श्रीलंका और पाकिस्तान में नवउदारवादी पूँजीवादी आपदा का क़हर झेलती आम मेहनतकश आबादी
वैसे तो आज के दौर में दुनियाभर की मेहनतकश जनता मन्दी, छँटनी, महँगाई, आय में गिरावट और बेरोज़गारी का दंश झेल रही है, लेकिन कुछ देशों में अर्थव्यवस्था की हालत इतनी ख़राब हो चुकी है कि वे या तो पहले ही कंगाल जो चुके हैं या फिर कंगाली के कगार पर खड़े हैं और उनका भविष्य बेहद अनिश्चित दिख रहा है। ये ऐसे देश हैं जिनकी अर्थव्यस्थाएँ या तो बहुत छोटी हैं या उनका औद्योगिक आधार बहुत व्यापक नहीं है जिसकी वजह से वे बेहद बुनियादी ज़रूरतों की चीज़ों के लिए भी आयात पर निर्भर हैं या फिर उनकी अर्थव्यवस्थाएँ दशकों से विदेशी क़र्ज़ों के चंगुल में फँसी हैं।