारी नाटकों और गीतों के जरिये शहीदों को श्रध्दांजलि की गयी।

‘क्रान्तिकारी जागृति अभियान’ का आह्वान – भगतसिंह की बात सुनो! नयी क्रान्ति की राह चुनो!!

चन्द्रशेखर आजाद के शहादत दिवस (27 फरवरी) से भगतसिंह के शहादत दिवस (23 मार्च) तक उत्तर-पश्चिम दिल्ली के मजदूर इलाकों में नौजवान भारत सभा, बिगुल मजदूर दस्ता, स्त्री मजदूर संगठन और जागरूक नागरिक मंच की ओर से ‘क्रान्तिकारी जागृति अभियान’ चलाया गया। अभियान टोली ने इस एक महीने के दौरान हजारों मजदूरों से सीधे सम्पर्क किया और उनका आह्वान करते हुए कहा कि चन्द्रशेखर आजाद, भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरू की शहादतों को याद करने का सबसे अच्छा रास्ता यह है कि हम मेहनतकश इन महान इन्कलाबियों के जीवन और विचारों से प्रेरणा लेकर पस्तहिम्मती के अंधेरे से बाहर आयें और पूँजी की गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने के लिए कमर कसकर उठ खड़े हों।