ज्ञानव्यापी विवाद और फ़ासिस्टों की चालें
आज पूरे देश में बेरोजगारी अपने चरम पर है। महंगाई ने लोगों की कमर तोड़ दी है। आर्थिक संकट लगातार गहराता जा रहा है। मज़दूरों को लगातार तालाबंदी और छँटनी का सामना करना पड़ रहा है। मेहनतकश लोगों की जिंदगी बदहाली में गुजर रही है। ठीक इसी समय भाजपा एवं आरएसएस ने अपने सहयोगी संगठनों के माध्यम से पूरे देश में सांप्रदायिक उन्माद फैलाने की कोशिशें तेज कर दी हैं। जबसे इन फासीवादियों ने सत्ता संभाली है तब से तमाम ऐसे छोटे-छोटे धार्मिक त्योहारों, पर्वों को बड़े पैमाने पर मनवाया जा रहा है, जिन्हें आम तौर पर नहीं मनाया जाता था, एवं उनका इस्तेमाल धार्मिक रूप से अल्पसंख्यक मुसलमानों के खिलाफ सांप्रदायिक उन्माद फैलाने के लिए किया जा रहा है।