संघर्ष की नयी राहें तलाशते बरगदवाँ के मज़दूर
वी. एन. डायर्स धागा मिल के मज़दूरों ने मैनेजमेण्ट द्वारा गाली-गलौज, मनमानी कार्यबन्दी और 5 अगुआ मज़दूरों को काम से निकाले जाने बावत दिये गये नोटिस के जवाब में 1 अगस्त सुबह 6 बजे से कारख़ाने पर कब्ज़ा कर लिया। रात 10बजे तक पूरी कम्पनी पर मज़दूरों का नियन्त्रण था। रात ही से सार्वजनिक भोजनालय शुरु कर दिया गया। सुबह तक कम्पनी पर कब्ज़े की ख़बर पूरे गाँव में फैल गयी। कई मज़दूरों ने अपने परिवारों को फैक्टरी में ही बुला लिया। महिलाओं और बच्चों के रहने के लिए फैक्टरी खाते में अलग से इन्तजामात किये जाने लगे। कौतूहलवश गाँव की महिलाएँ भी फैक्टरी देखने के लिए उमड़ पड़ीं। मज़दूरों ने उन्हें टोलियों में बाँटकर फैक्टरी दिखायी और धागा उत्पादन की पूरी प्रक्रिया से वाकिफ कराया। फैक्टरी के भीतर और बाहर हर जगह मज़दूर और आम लोगों का ताँता लगा हुआ था। विशालकाय मशीनों और काम की जटिलता से आश्चर्यचकित ग्रामीण एक ही बात कह रहे थे ‘हे भगवान! तुम लोग इतनी बड़ी-बड़ी मशीनें चलाते हो और पगार धेला भर पाते हो!!’