Category Archives: संघर्षरत जनता

गोरखपुर मज़दूर आन्दोलन के पक्ष में अभियान का समर्थन देने वाले कुछ प्रमुख व्यक्तियों के सन्देश।

यह वाक़ई बहुत बड़ी जीत है। आज तक आन्तरिक जाँच को मालिक का सर्वाधिकार माना जाता रहा है। मज़दूरों ने लड़कर यह हक़ हासिल किया है कि जाँच में स्टाफ़ और मज़दूरों के प्रतिनिधि होंगे। यह मज़दूर संघर्षों के इतिहास में नया मील का पत्थर है। इसका प्रचार किया जाना चाहिए और इसे सिद्धान्त के रूप में स्थापित किया जाना चाहिए कि हर आन्तरिक जाँच में इसी तरह के जाँचकर्ता हों।

ऐतिहासिक मई दिवस से मज़दूर माँगपत्रक आन्दोलन के नये दौर की शुरुआत

पिछली 1 मई को नई दिल्ली के जन्तर-मन्तर का इलाक़ा लाल हो उठा था। दूर-दूर तक मज़दूरों के हाथों में लहराते सैकड़ों लाल झण्डों, बैनर, तख्तियों और मज़दूरों के सिरों पर बँधी लाल पट्टियों से पूरा माहौल लाल रंग के जुझारू तेवर से सरगर्म हो उठा। देश के अलग-अलग हिस्सों से उमड़े ये हज़ारों मज़दूर ऐतिहासिक मई दिवस की 125वीं वर्षगाँठ के मौक़े पर मज़दूर माँगपत्रक आन्दोलन 2011 क़े आह्वान पर हज़ारों मज़दूरों के हस्ताक्षरों वाला माँगपत्रक लेकर संसद के दरवाज़े पर अपनी पहली दस्तक देने आये थे।

हरसूर्या हेल्थकेयर, गुड़गाँव के मज़दूरों का संघर्ष और हिन्द मज़दूर सभा की समझौतापरस्ती

पहले चार मज़दूर बाहर थे तो हड़ताल की गयी थी लेकिन फिर सात लोगों को बाहर रखने के मालिक के निर्णय के बाद भी समझौता कर लिया गया! यहाँ तक कि समझौते के बाद एचएमएस के नेताओं ने मज़दूरों से कहा कि आगे क्या करना है उसे वे ख़ुद देख लेंगे और अब मज़दूरों को कुछ करने की ज़रूरत नहीं है। इस पूरे संघर्ष के निचोड़ के तौर पर देखा जाये तो मज़दूरों के हित में एक भी निर्णय नहीं हुआ, उनकी कोई भी माँग पूरी नहीं हुई, और एचएमएस ने मज़दूरों को मालिक का आज्ञाकारी बने रहने की शर्त पर समझौता कर लिया। वह भी तब जबकि मज़दूर जुझारू संघर्ष करने के लिए तैयार थे। आन्दोलन का नेतृत्व कर रही एचएमएस दूसरी फैक्टरियों की अपनी यूनियनों के समर्थन से मज़दूरों के साथ मिलकर संघर्ष को व्यापक बना सकती थी। लेकिन किसी न किसी चुनावी पार्टी से जुड़ी ये सारी बड़ी यूनियनें अब कोई भी जुझारू संघर्ष करने की क्षमता और नीयत दोनों ही खो चुकी हैं।

गोरखपुर मज़दूर आन्दोलन के दमन के विरोध में कोलकाता में सैकड़ों मज़दूरों का प्रदर्शन

गोरखपुर में मज़दूरों के दमन और उत्तर प्रदेश सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के विरोध में कोलकाता में सैकड़ों मज़दूरों ने प्रदर्शन किया तथा राज्यपाल के माध्यम से मुख्यमंत्री मायावती को ज्ञापन भेजा। श्रमिक संग्राम समिति के बैनर तले कोलकाता इलेक्ट्रिक सप्लाई कारपोरेशन, हिन्दुस्तान इंजीनियरिंग एंड इंडस्ट्रीज लि., भारत बैटरी, कोलकाता जूट मिल, सूरा जूट मिल, अमेरिकन रेफ्रिजरेटर्स कं. सहित विभिन्न कारखानों के 500 से अधिक मज़दूरों ने कल कोलकाता के प्रशासकीय केंद्र एस्प्लेनेड में विरोध प्रदर्शन किया। दिल्ली, पंजाब तथा महाराष्ट्र में भी कुछ संगठन इस मुद्दे को लेकर प्रदर्शन की तैयारी कर रहे हैं।
कोलकाता में प्रदर्शन के बाद तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एम.के. नारायणन से मिला और गोरखपुर में आन्दोलनरत मज़दूरों की मांगों के समर्थन में तथा उत्तर प्रदेश सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के विरोध में एक ज्ञापन उन्हें सौंपा।

12 मज़दूर नेता ज़मानत पर रिहा, आन्दोलन और तेज करने का ऐलान

गोरखपुर में पिछले 20 मई को गिरफ्तार किए गए 12 मज़दूर नेता आज ज़मानत पर रिहा कर दिए गए। रिहा होने के बाद संयुक्त मज़दूर अधिकार संघर्ष मोर्चा के तपीश मैन्दोला ने कहा कि मज़दूरों की मांगों को लेकर आन्दोलन अब और तेज किया जाएगा। उन्होंने कहा कि मालिकान की शह पर प्रशासन डरा-धमकाकर और लाठी-गोली-जेल के सहारे मज़दूर आन्दोलन को कुचलने की कोशिश कर रहा है लेकिन वह कामयाब नहीं होगा। मज़दूर अपने मूलभूत अधिकारों की लड़ाई लड़ रहे हैं और वे अब पीछे नहीं हटेंगे। तपीश ने कहा कि वी.एन. डायर्स में जबरन तालाबन्दी करके और अंकुर उद्योग में मज़दूरों पर गोलियां चलवाकर मालिकों ने यह लड़ाई मज़दूरों पर थोपी है। मगर प्रशासन मालिकों के सुर में सुर मिलाकर उल्टा हमें ही अराजक और विकास-विरोधी बता रहा है।

जेल में मज़दूर नेता आमरण अनशन पर, बाहर समर्थकों ने मोर्चा संभाला शहर में जगह-जगह पोस्‍टर-पर्चों के जरिये किया मालिक-प्रशासन के झूठ का पर्दाफाश

3 मई को मज़दूरों पर चली गोलियों और उसके विरोध में 9 तारीख के शांतिपूर्ण मजदूर सत्‍याग्रह के बर्बर दमन के बाद और 20 मई को लाठीचार्ज के बाद फर्जी आरोपों में दो महिला साथियों समेत 14 मजदूर नेताओं की गिरफ्तारी का मामला तूल पकड़ रहा है। जेल में बंद मजदूर नेताओं ने आज भी आमरण अनशन जारी रखा। दूसरी तरफ,उनके समर्थकों ने गोरखपुर शहर के विभिन्‍न इलाकों में प्रचार अभियान चलाकर प्रशासन के झूठ का भंडाफोड़ किया। इसके अलावा देश-विदेश के ट्रेडयूनियन कर्मियों, एक्टिविस्‍टों, जनवादी अधिकार और मानवाधिकार कर्मियों ने मुंबई की सीनियर एडवोकेट कामायनी बाली महाबल द्वारा मायावती के नाम जारी की गई ऑनलाइन अपील पर हस्‍ताक्षर करके पुलिस-प्रशासन द्वारा मजदूर आंदोलन के दमन की निंदा की और फर्जी आरोपों में गिरफ्तार नेताओं की रिहाई की मांग की।

मजदूरों या उनके प्रतिनिधियों को सूचना दिए बिना ही निपटा ली गई एकतरफा वार्ता

गोरखपुर मजदूर आंदोलन समर्थक नागरिक मोर्चा ने कल शाम वीएन डायर्स के मालिक विष्‍णु अजीत सरिया-श्रम विभाग-प्रशासन के बीच हुई वार्ता को अवैध एवं कानून विरोधी बताया है। मोर्चा ने कहा कि कल हुई इस एकतरफा वार्ता में मजदूरों के प्रतिनिधि शामिल नहीं थे। इससे स्‍पष्‍ट होता है कि गोरखपुर प्रशासन मालिकों के पक्ष में काम कर रहा है, क्‍योंकि मजदूरों या उनके प्रतिनिधियों को इस वार्ता की सूचना तक नहीं दी गई। मजदूरों के प्रतिनिधियों के बिना हुई यह वार्ता पूरी तरह अवैधानिक है और इसमें श्रमिकों की मुख्‍य मांग, अवैध रूप से निकाले गए 18 मजदूरों को काम पर वापस लेने, पर कोई चर्चा ही नहीं गई।

फर्जी आरोप में 12 मजदूर नेताओं को जेल भेजा

3 मई के गोलीकांड के दोषियों की गिरफ्तारी और अन्‍य मांगों को लेकर 16 मई से भूख हड़ताल पर बैठे मजदूर कल, 20 मई को, जिलाधिकारी कार्यालय ज्ञापन देने जा रहे थे तो पुलिस ने उन पर बर्बर लाठीचार्ज करके 73 मजदूरों को हिरासत में लिया था जिनमें से अधिकांश मजदूर देर रात छोड़ दिए गए थे लेकिन बीएचयू की छात्रा श्‍वेता, स्‍त्री मजदूर सुशीला देवी और अन्‍य 12 को गिरफ्तार कर लिया गया था। पुलिस कल दिन में ही मजदूर नेता तपीश मैंदोला को किसी अन्‍य स्‍थान से उठा ले गई थी और आज सुबह तक तपिश की गिरफ्तारी से इंकार करती रही। बाद में दोपहर को अचानक तपीश को अदालत में पेश कर दिया गया। सभी मजदूर नेताओं पर पुलिस ने धारा 309 के तहत आत्‍महत्‍या के प्रयास का मुकदमा दर्ज किया है। यह अपने आपमें हास्‍यास्‍पद है क्‍योंकि इनमें से अधिकांश तो अनशन पर बैठै ही नहीं थे। श्‍वेता तथा सुशीला देवी, जिनका स्‍वास्‍थ्‍य पांच दिन की भूख हड़ताल के बाद बिगड़ रहा था, उन्‍हें जमानत पर रिहा कर दिया गया है। बाकी 12 मजदूरों को जेल भेज दिया गया है। मजदूर नेताओं ने जेल में ही आमरण अनशन शुरू कर दिया है।

गोरखपुर में मजदूरों पर लाठीचार्ज, 25 बुरी तरह घायल, मजदूर नेता सहित 73 मजदूर गिरफ्तार

गोरखपुर में 16 मई से शुरू हुए मज़दूर सत्‍याग्रह के दूसरे चरण के तहत आज मजदूरों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन को डीआईजी के नेतृत्‍व में आई भारी पुलिस फोर्स ने हल्‍का लाठीचार्ज करके तितर‍-बितर कर दिया। पुलिस ने मजदूर नेता तपीश मैंदोला सहित 73 मजदूरों को गिरफ्तार किया है लेकिन पुलिस तपिश एवं 30 अन्‍य मजदूरों की गिरफ्तारी नहीं दिखा रही है। तपीश को 3 मई को अंकुर उद्योग के सामने मजदूरों पर हुई गोलीबारी के मामले में फैक्‍ट्री मालिक अशोक जालान की तरफ से दर्ज करायी गई झूठी एफआईआर के आधार पर गिरफ्तार किया गया है और हत्‍या के प्रयास, बलवा आदि की धाराएं लगाई हैं। प्रशासन बेशर्मी से मालिकों के पक्ष में खड़ा नजर आ रहा है। मजदूरों ने उस घटना में अशोक जालान, उनके बेटे और हिस्‍ट्रीशीटर प्रदीप सिंह वह अन्‍य के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज करायी थी जिस पर पुलिस-प्रशासन ने कुछ नहीं किया और अशोक जालान की ओर से दर्ज करायी झूठी रपट पर तपीश को गिरफ्तार कर लिया है।

गोरखपुर में मज़दूरों का संघर्ष जारी

गोरखपुर में 3 मई को हुए गोलीकांड और उसके बाद मज़दूरों के बर्बर दमन के बाद भारी जनदबाव और मज़दूरों के संकल्‍पबद्ध प्रतिरोध के कारण ज़ि‍ला प्रशासन और अंकुर उद्योग के मालिकान को झुकना पड़ा था और मज़दूरों को एक आंशिक जीत हासिल हुई था। मई दिवस की रैली में भाग लेने के कारण अंकुर उद्योग से निकाले गए 18 मज़दूरों को काम पर रख लिया गया है और कारखाना 11 मई से चालू हो गया है। लेकिन बरगदवा इलाके में ही वी.एन. डायर्स के दो कारखानों में अप्रैल से चली आ रही अवैध तालाबंदी खुलवाने और 18 मज़दूरों की बहाली के मुद्दे पर मालिक अब भी अड़े हुए हैं। प्रशासन की ओर से भी इस विवाद के हल के लिए वार्ता कराने की कोई पहल अब तक नहीं हुई है। स्‍पष्‍ट है कि वे मज़दूरों को थकाकर आंदोलन को तोड़ना चाहते हैं। लेकिन मज़दूर भी लंबी लड़ाई के लिए कमर कसे हुए हैं। पिछले दो वर्षों के दौरान बरगदवा के मज़दूरों में पैदा हुई एकजुटता की भावना का ही असर है कि 9 मई से ही टाउनहाल पर जारी क्रमिक अनशन में वी.एन. डायर्स के अलावा अन्‍य कारखानों के मज़दूर भी आकर भागीदारी कर रहे हैं।