Category Archives: संघर्षरत जनता

फर्जी आरोप में 12 मजदूर नेताओं को जेल भेजा

3 मई के गोलीकांड के दोषियों की गिरफ्तारी और अन्‍य मांगों को लेकर 16 मई से भूख हड़ताल पर बैठे मजदूर कल, 20 मई को, जिलाधिकारी कार्यालय ज्ञापन देने जा रहे थे तो पुलिस ने उन पर बर्बर लाठीचार्ज करके 73 मजदूरों को हिरासत में लिया था जिनमें से अधिकांश मजदूर देर रात छोड़ दिए गए थे लेकिन बीएचयू की छात्रा श्‍वेता, स्‍त्री मजदूर सुशीला देवी और अन्‍य 12 को गिरफ्तार कर लिया गया था। पुलिस कल दिन में ही मजदूर नेता तपीश मैंदोला को किसी अन्‍य स्‍थान से उठा ले गई थी और आज सुबह तक तपिश की गिरफ्तारी से इंकार करती रही। बाद में दोपहर को अचानक तपीश को अदालत में पेश कर दिया गया। सभी मजदूर नेताओं पर पुलिस ने धारा 309 के तहत आत्‍महत्‍या के प्रयास का मुकदमा दर्ज किया है। यह अपने आपमें हास्‍यास्‍पद है क्‍योंकि इनमें से अधिकांश तो अनशन पर बैठै ही नहीं थे। श्‍वेता तथा सुशीला देवी, जिनका स्‍वास्‍थ्‍य पांच दिन की भूख हड़ताल के बाद बिगड़ रहा था, उन्‍हें जमानत पर रिहा कर दिया गया है। बाकी 12 मजदूरों को जेल भेज दिया गया है। मजदूर नेताओं ने जेल में ही आमरण अनशन शुरू कर दिया है।

गोरखपुर में मजदूरों पर लाठीचार्ज, 25 बुरी तरह घायल, मजदूर नेता सहित 73 मजदूर गिरफ्तार

गोरखपुर में 16 मई से शुरू हुए मज़दूर सत्‍याग्रह के दूसरे चरण के तहत आज मजदूरों के शांतिपूर्ण प्रदर्शन को डीआईजी के नेतृत्‍व में आई भारी पुलिस फोर्स ने हल्‍का लाठीचार्ज करके तितर‍-बितर कर दिया। पुलिस ने मजदूर नेता तपीश मैंदोला सहित 73 मजदूरों को गिरफ्तार किया है लेकिन पुलिस तपिश एवं 30 अन्‍य मजदूरों की गिरफ्तारी नहीं दिखा रही है। तपीश को 3 मई को अंकुर उद्योग के सामने मजदूरों पर हुई गोलीबारी के मामले में फैक्‍ट्री मालिक अशोक जालान की तरफ से दर्ज करायी गई झूठी एफआईआर के आधार पर गिरफ्तार किया गया है और हत्‍या के प्रयास, बलवा आदि की धाराएं लगाई हैं। प्रशासन बेशर्मी से मालिकों के पक्ष में खड़ा नजर आ रहा है। मजदूरों ने उस घटना में अशोक जालान, उनके बेटे और हिस्‍ट्रीशीटर प्रदीप सिंह वह अन्‍य के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज करायी थी जिस पर पुलिस-प्रशासन ने कुछ नहीं किया और अशोक जालान की ओर से दर्ज करायी झूठी रपट पर तपीश को गिरफ्तार कर लिया है।

गोरखपुर में मज़दूरों का संघर्ष जारी

गोरखपुर में 3 मई को हुए गोलीकांड और उसके बाद मज़दूरों के बर्बर दमन के बाद भारी जनदबाव और मज़दूरों के संकल्‍पबद्ध प्रतिरोध के कारण ज़ि‍ला प्रशासन और अंकुर उद्योग के मालिकान को झुकना पड़ा था और मज़दूरों को एक आंशिक जीत हासिल हुई था। मई दिवस की रैली में भाग लेने के कारण अंकुर उद्योग से निकाले गए 18 मज़दूरों को काम पर रख लिया गया है और कारखाना 11 मई से चालू हो गया है। लेकिन बरगदवा इलाके में ही वी.एन. डायर्स के दो कारखानों में अप्रैल से चली आ रही अवैध तालाबंदी खुलवाने और 18 मज़दूरों की बहाली के मुद्दे पर मालिक अब भी अड़े हुए हैं। प्रशासन की ओर से भी इस विवाद के हल के लिए वार्ता कराने की कोई पहल अब तक नहीं हुई है। स्‍पष्‍ट है कि वे मज़दूरों को थकाकर आंदोलन को तोड़ना चाहते हैं। लेकिन मज़दूर भी लंबी लड़ाई के लिए कमर कसे हुए हैं। पिछले दो वर्षों के दौरान बरगदवा के मज़दूरों में पैदा हुई एकजुटता की भावना का ही असर है कि 9 मई से ही टाउनहाल पर जारी क्रमिक अनशन में वी.एन. डायर्स के अलावा अन्‍य कारखानों के मज़दूर भी आकर भागीदारी कर रहे हैं।

मज़दूरों के जुझारू संघर्ष और देशव्यापी जनदबाव से गोरखपुर में मजदूर आन्दोलन को मिली आंशिक जीत

कल ‘मज़दूर सत्याग्रह’ के लिए शान्तिपूर्ण ढंग से आयुक्त कार्यालय पर जा रहे मजदूरों पर शहर में जगह-जगह हुए लाठीचार्ज, गिरफ्तारी, सार्वजनिक वाहनों तक से उतारकर मजदूरों की पिटाई और महिला मजदूरों के साथ पुलिस के दुव्यर्वहार की चैतरफा भर्त्‍सना और सैकड़ों मजदूरों के टाउनहाल पर भूख हड़ताल शुरू कर देने के बाद प्रशासन भारी दबाव में आ गया था। अधिकारियों ने देर शाम हिरासत में लिए गए सभी मजदूर नेताओं और मजदूरों को रिहा कर दिया तथा मालिकों को वार्ता के लिए बुलाया था। कुछ मांगों पर मालिक की सहमति तथा आज औपचारिक वार्ता तय होने के बाद कल रात अधिकांश मजदूरों द्वारा भूख हड़ताल स्थगित कर धरना हटा लिया गया था लेकिन करीब 25 मजदूरों का जत्था भूख हड़ताल जारी रखे था।

About 100 workers including women workers arrested, after second round of lathicharge in GORAKHPUR

The brutal crackdown on workers continues in Gorakhpur. The workers peacefully agitating for justice in the case of firing on workers were lathicharged and attacked with water cannons when they tried to proceed to the commissioner’s office. The workers dispersed and tried to get to the collectorate in small groups but the police were searching on all routes and stopped a large number of workers en route.

गोरखपुर में मजदूरों पर फायरिंग तथा जिला प्रशासन के दमनात्मक रवैये की व्यापक निन्दा

गोरखपुर में गत 3 मई को मजदूरों पर हुई फायरिंग के बाद आज तक दोषियों पर कार्रवाई न होने और मजदूरों तथा मजदूर नेताओं के विरुद्ध प्रशासन के दमनात्मक रवैये की कठोर निन्दा करते हुए देशभर के वरिष्ठ न्यायविदों, बुद्धिजीवियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, मानवाधिकार कर्मियों और ट्रेडयूनियन नेताओं ने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती से इस मामले में अविलम्ब हस्तक्षेप कर मजदूरों को इंसाफ दिलाने की माँग की है। ज्ञातव्य है कि इस घटना में 19 मजदूर गोली से घायल हो गये थे जिनमें से एक की हालत अब भी गंभीर बनी हुई है।

जनवादी अधिकार कर्मियों, कवियों-लेखकों, संस्कृतिकर्मियों, बुद्धिजीवियों के नाम एक अपील

मई दिवस की 125वीं वर्षगांठ के मौके पर दिल्‍ली में रैली करने तथा सरकार को मांगपत्रक सौंपने के लिए आये गोरखपुर के मज़दूर लौटकर जैसे ही काम पर गये, अंकुर उद्योग लिमिटेड नामक एक कारख़ाने के मालिक द्वारा बुलाये गुण्‍डों ने उन पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं जिससे 19 मज़दूर घायल हो गये। एक मज़दूर की रीढ़ में गोली लगी है और वह ज़िंदगी के लिए जूझ रहा है। यह हमला प्रशासन और पुलिस की पूरी मिलीभगत के साथ सुनियोजित ढंग से किया गया। करीब 50-60 हमलावरों को मज़दूरों ने घंटों तक कारख़ाने में घेरकर रखा था लेकिन उन्‍हें गिरफ़्तार करने के बहाने पुलिस गुण्‍डों को निकाल कर ले गयी और उन्‍हें छोड़ दिया। नामज़द रिपोर्ट के बावजूद गोली चलाने वाले कुख्‍यात हिस्‍ट्रीशीटर प्रदीप सिंह और मिलमालिक अशोक जालान (जो लगातार मौके पर मौजूद था) को गिरफ़्तार नहीं किया गया है। उल्‍टे मज़दूर नेताओं को फर्जी मामलों में फंसाकर गिरफ़्तार करने की साज़ि‍शें जारी हैं।

गोरखपुर में मज़दूरों पर गोलीबारी में कम से कम 20 मज़दूर घायल :: मालिकों और प्रशासन की मिली-भगत – पुलिस गुंडों को बचाने में लगी

गोरखपुर (उ.प्र.) के बरगदवा औद्योगिक क्षेत्र की अंकुर उद्योग लि. नामक फैक्‍ट्री के मालिक द्वारा बुलाए गए गुण्‍डों ने आज (3 मई) सुबह मज़दूरों पर हमला किया। गुण्‍डों द्वारा की गई गोलीबारी से कम से कम 20 मज़दूर गम्‍भीर रूप से घायल हो गये हैं जिन्‍हें जिला अस्‍पताल में भरती कराया गया है। यह हमला प्रशासन की पूरी मिली-भगत के साथ किया गया है। अंकुर उद्योग के मालिक ने सहजनवां क्षेत्र के कुख्‍यात हिस्‍ट्री शीटर प्रदीप सिंह और उसके गुंडों को भाड़े पर लेकर यह काम कराया है। मज़दूरों ने फैक्‍ट्री को घेर रखा है ताकि प्रदीप सिंह और उसके गुण्‍डे निकल कर भाग न सकें। पुलिस बल घटनास्‍थल पर पहुंच गया है और फैक्‍ट्री गेट पर मौजूद है लेकिन उसने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। उन्‍होंने अब तक प्राथमिकी भी नहीं दर्ज की है। पुलिस की पूरी कोशिश है कि मज़दूरों को तितर-बितर करके गुंडों को वहां से निकाल दिया जाये। लेकिन मज़दूर वहां घेरा डाले हुए हैं।

मज़दूर माँगपत्रक आन्दोलन में मज़दूरों की बढ़ती भागीदारी से घबराये मालिकान घटिया हथकण्डों और तिकड़मों पर उतारू

जब से गोरखपुर के मज़दूरों के बीच ‘मज़दूर माँगपत्रक आन्दोलन’ से जुड़ने की लहर चली है तब से उनकी नींद और भी हराम हो गयी है। उन्हें लग रहा है कि अगर मज़दूर देश के पैमाने पर चल रहे इस आन्दोलन से जुड़ेंगे तो उनकी एकता तथा लड़ाकू क्षमता और भी बढ़ जायेगी तथा उनका मनमाना शोषण करना मुश्किल हो जायेगा। इसलिए वे तरह-तरह की घटिया चालें चलकर मज़दूरों को इस नयी मुहिम से जुड़ने से रोकने तथा 1 मई के प्रदर्शन के लिए दिल्ली जाने से रोकने की कोशिश कर रहे हैं। इन कोशिशों में उन्हें गोरखपुर के स्थानीय सांसद की पूरी सरपरस्ती मिली हुई है। पाठकों को ध्यान होगा कि दो वर्ष पहले गोरखपुर में चले लम्बे मज़दूर आन्दोलन के दौरान सांसद योगी आदित्यनाथ खुलकर उद्योगपतियों के पक्ष में आ गये थे और आन्दोलन को बदनाम करने के लिए इसे ”माओवादियों द्वारा तथा चर्च के पैसे से चलने वाला” आन्दोलन घोषित कर दिया था।

गोरखपुर में मज़दूर नेताओं को फर्ज़ी आरोप में गिरफ्तार किया। थाने पर बात करने गए मज़दूरों पर बार-बार लाठीचार्ज, कई घायल

गोरखपुर के बरगदवा औद्योगिक क्षेत्र में आज दोपहर पुलिस ने बिगुल मज़दूर दस्ता और टेक्सटाइल वर्कर्स यूनियन से जुडे़ दो मज़दूर नेताओं तपीश मैन्दोला और प्रमोद कुमार को झूठे आरोप में गिरफ्तार कर लिया। इसके विरोध में थाने पर गए मज़दूरों पर बुरी तरह लाठीचार्ज किया गया और थानाध्‍यक्ष से बात करने गए दो अन्य मज़दूर नेताओं प्रशांत तथा राजू को भी गिरफ्तार कर लिया गया। इसकी जानकारी मिलते ही कई कारखानों के मज़दूर जैसे ही थाने पर पहुंचे उन पर फिर से लाठीचार्ज किया गया। मालिकों के इशारे पर कुछ असामाजिक तत्वों ने पथराव करने की कोशिश की जिसे मज़दूरों ने नाकाम कर दिया। स्पष्ट है कि ये कार्रवाइयां मज़दूरों को उकसाने के लिए की जा रही हैं जिससे पुलिस को दमन का बहाना मिल सके। दरअसल, पिछले कुछ समय से मज़दूर ‘मांगपत्रक आन्दोलन-2011’ की तैयारी में गोरखपुर के मज़दूरों की भागीदारी और उत्साह देखकर गोरखपुर के उद्योगपति बौखलाए हुए हैं। उद्योगपतियों और स्थानीय सांसद की शह पर लगातार मज़दूरों को इस आन्दोलन के खिलाफ़ भड़काने की कोशिश की जा रही है और फर्जी नामों से बांटे जा रहे पर्चों-पोस्टरों के जरिए और ज़बानी तौर पर मज़दूरों और आम जनता के बीच यह झूठा प्रचार किया जा रहा है कि यह आन्दोलन माओवादियों द्वारा चलाया जा रहा है।