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गिग व प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था के मज़दूरों के श्रम अधिकारों को छीनने के लिए कर्नाटक की कांग्रेस सरकार लायी ख़तरनाक मसविदा क़ानून

इसका मुख्य लक्ष्य यह है कि इन गिग मज़दूरों और प्लेटफॉर्म कम्पनियों के बीच के रोज़गार सम्बन्ध को ही नकार देना, ताकि इन मज़दूरों की मज़दूर पहचान ही उनसे छीन ली जाय। इसका प्लेटफॉर्म अर्थव्यवस्था के पूँजीपतियों को क्या फ़ायदा होगा? इसका यह फ़ायदा होगा कि औपचारिक तौर पर मज़दूरों को जो थोड़े-बहुत श्रम अधिकार प्राप्त हैं, उन पर इन गिग मजदूरों का कोई दावा नहीं होगा। यानी पुराने श्रम क़ानूनों के तहत और नये फ़ासीवादी लेबर कोड के तहत ये मज़दूर आयेंगे ही नहीं।

बिगुल पॉडकास्ट – 4 – भाजपा के ‘लव जिहाद’ की नौटंकी की सच्चाई

चौथे पॉडकास्ट में हम मज़दूर बिगुल के मई 2023 अंक में प्रकाशित गायत्री भारद्वाज के एक बेहद जरूरी लेख को पेश कर रहे हैं। शीर्षक है – “भाजपा के ‘लव जिहाद’ की नौटंकी की सच्चाई”

बढ़ती बेरोज़गारी के ताज़ा आँकड़े और उसकी वजह

अक्टूबर 2023 के लिए सीएमआईई के आँकड़े बेरोज़गारी की एक भयावह तस्वीर पेश करते हैं। इतनी ख़राब परिभाषा के आधार पर भी अक्टूबर 2023 में भारत में बेरोज़गारी दर 10.05 प्रतिशत थी। इसमें ग्रामीण बेरोज़गारी दर 10.82 प्रतिशत थी, जबकि शहरी बेरोज़गारी दर 8.44 प्रतिशत थी। ज़ाहिर है, अगर बेरोज़गारी की परिभाषा में पक्की नौकरी के सवाल को जोड़ा जाये तो यह संख्या 40 प्रतिशत के पार जा सकती है। लेकिन अभी हम इसी परिभाषा को लेकर चलें तो भी भारत की करीब 53 करोड़ श्रमशक्ति (काम करने योग्य जनसंख्या) में से करीब 5.4 करोड़ के पास किसी प्रकार का रोज़गार नहीं है, न दिहाड़ी, न ठेके वाला, न कोई अपना छोटा-मोटा धन्धा…यानी कुछ भी नहीं! ज़ाहिर है, इसमें अनौपचारिक क्षेत्र के दिहाड़ी, ठेका व कैजुअल मज़दूरों की एक बड़ी संख्या को जोड़ दें, जिनके पास कोई रोज़गार सुरक्षा नहीं है, तो यह आँकड़ा 30 करोड़ के ऊपर चला जायेगा। लेकिन बेहद कमज़ोर परिभाषा के आधार पर भी देखें, तो बेरोज़गारी दर भयंकर है।

हर मोर्चे पर नाकाम मोदी सरकार, चन्द्रयान पर चढ़कर कर रही चुनाव प्रचार!

वैज्ञानिकों और वैज्ञानिक श्रमिकों ने अपना काम किया, पहले की असफलता से सीखा और आगे चलकर सफलता हासिल की। यह भी ग़ौरतलब है कि जिस एचईसी (हेवी इंजीनियरिंग कारपोरेशन) के मज़दूरों ने चन्द्रयान-3 को बनाया था, उनको 17 माह से मोदी सरकार ने तनख्वाह तक नहीं दी है! लेकिन चन्द्रयान-3 की सफलता का क्रेडिट लेने के लिए मोदी जी तत्काल कैमरे के सामने प्रकट हो जाते हैं, माना चन्द्रयान-3 उन्होंने ही बनाया हो!

भाजपा के ‘लव जिहाद’ की नौटंकी की सच्चाई

आपको पता ही होगा कि भाजपा पिछले कई वर्षों से ‘लव जिहाद’ को लेकर दंगे-फ़साद और हत्याएँ करवाती रही है। यह ‘लव जिहाद’ क्या है? अगर किसी मुसलमान पुरुष की किसी हिन्दू स्त्री से शादी होती है, तो उसे भाजपा वाले ‘लव जिहाद’ बोलते हैं। अगर इसका उल्टा हो, यानी अगर हिन्दू पुरुष मुसलमान स्त्री से शादी कर ले, तो भाजपा वाले उसे ‘प्रेम धर्मयुद्ध’ नहीं बोलते। युद्ध या जिहाद इलाके, सम्पत्ति, देश जीतने के लिए होते हैं। तो फिर इस ‘लव जिहाद’ शब्द का मतलब क्या हुआ? परायी धर्म की स्त्री को जीतना! मानो स्त्री ज़मीन-जायदाद, इमारत, सम्पत्ति या ऐसी कोई चीज़ हो! प्यार करना सभी का स्वाभाविक अधिकार है। यदि कोई स्त्री अलग धर्म के पुरुष से प्यार करती है, तो यह उसका व्यक्तिगत मसला है। स्त्री किसी धार्मिक समुदाय की सम्पत्ति नहीं है और न ही उस धार्मिक समुदाय का “सम्मान” या “प्रतिष्ठा” स्त्री की देह या उसकी योनि में समायी होती है। अगर किसी को ऐसा लगता है, तब तो कहना होगा कि ऐसा सोचने वाले व्यक्ति को अपने धार्मिक समुदाय की “प्रतिष्ठा” या “सम्मान” या “इज़्ज़त” की सोच के बारे में सोचना पड़ेगा कि यह कैसा समुदाय है जिसकी इज़्ज़त, प्रतिष्ठा या सम्मान किसी गुप्तांग में समाया हुआ हो!

भाजपा और संघ परिवार के गाय-प्रेम और गोरक्षा के बारे में सोचने के लिए कुछ सवाल

अगर आपके दरवाज़े कोई गोरक्षा, लव जिहाद, ‘चीन का ख़तरा’, ‘पाकिस्तान का ख़तरा’ जैसे फ़र्ज़ी मसले लेकर आता है तो उसे उचित रूप में “खर्चा-पानी” देकर दफ़ा करें। हमारा दुश्मन हमारे देश के भीतर है। जब हम कम मज़दूरी के ख़िलाफ़ लड़ते हैं तो हमें दबाने के लिए पूँजीपति और फासीवादी सरकार की पुलिस और गुण्डे आते हैं; जब हम बेहतर कार्यस्थितियों की माँग करते हैं, तो हमें मौजूदा व्यवस्था और सरकार दबाती है; जब हम समानता और इज़्ज़त से भरी ज़िन्दगी माँगते हैं तो हमें कुचलने के लिए मालिक, ठेकेदार, जॉबर, व्यापारी, धनी फ़ार्मर व ज़मीन्दार आ जाते हैं। तो हम किसी चीनी या पाकिस्तानी नकली दुश्मन से लड़ने को क्यों बावले हों? चीन और पाकिस्तान के मज़दूर-मेहनतकश भी अपने हुक्मरानों से उसी क़दर तंग हैं, जिस क़दर हम यहाँ के फ़ासीवादी शासकों से तंग हैं। वे तो हमारे भाई-बहन हैं। उनसे हमारी भला क्या दुश्मनी? क्या वे हमें यहाँ दबाने और लूटने आते हैं? कौन हमें यहाँ दबा और लूट रहा है? कौन हमें गोरक्षा और लव-जिहाद जैसे फ़र्ज़ी मसलों पर लड़ा रहा है ताकि हम टूट जायें और कमज़ोर रहें?