न्यूनतम मजदूरी और बुनियादी अधिकारों के लिए बंगलादेश के टेक्सटाइल मजदूरों का आन्दोलन
सस्ते श्रम के दोहन के लिए पूरी दुनिया की ख़ाक छानने वाले पूँजीपतियों के लिए बंगलोदश वैसी ही मनमुआफिक जगह है जैसे कि भारत और तीसरी दुनिया के अन्य देश। भारत के पूँजीपतियों की तरह ही बंगलादेश के पूँजीपति साम्राज्यवादी लुटेरों के जूनियर पार्टनर बनकर अपने देश की जनता की हाड़-तोड़ मेहनत के बूते अपनी और विदेशी लुटेरों की तिजोरियाँ भरते हैं। यह जरूर है कि यहाँ के पूँजीपति वर्ग की हैसियत भारत के पूँजीपति वर्ग जितनी नहीं है, जो एक पर्याप्त भारी-भरकम जूनियर पार्टनर है और अपने विशालकाय घरेलू बाजार के बूते पर साम्राज्यवादी देशों के तमाम शिविरों से कई बार अपनी शर्तों पर लेन-देन करता है। बंगलादेशी पूँजीपति वर्ग इसकी तुलना में काफी निर्भर है और इसकी कई मामलों में भारतीय पूँजीपति वर्ग पर भी काफी निर्भरता है।