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शहीद भगतसिंह के 108वें जन्मदिवस पर पूँजीवाद और साम्प्रदायिक फासीवाद से लड़ने का संकल्प
बिगुल संवाददाता
नौजवान भारत सभा की उत्तर-पश्चिमी दिल्ली इकाई द्वारा एक सप्ताह की ‘पैग़ाम-ए-इंक़लाब मुहिम’
इस मुहिम के तहत शाहाबाद डेयरी, सूरज पार्क, राजा विहार, रोहिणी सेक्टर-27 की बस्ती, बवाना के रिहायशी इलाकों में साइकिल जुलूस निकाला गया। जगह-जगह नुक्कड़ सभाएं करने के साथ गुरुशरण सिंह के नाटक ‘हवाई गोले’ पर आधारित ‘देख फकीरे लोकतंत्र का फूहड़ नंगा नाच’ का भी मंचन किया गया। 28 सितम्बर को शाहाबाद डेयरी में सुबह प्रभात फेरी, और नुक्कड़ नाटक व सभा किया गया।
सभा में अभियान की संयोजिका कविता कृष्णपल्लवी ने कहा कि भगतसिंह ने एक समतामूलक, शोषण मुक्त समाज की स्थापना के लिए पूँजीवाद-साम्राज्यवाद विरोध का नारा दिया था और मज़दूरों-मेहनतकशों के राज की कल्पना की थी। जबकि आज के दौर में मेहनतकशों को लूटने-खसोटने वाली तमाम ताक़तों का एक नापाक गठबन्धन बन चुका है, जिसमें देशी-विदेशी पूँजीपतियों के साथ-साथ तमाम चुनावी मदारी और देश की नौकरशाही शामिल है। ऐसे में शोषित-उत्पीड़ित जनता के लिए भी एक फौलादी क्रान्तिकारी एकजुटता क़ायम करना ज़रूरी है। लेकिन उस एकजुटता को भी ख़त्म करने के लिए हिन्दुत्ववादी फासिस्ट संगठन साज़िशें कर रहे हैं। उनके खूनी मंसूबों को जनता के सामने बेनकाब करना क्रान्तिकारी शक्तियों का मुख्य कार्यभार है।
पैग़ाम-ए-इंक़लाब मुहिम के अन्तिम दो दिन दक्षिण दिल्ली के जामियानगर के विभिन्न इलाकों, गफ्फार मंजि़ल, बाटला हाउस आदि में नुक्कड़ सभा व नुक्कड़ नाटक किया गया। दिन में आई.एन.ए. स्थित विकास भवन के सामने भी नुक्कड़ नाटक किया गया। इस दौरान लोगों के बीच बड़े पैमाने पर पर्चे बाँटे गये।
गाज़ियाबाद में ‘रंग लायेगा शहीदों का लहू’ अभियान
नौजवान भारत सभा ने गाज़ियाबाद में दो दिन का ‘रंग लायेगा शहीदों का लहू’ अभियान चलाया।
27 तथा 28 सितम्बर को विजयनगर की माता कॉलोनी और भूड़ भारत नगर में नौभास के कार्यकर्ताओं ने प्रभात फेरी निकाली और क्रान्तिकारी गीतों के ज़रिये भगतसिंह के विचारों को लोगों तक पहुँचाया। 27 सितम्बर को शहीद भगतसिंह पुस्तकालय पर ‘जाति-धर्म के झगड़े और भगतसिंह की विरासत’ विषय पर विचार-चर्चा का आयोजन किया गया। विचार-चर्चा में जाति-प्रथा के पैदा होने के कारण, शुरुआती दौर में जाति-प्रथा के स्वरूप, समय के साथ इसमें आये बदलावों, और वर्तमान दौर में जाति-प्रथा को बनाये रखने में पूँजीवादी व्यवस्था की भूमिका पर खुलकर चर्चा हुई। किस तरह आज 21वीं सदी में भी जातिवादी मानसिकता लोगों के दिमागों में जड़ जमाये हुए है और दलित तथा पिछड़ी जातियों को क़दम-क़दम पर मानसिक तथा शारीरिक जाति-आधरित उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है इस पर विस्तार से बात हुई। जनता को धर्म के नाम पर बाँटने की साम्प्रदायिक संगठनों की घृणित चालों पर भी बातचीत हुई। नौभास की ओर से तपीश ने कहा कि जनता को रोजी-रोटी, गरीबी, बेरोज़गारी जैसे उसके असली मुद्दों से भटकाकर उसकी वर्ग-एकजुटता को तोड़ना ही साम्प्रदायिक ताकतों का असली मक़सद होता है। इन साम्प्रदायिक ताकतों से लड़ने के लिए आम घरों के युवाओं तथा नागरिकों को आगे आना होगा।
28 सितम्बर को सुबह के समय एम.एम.एच कॉलेज गेट पर पुस्तक एवं पोस्टर प्रदर्शनी लगायी गयी। कॉलेज के छात्रों में क्रान्तिकारी आन्दोलन और वर्तमान समय की समस्याओं के बारे में जानने-समझने की गहरी जिज्ञासा के साथ ही बेरोज़गारी, सीटों में कटौती, फीस बढ़ोतरी और आरक्षण जैसे मुद्दों पर विस्तार से बातचीत की। नौभास के कार्यकर्ता ने कहा कि आरक्षण का मुद्दा दरअसल रोज़गार से जुड़ा हुआ है और लोगों में यह भ्रम फैलाया जा रहा है कि उन्हें नौकरी न मिलने का कारण आरक्षण है। लेकिन पिछले दस साल के ही आँकड़ों से यह साफ़ है कि सरकारी और प्राइवेट नौकरियों में भारी कटौती की गयी है जो कि लगातार जारी है। इसलिए आरक्षण हटा देने से युवाओं को नौकरी मिल जायेगी यह कोरा झूठ है। छात्रों-युवाओं को आरक्षण के नाम पर आपस में लड़ने की बजाय नि:शुल्क और एकसमान शिक्षा और रोज़गार गारण्टी की माँगों पर व्यापक एकजुटता क़ायम करने की शुरुआत करनी चाहिए।
27 तथा 28 सितम्बर को शाम के समय माता कॉलोनी और भूड़ भारत नगर इलाके में नुक्कड़ सभाएँ की गयीं और पर्चा वितरण किया गया।
हरियाणा में जनअभियान व सांस्कृतिक कार्यक्रम
नौजवान भारत सभा, हरियाणा ने शहीद-ए-आज़म भगतसिंह के 108वें जन्म दिवस के अवसर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन किया। कार्यक्रमों की शुरुआत 26 सितम्बर से चैशाला गाँव (कलायत, कैथल) में क्रान्तिकारी प्रचार अभियान से की गयी। गाँव में क्रान्तिकारी प्रचार के दौरान नुक्कड़ सभाएँ करते हुए व्यापक परचा वितरण किया गया। 27 सितम्बर को सुबह कलायत में नुक्कड़ सभाएँ करते हुए प्रचार अभियान चलाया गया जिसमें विभिन्न वक्ताओं ने पूँजीवादी व्यवस्था का भण्डाफोड़ किया और बताया कि भगतसिंह ने आज जैसी व्यवस्था कायम करने के लिए शहादत नहीं दी थी। उनका सपना एक समतामूलक समाज का था। तमाम चुनावबाज पार्टियाँ जनता को वोट बैंक की राजनीति के लिए एक मोहरे के रूप में इस्तेमाल करती हैं। आज जनता को न केवल अपनी रोज-रोज की समस्याओं के लिए एकजुट होना होगा बल्कि शहीदों के सपनों के भारत के निर्माण के लिए भी जुटना होगा। 27 सितम्बर को ही शाम को गाँव मोहलखेड़ा में सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
28 सितम्बर को सुबह नरवाना के नेहरू पार्क में पर्चा वितरण किया गया और शहीद भगतसिंह की मूर्ति पर माल्यार्पण किया गया। इसके बाद नेहरू पार्क से भगतसिंह चौक (जो लेबर चौक भी है) तक जुलूस निकाला गया। चौक पर भगतसिंह, राजगुरु, सुखदेव की मूर्तियों पर माल्यार्पण करने के बाद हुई सभा में वहाँ मौजूद मज़दूर साथियों तक भगतसिंह के इंक़लाबी सन्देश को पहुँचाया गया।
लुधियाना में मज़दूरों के बीच भगतसिंह की याद
नौजवान भारत सभा, टेक्सटाइल-हौज़री कामगार यूनियन व कारखाना मज़दूर द्वारा मज़दूर पुस्तकालय, ई.डब्ल्यू.एस. कालोनी में हावर्ड फास्ट के उपन्यास ‘आदि विद्रोही’ पर आधारित फिल्म ‘स्पार्टकस’ प्रदर्शित की गई। 25 से 28 सितम्बर तक लुधियाना के विभिन्न इलाकों में पैदल मार्च, नुक्कड़ सभाएँ करते हुए पर्चा वितरण के जरिए शहीद भगतसिंह की सोच लोगों तक पहुँचायी गयी।
सभाओं में कहा गया कि आज देश के मज़दूरों, मेहनतकशों, नौजवानों को जिन भयंकर हालातों से गुजरना पड़ रहा उनमें भगतिसंह को याद करना बेहद ज़रूरी है। हमें यह याद करना होगा कि भगतसिंह की लड़ाई महज़ विदेशी हुकूमत के खिलाफ नहीं थी बल्कि देशी शोषक वर्गों के ख़िलाफ़ भी थी। आज क्रान्तिकारियों की शहादतों से प्रेरणा लेनी होगी, उनके विचारों से सीखना होगा और क्रान्तिकारी विचारों को जन-जन तक पहुँचाना होगा।
वक्ताओं ने कहा कि सभी तरह के धार्मिक कट्टरपंथी लोगों को आपस में लड़ाने की कोशिशें तेज़ कर चुके हैं। संघ परिवार-भाजपा के नेतृत्व में हिन्दुत्ववादी कट्टरपंथी सबसे खतरनाक साम्प्रदायिक ताकत है। इन साम्प्रदायिक ताकतों का असल निशाना जनता का लूट-दमन जारी रखना है। हमें हाकिमों की साज़िशों को समझना और नाकाम करना होगा।
मानखुर्द (मुम्बई) में शहीद भगतसिंह पुस्तकालय की शुरुआत
मानखुर्द में नौजवान भारत सभा द्वारा शहीद भगतसिंह पुस्तकालय की शुरुआत की गर्इ। इस कार्यक्रम में इलाके भर से बच्चों, नौजवानों व नागरिकों ने शिरकत की तथा कुछ शिक्षण संस्थानों के छात्र भी कार्यक्रम में शामिल हुए।
नौभास के नारायण ने कहा कि हमारे संसाधन-सम्पन्न देश की बहुसंख्यक आबादी आज भी भयंकर ग़रीबी, बेरोज़गारी व भुखमरी झेल रही है क्योंकि सारे संसाधनों पर मुट्ठीभर पूँजीपतियों की जमात कुण्डली मारकर बैठ गयी है जो अपने मुनाफ़े की ख़ातिर मेहनतकशों को दिन-रात खटाती है। आज टी.वी., फिल्म उद्योग, इंटरनेट से लेकर सभी प्रकार के प्रचार माध्यम बच्चों व नौजवानों को स्वार्थी, हिंसक और विकृत बनाने वाली चीजें मनोरंजन के नाम पर परोस रहे हैं जिससे समाज में तरह-तरह के अन्धविश्वास व विकृतियाँ फैल रही हैं। मुनाफे की इस व्यवस्था का विकल्प खड़ा करने की लम्बी लड़ाई की तैयारी के लिए ज़रूरी है कि नौजवानों का व्यक्तित्व समृद्ध हो। स्वस्थ मनोरंजन के साथ-साथ बच्चों व नौजवानों में ऊँचे जीवन मूल्य और वैज्ञानिक दृष्टिकोण विकसित किया जाये। ऐसी पुस्तकें इस काम के लिए बहुत ज़रूरी हैं जो तर्कसंगत वैज्ञानिक विचारों से लैस हों और आम मेहनतकश लोगों की जिन्दगी की सच्चाइयों और उनके बदलाव के रास्तों से नौजवानों को रूबरू करायें।
पुस्तकालय में अखबार, पत्रिकाओं के साथ-साथ मराठी, हिन्दी व अंग्रेजी भाषा में देश-दुनिया के विख्यात लेखकों की किताबें उपलब्ध रहेंगी। छोटे बच्चों के लिए विशेष तौर पर उनकी कल्पनाओं को उड़ान देने वाली किताबें रखी गयी हैं।
मज़दूर बिगुल, अक्टूबर-नवम्बर 2015
कार्यक्रमों की ओर ज्यादा फोटो यहां देखें
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मज़दूरों के महान नेता लेनिन