चन्‍द्रशेखर आजाद के 85वें शहादत के अवसर पर नौजवान भारत सभा ने शि‍क्षा-रोज़गार अधि‍कार अभि‍यान की शुरुआत की

बिगुल संवाददाता

हरि‍याणा। नौजवान भारत सभा ने 28 फरवरी को शहीद चन्‍द्रशेखर आजाद के शहादत के अवसर नरवाना में शि‍क्षा-रोजगार अधि‍कार रैली का आयोजन कि‍या। शि‍क्षा-रोजगार के मुद्दे पर कैथल, कलायत के युवाओं की बैठक की गयी। नौभास के रमेश ने बताया की ज भारत दुनिया का सबसे अधि‍क युवा–आबादी वाला देश है । मौजूदा समय में देश में 65 फीसदी आबादी नौजवानों की है लेकिन अफसोस इनमें से लगभग 28 करोड़ नौजवान बेरोजगार की फौज में खड़े हैं । हम सभी जानते हैं आज एक सरकारी नौकरी के पीछे लाखों बेरोजगार की लाईन रहती है जिसकी ताजा मिसाल उत्तर प्रदेश की घटना है जिसमें चपरासी के 368 पदों के लिए 23 लाख नौजवान लाईन में थे जिनमें पीएचडी से लेकर ग्रेजुएट नौजवान की संख्या अच्छी–खासी थी । वैसे हरियाणा के नौजवान भी जानते है पुलिस, फौज, रेलवे आदि सभी भर्तियों में एक–एक नौकरी के पीछे दस–दस हजार बेरोजगार होते है जबकि सरकारी नौकरी भ्रष्टाचारा की भेंट चढ़ जाती है । एक आँकड़े के मुताबिक देश में 15–30 उम्र वाली आबादी में 13.3 प्रतिशत की दर से बेरोजगारी बढ़ रही है । ये समय बढ़ती बेरोजगारी की समस्या के खिलाफ एकजुट होने का है वरना सही रास्ता नहीं मिलने पर नौजवानों आबादी नशे या अपराध के दलदल में जा सकती है । इसलिए सही रास्ता खोजने में नौजवानों को ही आगे आना होगा ।
2016-02-28-HR-Narwana-Shiksha-rojgar-1कलायत में शहीद भगतसिंह पुस्‍तकालय बैठक में हरि‍याणा के मौजूदा हालात पर बात रखते हुए कहा कि‍ हरि‍याणा में आरक्षण आन्दोलन के दौरान हुई आगजनी और हिंसा बेहद शर्मनाक घटना है जि‍समें 10 दि‍नों तक पूरा हरि‍याणा के कई शहरों में जाति‍य हिंसा फैली जि‍समें लगभग 25 लोगों जान चली गयी, 200 से ज्‍यादा दुकानें जला दी गयी। ये भयानक ताडव कई दि‍नों तक चलता रहा। दूसरी तरफ भाजपा की खट्टर सरकार , कंग्रेस से लेकर अन्‍य पार्टि‍याँ अपनी गन्‍दी वोटबैंक की राजनीति‍ के लि‍ए हिंसा फैलाने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। पूरा प्रशासन से लेकर सेना तक मूकदर्शक बनी रही। हमें ये सझना होगा कि‍ आखि‍रकार जाट आरक्षण आन्दोलन का रूप इतना हिंसात्‍मक क्यों हुआ इसकी गहनता में हमें जाने की जरूरत है। सबसे पहले देखा जाये कि जाट आबादी जो आरक्षण की मांग को लेकर सड़को पर आई उसकी असल वजह आरक्षण नहीं रोजगार का संकट था। क्योंकि पिछले एक दशक से पूँजीवादी कृषि संकट के कारण मध्‍यम और गरीब किसान आबादी लगातार तबाह और बर्बाद हो रही है वहीं बीते एक वर्ष हरियाणा के किसानों को न तो बाजार भाव से फसलों के दाम मिलें और रही-सही कसर मौसम की मार पूरी कर दी । वहीं भाजपा ने चुनाव से पहले स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशें लागू करने का वादा किया था जो किसानों के लिए जुमला साबित हो रहा है । वहीं दूसरी तरफ भाजपा संासद राजकुमार सैनी की (भाजपा हाईकामन से तय) जातिगत बयानबाजी ने जाट आबादी को उकसाने में भी भूमिका निभाई । असल में हरियाणा में भाजपा सरकार मोदी लहर के जरिए सत्ता में आयी थी लेकिन लहर हर बार नहीं होती इसलिए भाजपा हरियाणा में ‘बांटो और राज करो’ की चाल चलकर एक वोटबैंक तैयार करना चाहती थी । इसलिए उन्होंने जाट और गैर–जाट को आपस में लड़वा दिया हालांकि हम पहले भी कहे चुके है इसमें सभी चुनावी पार्टियां शामिल थी । लेकिन भाजपा सरकार जनता का ध्यान मँहगाई, बेरोजगारी और अन्य समस्याओं से भटकाने के लिए जातिय ध्रुवीकरण की राजनीति करने में कामयाब रही ।
ऐसे हालात में हरियाणा के नौजवानों को चुनावी पार्टियों की जात-पात की गन्दी राजनीति का पर्दाफाश करना होगा वरना ये हमारे समाज में जातिवाद का वो जहर घोलगी जिसका नुकसान हमारी आने वाली पीढ़ियों को उठाना पड़ेगा ।
नौभास के अजय ने बताया कि आज प्रदेश के सभी युवाओं को जाति-धर्म की बेड़ियों को तोड़कर शिक्षा और रोजगार के आन्दोलनों की अलख जगानी होगी । शिक्षा और रोजगार का हक हमारा बुनियादी हक हैं और हम इसे हर कीमत पर लेकर रहेगें । इसके लिए जरूरी है कि शिक्षा-रोजगार के हक के लिए व्यापक युवा-आन्दोलन संगठित किया जाये ।

2016-02-28-HR-Narwana-Shiksha-rojgar-2

मज़दूर बिगुल, मार्च-अप्रैल 2016


 

‘मज़दूर बिगुल’ की सदस्‍यता लें!

 

वार्षिक सदस्यता - 125 रुपये

पाँच वर्ष की सदस्यता - 625 रुपये

आजीवन सदस्यता - 3000 रुपये

   
ऑनलाइन भुगतान के अतिरिक्‍त आप सदस्‍यता राशि मनीआर्डर से भी भेज सकते हैं या सीधे बैंक खाते में जमा करा सकते हैं। मनीऑर्डर के लिए पताः मज़दूर बिगुल, द्वारा जनचेतना, डी-68, निरालानगर, लखनऊ-226020 बैंक खाते का विवरणः Mazdoor Bigul खाता संख्याः 0762002109003787, IFSC: PUNB0185400 पंजाब नेशनल बैंक, निशातगंज शाखा, लखनऊ

आर्थिक सहयोग भी करें!

 
प्रिय पाठको, आपको बताने की ज़रूरत नहीं है कि ‘मज़दूर बिगुल’ लगातार आर्थिक समस्या के बीच ही निकालना होता है और इसे जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की ज़रूरत है। अगर आपको इस अख़बार का प्रकाशन ज़रूरी लगता है तो हम आपसे अपील करेंगे कि आप नीचे दिये गए बटन पर क्लिक करके सदस्‍यता के अतिरिक्‍त आर्थिक सहयोग भी करें।
   
 

Lenin 1बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।

मज़दूरों के महान नेता लेनिन

Related Images:

Comments

comments