Category Archives: फ़िलिस्तीन मुक्ति संघर्ष

बर्बरता की सारी हदों को पार करने के बाद भी फ़िलिस्तीनी अवाम के मुक्तिस्वप्न को डिगा नहीं पाये हैं ज़ायनवादी हत्यारे!

इज़रायल नाम का कोई देश दुनिया के नक्शे पर 1948 से पहले नहीं था। जिस देश को आज इज़रायल का नाम दिया जा रहा है वह वास्तव में फ़िलिस्तीन ही है। फ़िलिस्तीन की जगह-ज़मीन पर इज़रायल को इसलिए बसाया गया क्योंकि 1908 में मध्य-पूर्व में तेल के खदान मिले जो कुछ ही वर्षों के भीतर पश्चिमी साम्राज्यवाद के लिए सबसे रणनीतिक माल बन गया और इसपर ही अपना क़ब्ज़ा जमाने के लिये ज़ायनवादी उपनिवेशवादी व नस्ली श्रेष्ठतावादी राज्य की स्थापना फ़िलिस्तीन की जनता को उनकी ज़मीन से बेदखल करके करने की शुरुआत हुई। इसके लिए ब्रिटेन ने ज़ायनवादी हत्यारे गिरोहों को फ़िलिस्तीन ले जाकर बसाना शुरू किया, उन्हें हथियारों से लैस किया और फिर 1917 से 1948 के बीच हज़ारों फ़िलिस्तीनियों का इन ज़ायनवादी धुर-दक्षिणपन्थी गुण्डा गिरोहों द्वारा क़त्लेआम किया गया और लाखों फ़िलिस्तीनियों को उनके ही वतन से बेदखल करने का काम शुरू हुआ। बाद में अमेरिकी साम्राज्यवाद की सरपरस्ती में इज़रायली ज़ायनवादियों द्वारा यह काम अंजाम दिया गया। यह प्रक्रिया आज भी अपने सबसे बर्बर रूप में जारी है।

ऐतिहासिक अन्याय, विश्वासघात और षड्यंत्र के ख़िलाफ़ जारी है फ़िलिस्तीनी जनता का संघर्ष!

गाज़ा में चल रहा युद्ध ऐतिहासिक अन्याय, विश्वासघात और षड्यंत्र के ख़िलाफ़ है। गाज़ा की जनता अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही है। हम मज़दूरों मेहनतकशों को इस युद्ध में गाज़ा और फ़िलिस्तीन की जनता का साथ देना चाहिए। मज़दूर वर्ग और आम मेहनतकश जनता हमेशा शोषकों-उत्पीड़कों के ख़िलाफ़ होती है और अन्याय और शोषण के विरुद्ध लड़ रहे मज़दूरों-मेहनतकशों के साथ खड़ी होती है, चाहे वे दुनिया के किसी भी हिस्से में क्यों न लड़ रहे हों। फिलिस्तीन का मसला आज हर न्यायप्रिय व्यक्ति का मसला है। इसलिए भी क्योंकि फिलिस्तीन का सवाल आज साम्राज्यवाद के सबसे प्रमुख अन्तरविरोधों में से एक बना हुआ है और इसका विकास साम्राज्यवाद के संकट को और भी बढ़ाने वाला है।