अन्धकार को दूर भगाओ, मज़दूर मुक्ति की मशाल जगाओ
वे जानते हैं कि अगर हम अपने अधिकारों के लिए एकजुट होना शुरू हो जायें तो जिन आलीशान महलों में वे रह रहे हैं, उनकी दीवारें सिर्फ़ हमारे नारों और क़दमों के शोर से ही काँपना शुरू कर देंगी। इसीलिए वे लगातार हमसे कहते रहते है़ कि अपने अधिकारो को जानने और उनके लिए संघर्ष करने से कुछ हासिल नहीं होगा, मज़दूरों का काम तो बस इतना है कि वो मालिकों का मुनाफ़ा लगातार बढ़ाते रहने के लिए दिन-रात खटते रहे। लेकिन यह तो हमें तय करना है कि क्या हम यूँ ही लगातार मालिकों की गुलामी करते रहेंगे? या फिर खु़द की और अपनी आने वाली पीढ़ियों की आज़ादी के लिए लड़ने की तैयारी में जुट जायेंगे?