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(मज़दूर बिगुल के मई 2016 अंक में प्रकाशित लेख। अंक की पीडीएफ फाइल डाउनलोड करने के लिए यहाँ क्लिक करें और अलग-अलग लेखों-खबरों आदि को यूनिकोड फॉर्मेट में पढ़ने के लिए उनके शीर्षक पर क्लिक करें)
सम्पादकीय
मई दिवस विशेष
स्तालिन – सभी को काम, सभी को आज़ादी, सभी को बराबरी!
अन्तरराष्ट्रीय मज़दूर दिवस पर विश्वभर में गूँजी मज़दूर मुक्ति की आवाज़ / लखविन्दर
आर.एस.एस. और बी.एम.एस. के मई दिवस विरोध के असली कारण / मुकेश त्यागी
हरियाणवी रागणी – मई दिवस / रामधारी खटकड़, जीन्द, हरियाणा
अर्थनीति : राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय
जीएसटी और अन्य टैक्स नीतियों का मेहनतकशों की ज़िन्दगी पर असर / मुकेश त्यागी
पनामा पेपर्स मामला : पूँजीवादी पतन का एक प्रतिनिधि उदाहरण / मानव
देश के प्राकृतिक संसाधनों को लूट रहे मोदी सरकार के चहेते / नमिता
संघर्षरत जनता
मोदी सरकार के ख़िलाफ़ बेंगलुरु की स्त्री गारमेंट मज़दूरों ने संभाली कमान / शिशिर गुप्ता
दिल्ली सचिवालय पर घरेलू कामगारों का जुझारू प्रदर्शन
बुर्जुआ जनवाद – दमन तंत्र, पुलिस, न्यायपालिका
‘आधार’ – जनता के दमन का औज़ार / रणबीर
कश्मीर : आओ देखो गलियों में बहता लहू / श्वेता कौल
लेखमाला
मार्क्स की ‘पूँजी’ को जानिये : चित्रांकनों के साथ (तीसरी किस्त) / ह्यूगो गेलर्ट
औद्योगिक दुर्घटनाएं
पावर प्रेस मज़दूर की उँगली कटी, मालिक बोला मज़दूर ने जानबूझ कर कटवाई है!
मुनाफे की खातिर मज़दूरों की हत्याएँ आखिर कब रुकेंगी ?
गतिविधि रिपोर्ट
मज़दूरों की कलम से
सब मज़दूरों के हित एक जैसे हैं, और मालिकों के एक जैसे! / प्रवेश शर्मा, पानीपत, हरियाणा
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बुर्जुआ अख़बार पूँजी की विशाल राशियों के दम पर चलते हैं। मज़दूरों के अख़बार ख़ुद मज़दूरों द्वारा इकट्ठा किये गये पैसे से चलते हैं।
मज़दूरों के महान नेता लेनिन