रोहित वेमुला की सांस्थानिक हत्या के विरोध में देशभर में विरोध प्रदर्शन
बिगुल संवाददाता
छात्र कार्यकर्ता और शोधछात्र रोहित वेमुला की संस्थानिक हत्या के विरोध में देश भर में विभिन्न जनसंगठनों और छात्र-युवा संगठनों ने विरोध प्रदर्शनों का आयोजन किया। आपको ज्ञात हो कुछ ही दिन पहले एकदम गैरकानूनी और तानाशाहपूर्ण तरीके से हैदराबाद विश्वविद्यालय प्रशासन ने पाँच दलित छात्रों को छात्रावास से बाहर निकाल दिया था। उनका ‘‘कुसूर’’ यह था कि उन्होंने लोगों को धर्म के नाम पर बाँटने की साम्प्रदायिक संघी राजनीति की ख़िलाफ़त की थी। पिछली 17 जनवरी को उनमें से एक छात्र रोहित वेमुला ने आत्महत्या कर ली। असल में यह आत्महत्या नहीं बल्कि भाजपा सरकार व विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा अंजाम दी गयी हत्या थी।
असल में विश्वविद्यालय प्रशासन और मानव संसाधन मंत्री स्मृति ईरानी, श्रम मंत्री बण्डारू दत्तात्रेय ही रोहित की मौत के लिए ज़िम्मेदार हैं। इन्हीं की प्रताड़ना का शिकार होकर एक नौजवान ने फाँसी लगा ली। उसका दोष क्या था? यही कि उसने धर्म के नाम पर राजनीति करने वालों के खिलाफ़ आवाज उठायी थी। रोहित की मौत की ज़िम्मेदार वे ताकतें हैं जो लोगों के आवाज़ उठाने और सवाल उठाने पर रोक लगाना चाहती हैं और आज़ाद ख़याल रखने वाले लोगों को गुलाम बनाना चाहती हैं। ऐसी ताकतों के खि़लाफ़ संघर्ष आज हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है। साम्प्रदायिक-फासीवाद से संघर्ष करना अब हम और नहीं टाल सकते। इससे पहले कि कई रोहितों के गले घोंट दिये जायें हमें अपने संघर्ष की तैयारी करनी होगी और जाति-धर्म की दीवारों को गिराकर बड़ी ताकत के रूप में देश के छात्रों-युवाओं, मेहनतशों, मज़दूरों-किसानों को संगठित होना होगा। अखिल भारतीय जाति विरोधी मंच, दिशा छात्र संगठन, नौजवान भारत सभा, नई दिशा छात्र मंच, यूनिवर्सिटी कम्यूनिटी फॉर डेमोक्रेसी एण्ड इक्वेलिटी, पंजाब स्टूडेण्ट यूनियन (ललकार), जागरूक नागरिक मंच इत्यादि संगठनों ने देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन आयोजित किये।
उक्त विरोध प्रदर्शनों में एम.एच.आर.डी. और भाजपा सरकार के दलित, गरीब और छात्र विरोधी रवैये की कड़ी निन्दा की गयी। विभिन्न वक्ताओं के द्वारा लोगों से बात की गयी कि न केवल शिक्षा-रोजगार-चिकित्सा के मुद्दे हमारे एजेण्डे में हों बल्कि हमें सामाजिक गैरबराबरी-जातिवाद-धार्मिक कट्टरता के ख़िलाफ़ भी आवाज़ उठानी होगी। तमाम अस्मितावादी यानि पहचान की राजनीति करने वाले लोग आज या तो चुप हैं या फ़िर इस मुद्दे को वोट बैंक के लिए इस्तेमाल करने की फ़िराक में हैं। इसलिए हमें दलित मुक्ति के संघर्ष को व्यापक मेहनतकश जनता के संघर्ष के साथ जोड़ते हुए इसे अस्मितावाद और पहचान की राजनीति के चंगुल से भी मुक्त कराना होगा।
चित्रों के साथ दिये ब्यौरों के अलावा, 23 जनवरी को धमतान साहिब, नरवाना, जिला जीन्द, हरियाणा में नौजवान भारत सभा और अखिल भारतीय जाति विरोधी मंच के द्वारा उक्त मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन और पुतला दहन का आयोजन किया गया और 8 फ़रवरी को पटना में दिशा छात्र संगठन, अखिल भारतीय जाति विरोधी मंच और अन्य जनसंगठनों ने मिलकर विरोध मार्च का आयोजन किया जो एन.आई.टी. मोड़ से शुरू होकर अशोक राजपथ होते हुए भगतसिंह चौक तक पहुँचा।
मज़दूर बिगुल, फरवरी 2016
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