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(मज़दूर बिगुल के मई 2012 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
आन्दोलन : समीक्षा-समाहार
समस्या की सही पहचान करो, साझे दुश्मन के ख़िलाफ़ एकजुट हो! / राज
मज़दूर आंदोलन की समस्याएं
स्त्री मज़दूर
पूँजी के ऑक्टोपसी पंजों में जकड़ी स्त्री मज़दूर / कविता
लेखमाला
पेरिस कम्यून : पहले मज़दूर राज की सचित्र कथा (तीसरी किश्त)
बोलते आँकड़े, चीख़ती सच्चाइयाँ
रिकॉर्ड अनाज उत्पादन के बावजूद देश का हर चौथा आदमी भूखा क्यों है? / जयपुष्प
इतिहास
कारखाना इलाक़ों से
यहाँ मज़दूर की मेहनत की लूट के साथ ही उसकी आत्मा को भी कुचल दिया जाता है / लुधियाना की एक होज़री मज़दूर
औद्योगिक दुर्घटनाएं
जालन्धर में होज़री कारख़ाने की इमारत गिरने से कम से कम 24 मज़दूरों की मौत / लखविन्दर
मज़दूर बस्तियों से
मज़दूरों में मालिक-भक्ति की बीमारी / राहुल, लुधियाना से एक मज़दूर
गतिविधि रिपोर्ट
कला-साहित्य
गीत – समर तो शेष है / शशिप्रकाश
मज़दूरों की कलम से
मज़दूरों की असुरक्षा का फ़ायदा उठा रही हैं तरह-तरह की कम्पनियाँ / आनन्द, बादली, दिल्ली
मज़दूर कुछ करे तो क़ानून, मालिक लूटें तो कोई क़ानून नहीं / लुधियाना से एक मज़दूर
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन