ब्रिक्स और जी-20 शिखर सम्मेलनों में साम्राज्यवाद के बदलते समीकरणों की अनुगूँजें
चाहे यूक्रेन में जारी युद्ध हो या फिर दक्षिण चीन सागर व ताईवान में चीन व अमेरिका के बीच जारी तनाव हो, ये सभी आज के साम्राज्यवादी विश्व में दो साम्राज्यवादी खेमों के बीच जारी होड़ को ही दिखा रहे हैं। आने वाले दिनों में प्रबल सम्भावना इस बात की है कि यह होड़ और अधिक विध्वंसक रूप लेगी। इसी होड़ की अभिव्यक्ति ही हमें ब्रिक्स व जी-20 जैसे मंचों पर जारी कूटनीतिक रस्साकशी के रूप में दिखती है। इसलिए मज़दूर वर्ग को इन सम्मेलनों में शासक वर्गों द्वारा शान्ति व सौहार्द की फ़रेबी बयानबाज़ी के झाँसे में आने की बजाय इन्हें साम्राज्यवाद के अन्तरविरोधों के विकास की प्रक्रिया के रूप में देखना चाहिए। साथ ही हमें आज की ठोस सच्चाईयों को पुराने सूत्रीकरणों में जबरन फ़िट करने की बजाय खुले दिमाग़ से आज की परिस्थितियों को अध्ययन करना होगा। केवल तभी हम इस साम्राज्यवादी दुनिया को क्रान्तिकारी दिशा में बदलने की दिशा में कारगर क़दम उठा सकेंगे।